UP News: 5 अप्रैल को हाईकोर्ट के न्यायाधीश अताउर रहमान मसूदी और सरोज यादव की खंडपीठ ने सिद्दीकी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, जिन्हें 100 से अधिक लोगों का धर्म परिवर्तन कराने के इल्जाम में मेरठ से गिरफ्तार किया गया था.
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UP News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी है, जिसमें मौलाना कलीम सिद्दीकी को दी गई जमानत रद्द करने की मांग की गई थी. मौलाना कलीम सिद्दीकी पर प्रदेश के आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) ने कथित तौर पर सामूहिक धर्म परिवर्तन रैकेट चलाने का इल्जाम लगाया है.
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, संजय कुमार और एस.वी.एन. की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के जरिए एक पत्र के माध्यम से स्थगन की मांग करने के गुजारिश को स्वीकार कर लिया. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद से 5 सितंबर तक कथित सामूहिक धर्म परिवर्तन मामले में सिद्दीकी की भूमिका को साफ़ तौर पर जाहिर करने वाला बयान दाखिल करने को कहा था. पिछले हफ्ते कोर्ट ने सिद्दीकी को एक बार छूट दी थी.
मौलाना कलीम सिद्दीकी को अपने भाई के जनाजे में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति मिली थी. सरकार ने हुक्म दिया था कि सिद्दीकी भाई के जनाजे को छोड़कर किसी भी राजनीतिक या सामाजिक कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे और कोई सार्वजनिक भाषण नहीं देंगे. 5 अप्रैल को हाईकोर्ट के न्यायाधीश अताउर रहमान मसूदी और सरोज यादव की खंडपीठ ने सिद्दीकी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, जिन्हें 100 से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन कराने के इल्जाम में मेरठ से गिरफ्तार किया गया था.
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हाईकोर्ट ने उन्हें समानता के आधार पर जमानत दे दी क्योंकि सह-अभियुक्तों में से एक को कोर्ट ने जमानत दे दी थी. प्रदेश की ATS ने दावा किया था कि वह देश भर में सबसे बड़ा धर्मांतरण सिंडिकेट चलाते थे' और उसके जरिए संचालित एक ट्रस्ट में 'हवाला' के माध्यम से दान भी बरामद किया गया था.
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