ह्यूमन सेल एटलस (एचसीए) जीव विज्ञान और किसी भी बिमारी के बारे में हमारी पूरी समझ को बदल देगा. इसका उद्देश्य है मानव शरीर में हर सेल यानी कोशिका का नक्शा बनाना. इससे इंसानों में बीमारियों के निदान और उपचार के तरीके में ढूंढने में बड़ी प्रगति हो सकती है.
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शरीर में जो कुछ भी होता है वो इस बात पर निर्भर करता है शरीर कि सेल यानी कोशिकाओं की संरचना कैसी है? यह कैसे बनती हैं ? कैसे काम करती हैं? विज्ञान के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहेली रही है. अब इस गुत्थी को सुलझाने का काम कर रहा है दुनिया का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ह्यूमन सेल एटलस. सेल जीवन की मूल ईकाई है, लेकिन विज्ञान की इतनी तरक्की कर लेने के बाद भी विज्ञान इंसानों की सेल सरचंना को सही तरीके से नहीं समझ पाया है .अलग-अलग तरह की के सेल्स, उनका मोलुक्यूलर स्ट्रक्चर, उनकी खूबियां और वे शरीर में कहां स्थित हैं, ये सब हम उसके नक्शे के बिना नहीं समझ सकते हैं. जब तक हम उनके नक्शे को नहीं समझ लेते, हम उनके सभी कार्यों का वर्णन नहीं कर सकते हैं, और उन नेटवर्कों को नहीं समझ सकते हैं जो उनकी एक्टिविटी को कंट्रोल करते हैं.
क्या है ह्यूमन सेल एटलस ?
ह्यूमन सेल एटलस एक अंतरराष्ट्रीय सहयोगी संघ है, जो विकास से वयस्कता और अंततः बुढ़ापे तक स्वस्थ शरीर में अलग अलग कोशिका का चार्ट बनाता है. ये पहल, मानव जीनोम परियोजना से भी बड़ी पहल है, जिससे मानव शरीर में 37.2 ट्रिलियन सेल्स के बारे में हमारी समझ बदल जाएगी. अब अगर सीधे शब्दों में कहा जाए तो ह्यूमन सेल एटलस यानी की शरीर के एक-एक सेल्स का नक्शा बनाने की कोशिश, सेल्स की पूरी जानकारी, उनकी सरंचना, उनका काम करने का तरीका सब कुछ हमें ह्यूमन सेल एटलस से पता चल सकता है.
ह्यूमन सेल एटलस: कैसे काम करता है ?
अत्याधुनिक सिंगल सेल और लोकल जीनोमिक्स और कम्प्यूटेशनल टेक्नोलॉजी का उपयोग करके, एचसीए रिसर्चर ये बताते हैं कि एक व्यक्तिगत सेल में 20,000 जीनों में से कौन सा जीन चालू होता है, जिससे प्रत्येक सेल टाइप के लिए एक अद्वितीय "आईडी कार्ड" बनता है. इससे वैज्ञानिकों को नए सेल टाइप और उनके कार्यों की खोज करने में आसानी होती है. इतना ही नहीं अतिरिक्त तेजी से विकसित होने वाले spatial analysis methods के साथ, एचसीए के वैज्ञानिक इन व्यक्तिगत सेल के अंगों और ऊतकों में उनके सटीक स्थानों की मैपिंग करते हैं, और उनके अपने काम और उनके पड़ोसियों के साथ संबंधों को समझते हैं.
जीवन का सबसे छोटा रुप 'सेल' दरअसल क्या हैं?
सेल जीवन का सबसे छोटा स्वरूप होती है. इसके भीतर हमारा जेनेटिक कोड होता है. सेल इस डीएनए को सक्रिय करके मोलिक्यूल बनाने में मदद करती हैं. हर सेल या कोशिका में अलग किस्म के जीन होते हैं, जो सेल को बताते हैं कि उसे क्या करना है? अगर कोशिकाएं यानी सेल, सही तरीके से काम करें तो हम स्वस्थ रहते हैं, लेकिन अगर जीन इन सेल को ग़लत निर्देश देने लग जाएं तो यह ग़लत तरीके से काम करने लगती हैं और हम बीमार पड़ जाते हैं. सेल के गलत तरीके से काम करने से ही बीमारी होती है. बिमारी कौन सी होगी, ये इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सी सेल ग़लत तरीके से काम कर रही है. मिसाल के तौर पर सेल अनियंत्रित तरीके से बंटने लग जाएं तो कैंसर हो जाता है. इसी वजह से फोड़े हो जाते हैं.इसलिए हमारे लिए हर प्रकार की सेल को समझना बहुत ज़रूरी है ताकि बीमारी का इलाज किया जा सके.बिमारियों की जड़ को पकड़ कर सबसे बेसिक लेवल पर उसका ईलाज करना, यही मक़सद है, विश्व के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ह्यूमन सेल एटलस का.