Circumcision in Islam: अक्सर लोग जानना चाहते हैं कि मुसलमान खतना क्यों कराते हैं? इसके दो तर्क दिए जाते हैं. पहला यह कि यह नबी स0 की सुन्नत है. दूसरा यह कि इससे जिस्म की साफ-सफाई रखने में आसानी होती है.
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Circumcision in Islam: खतना (Circumcision) इस्लाम में सुन्नत है. खतने का जिक्र कुरान में नहीं है, लेकिन इसे पैगंबर मोहम्मद का तरीका कहा जाता है. मर्दों का खतना उनके लिंग की अगली त्वचा को हटाने को कहा जाता है. चूंकि इस्लाम में ये सुन्नत है इसलिए ज्यादातर मुसलमान इसे कराते हैं. 'खतना' लैटिन शब्द है. इसका मतलब होता है 'काटना'. खतना कराने की वैज्ञानिक दलील यह दी जाती है कि इससे साफ सफाई रहती है.
मान्यता है कि लिंग की अगली त्वचा को हटाने से गंदगी नहीं होती है. इससे साफ सफाई रहती है. माना जाता है कि जब कोई शख्स पेशाब करता है तो पेशाब के कतरे कुछ कतरे लिंग की अगली चमड़ी (त्वचा) में रह जाते हैं, जिससे बीमारी होने का खतरा रहता है. लकिन अगर किसी शख्स का खतना हुआ है तो उसके लिंग की चमड़ी में पेशाब नहीं फंसता. यही मामला सपर्म के साथ भी है. लिंग के आगे त्वचा कटी होने से उसमें स्पर्म नहीं फंसता. साफ-सफाई रहने से कैंसर जैसी बीमारी से निजात मिलती है. कुछ डॉक्टर का मानना है कि लिंग की अगली त्वचा कटी होने से वहां नमी पैदा नहीं होती जिससे यहां कीटाणु जमा नहीं हो पाते हैं.
खतना कराने की कोई निर्धारित उम्र नहीं है. यह इलाके और माहौल के ऊपर निर्भर करता है. कुछ लोग बच्चे के पैदा होने के 7 दिन बाद उसका खतना करा देते हैं तो कुछ लोग बच्चे की उम्र 7 साल होने पर उसका खतना कराते हैं. इसके अलावा कुछ जगहों पर युवावस्था में खतना होता है. कुछ मुस्लिम देशों में जब बच्चा कुरान मुकम्ल कर लेता है तब उसका खतना कराया जाता है.
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कोई भी आम शख्स जिसको थोड़ी बहुत चिकित्सा की जानकारी हो वह खतना कर सकता है. जरूरी नहीं है जो शख्स खतना कर रहा है वह मुसलमान हो. यह जरूरी है कि उसे चिकित्सा के बारे में जानकारी हो.
यह जरूरी नहीं है कि जो शख्स खतना नहीं कराता वह मुसलमान नहीं है. जानकार मानते हैं कि खतना कराना मोअक्किदा सुन्नत है. मतलब जरूरी सुन्नत है. अगर इसे छोड़ा जाता है तो गुनाह है. लेकिन जिस शख्स का खतना नहीं हुआ है वह भी मुसलमान हो सकता है.
हर मुसलमान खतना इसलिए कराता है क्योंकि यह सुन्नत. पैगंबर मोहम्मद स0 की चार सुन्नतें हैं. खतना कराना, मिस्वाक करना, इतर लगाना, निकाह करना. इसलिए मुसलमान को खतना कराना चाहिए. अगर कोई परेशानी नहीं है तो खतना न कराना जायज नहीं है.
बाइबिल में भी खतना को एक शरियत हुक्म करार दिया गया है जो कभी रद्द नहीं गिया जाएगा. (पैदाइश बाब: वाक्यांश 9 से 14). इसलिए यहूदी भी खतना कराते हैं.
अबुहुरैरा रजि0 कहते हैं कि पैगंबर मो0 ने फरमाया कि "पांच चीजें फितरत हैं या फितरत में से हैं: खतना करना, जेर नाफ बाल मोड़ना, बगल के बाल साफ करना, नाखून तराशना और मूंछ कटाना." (सुनन अबू दाऊद/किताब अलतरज्जुल:4198)
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