जानिए क्या है रमज़ान का मतलब और इस्लाम में इसकी अहमियत
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जानिए क्या है रमज़ान का मतलब और इस्लाम में इसकी अहमियत

मुसलमानों का सबसे मुकद्दस महीना "रमज़ानुल मुबारक" आज से शुरू हो रहा है. रमज़ान एक महीने का नाम है. यह इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से साल का 9 वां महीना होता है. रमज़ान लफ्ज़ अरबी ज़बान का लफ्ज़ है, जिसका मतलब "झुलसा देने वाला" है.

जानिए क्या है रमज़ान का मतलब और इस्लाम में इसकी अहमियत

मुसलमानों का सबसे मुकद्दस महीना "रमज़ानुल मुबारक" आज से शुरू हो रहा है. रमज़ान एक महीने का नाम है. यह इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से साल का 9 वां महीना होता है. रमज़ान लफ्ज़ अरबी ज़बान का लफ्ज़ है, जिसका मतलब "झुलसा देने वाला" है. इस महीने का यह नाम इस लिए रखा कि इस्लाम में जब सबसे पहले यह महीना आया था तो उस वक्त शदीद और झुलसा देने वाली गर्मी थी. वहीं कुछ उलेमाओं का यह भी मानना है कि इस महीने में अल्लाह अपनी खास रहमत से रोज़ेदार बंदों के गुनाहों को झुलसा देता है और माफ कर देता है, इस लिए इस महीने का "रमज़ान" (झुलसा देने वाला) है. 

मज़हबे इस्लाम में रमज़ान की बहुत अहमियत है. अल्लाह ने यह मुबारक महीना इसलिए अता फरमाया कि साल के ग्यारह महीने इंसान दुनिया के काम-धंधों में मशग़ूल रहता है जिस की वजह से इंसान रुहानियत से दूर हो जाता है और अल्लाह के नज़दीक कमी पैदा हो जाती है तो रमज़ान में आदमी अल्लाह की इबादत करके उस फासले कम करता है, दिलों की गफलत को खत्म करता है ताकि ज़िंदगी का एक नया दौर शुरू हो जाए. इस महीने में मुसलमान रोज़ा रखते हैं, तरावीह की नमाज़ पढ़ते हैं, कुरआन की तिलावत करते हैं, अपनी जान व माल का सदका अदा करते हैं. 

कहा जाता है कि इस महीने में दीगर महीनों के मुकाबिले हर इबादत का सवाब भी 70 गुना ज्यादा हो जाता है, जन्नत के दरवाज़ों को खोल दिया जाता है और जहन्नम के दरवाज़ों को बंद कर दिया जाता है. इसके अलावा तमाम शयातीन (शैतानों) को भी कैद कर दिया जाता है. मुसलमान इस महीने में गुनाहों से बचते हैं, नेकी का काम करते हैं ताकि अल्लाह राज़ी हो सके, जन्नत की राह हमवार हो सके और जहन्नम से निजात मिले.

हिंदुस्तान में रमज़ान बहुत ही जोश और अकीदत के साथ मनाया जाता है. यहां मुस्लिम मज़हब के अलावा दीगर तमाम मज़ाहिब के लोग रमज़ान को लेकर काफी अकीदत रखते हैं. वे इस महीने में अपने मस्लिम भाइयों को इफ्तार पार्टी देकर अपनी अकीदत का इज़हार करते हैं. हिंदुस्तान में इफ्तार पार्टियों में बड़े-बड़ी सियासी और समाजी लीडरान भी शिकरत करते हैं. रमजान के तीस रोज़ों के बाद ईद को त्योहार आता है. ईद को मौके पर भी तमाम मज़ाहिब के लोग आपसी रंजिशों को भुलाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं और यही हिंदुस्तान की सकाफत भी है.

इस साल पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है जिसका सबसे बड़ा इलाज सोशल डिस्टेंसिंग है. इसी के चलते पूरा हिंदुस्तान लॉकडाउन है. लॉकडाउन के चलते सभी मज़हबी तंज़ीमों, इदारों और उलेमाओं ने अवाम से अपील की है कि इस बार रमज़ान में अपने घरों में रह कर ही तमाम इबादात का अहतिमाम किया जाए. 

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