क़िस्सा-ए-मुख़्तसर: बेहद हसीन और हर मज़हब में यक़ीन रखने वालीं शानदार अदाकारा गीता बाली
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क़िस्सा-ए-मुख़्तसर: बेहद हसीन और हर मज़हब में यक़ीन रखने वालीं शानदार अदाकारा गीता बाली

गीता बाली ने अपने दोर के तमाम लीड अदाकारों के साथ काम किया...भारत भूषण, राजकपूर और देवानंद के साथ उन्होने ख़ूब फ़िल्में कीं...1955 में गीता बाली कामयाब तरीन हिरोईन थीं.

क़िस्सा-ए-मुख़्तसर: बेहद हसीन और हर मज़हब में यक़ीन रखने वालीं शानदार अदाकारा गीता बाली

क़िस्सा-ए-मुख़्तसर केअपनी इस बेहद ख़ास पेशकश में हम आपको रु-ब-रु कराएंगे मुल्क के दीगर शोबों में मक़बूलियत हासिल कर चुकीं नामवर शख़्यियात की ज़िंदगी के उन क़िस्सों से जो या तो पोशीदा रहे या जिनके बारे में ज्यादा तफ़सीलात लोगों को नहीं मालूम...और इन शख़्सियात के ये मुख़्तसर से क़िस्से ख़ुशी,गम,रुहानियत,रोमांस,मिलन,जुदाई,बर्बादी,आबादी,मक़बूलियत और गुमनामी...ज़िंदगी के बेशुमार हक़ीक़ी रंगो से लबरेज़ होंगे.आज अपनी इस ख़ुसूसी पेशकश में हम आपको बताएंगे बेहद हसीन और हर मज़हब में यक़ीन रखने वालीं हिंदुस्तानी फ़िल्म इंडस्ट्री की शानदार अदाकारा और शानदार  इंसान गीता बाली का क़िस्सा-ए-मुख़्तसर.

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गीता बाली अमृतसर में एक बेहद ग़रीब कुंबे में 1930 में पैदा हुईं...लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि गीता बाली का नाम हरकीर्तन कौर था...गीता बाली अपने घर में बहुत ख़ुश थीं कि एक दिन अचानक उन्हे बचपन में ही ज़िंदगी की सबसे बड़ी तकलीफ़ पहुंची...गीता बाली के वालिद को चेचक यानी स्मॉलपॉक्स निकल आई...और इस बिमारी से वो नाबीना हो गए...उन्हे दिखाई देना बंद हो गया...और इस हादसे ने गीता बाली को बिलकुल तोड़ कर रख दिया..मगर उस वक्त गीता ये नहीं जानती थीं कि एक दिन यही बिमारी उनकी मौत की वजह बनेगी...ज़िंदगी आगे बढ़ती रही...गीता बाली ने अपना फ़िल्मी करियर बहैसियत एक चाईल्ड आर्टिस्ट शुरु किया...और 1946 में वो बतौर हिरोईन फ़िल्में करने लगीं..

गीता बाली ने अपने दोर के तमाम लीड अदाकारों के साथ काम किया...भारत भूषण, राजकपूर और देवानंद के साथ उन्होने ख़ूब फ़िल्में कीं...1955 में गीता बाली कामयाब तरीन हिरोईन थीं...और शम्मी कपूर नए नए इंडस्ट्री में आए थे.दोनों एक फ़िल्म में एक साथ काम कर रहे थे...फ़िल्म का नाम था ''रंगीन रातें''...और इस फ़िल्म की आऊटडोर शूटिंग हो रही थी नैनीताल के क़रीब रानीखेत में...गीता बाली और शम्मी कपूर ने फ़िल्म की शूटिंग के दौरान काफ़ी लक्त साथ ग़ुज़ारा और दोनों के मुहब्बत हो गई...दोनों ने चुपके से आधी रात को छिप कर एक मंदिर में शादी कर ली...शम्मी कपूर बेहद डरे हुए थे...और जैसे कि उम्मीद थी शम्मी कपूर का ख़ानदान इस शादी से बहुत नाराज़ था...और इसकी वजह ये थी कि वो नहीं चाहते थे कि कपूर ख़ानदान की बहू फ़िल्मों में काम करे...लेकिन आहिस्ता आहिस्ता गीता बाली ने अपने हुस्ने-अख़लाक़ से, अपने रवैयों से, अपने सुलूक़ से सबके दिल जीत लिए...शम्मी कपूर और गीता बाली के दो बच्चे हुए...बेटा आदित्य और बेटी कंचन..

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गीता अक्सर बताया करती थीं कि उन्हे ज़िंगदी में सबसे ज्यादा तकलीफ़ तब हुई जब उनके वालिद को चेचक निकल आई और वो नाबीना हो गए थे...लेकिन क़िस्मत की सितमज़रीफ़ी देखिए...1965 में ख़ुद गीता बाली को भी चेचक निकल आई...उन्होने आईना मांगा और अपना चेहरा देखकर चीख़ उठीं...चेचक ने उनके खूबसूरत चेहरे को बेहद बदसूरत और ख़ौफ़नाक बना दिया था...ये सदमा गीता के लिए नाक़ाबिले-बर्दाश्त रहा और 21 जनवरी 1965 को उनका इंतक़ाल हो गया...गीता वाली की आख़री रसूमात उसी ''बाण गंगा'' मंदिर में अदा की गईं जहां उनकी शादी हुई थी

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