नई दिल्ली: साल 2020 में कोरोना महामारी के पूरी दुनिया थम गई विश्व में करीब 80 लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हुए. इनमें करीब 17.5 लाख की मौत हुई. भारत में भी 1 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए, 1.47 लाख मौतें हुईं. लॉकडाउन के कारण दुनिया के देशों के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी विपरीत असर पड़ा. अगर हम कोरोना काल में नेगेटिविटी ढूंढें तो बातें खत्म नहीं होंगी. इसलिए हम इन विपरीत परिस्थितियों में देश क्या हासिल किया इसके बारे में बताएंगे.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के ड्रीम प्रोजेक्ट रोहतांग टनल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर 2020 को पूर्व पीएम अटल बिहारी के ड्रीम प्रोजेक्ट रोहतांग टनल का उद्घाटन किया. इस प्रोजेक्ट की रूप रेखा अटल जी के प्रधानमंत्री रहते तैयार हुई थी, लेकिन इसका काम 2014 तक लटका रहा. हालात, यह थे कि 10 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ था. मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने रोहतांग टनल प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य को फास्ट ट्रैक कर दिया. नतीजन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 9.02 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 6 वर्ष के अंदर बनकर तैयार हो गई.
चूंकि इस टनल के निर्माण का सपना अटल जी ने देखा तो, इसलिए मोदी सरकार ने इसका नामकरण भी उनके नाम पर ’अटल टनल’ कर दिया. इस सुरंग के बन जाने से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई. यात्रा का समय 4 से 5 घंटे कम हो गया. अटल टनल मनाली को लाहौल स्पीति घाटी से वर्ष भर जोड़े रखती है. पहले सर्दी के मौसम में भयंकर बर्फबारी के कारण लाहौल स्पीति घाटी करीब 6 महीने देश के शेष हिस्से से कटी रहती थी.
भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्तिप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से घोषणा की थी कि भारत में जल्द ही चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का गठन होगा. जनरल बिपिन रावत ने 1 जनवरी 2020 को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ’सीडीएस’ का पद संभाला. इसके साथ ही भारतीय सैन्य अधिकारियों की वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई. इससे पहले वह थलसेना के प्रमुख पद से रिटायर हुए थे. सीडीएस 4 स्टार वाला अफसर होता है. भारत में सीडीएस की अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष होती है. भारतीय सैन्य इतिहास में बिपिन रावत से पहले केएम करियप्पा और सैम मानेकशॉ ही 4 स्टार अफसर रहे थे.
कोरोना महामारी के दस्तक देने से पहले पीपीई किट और एन 95 मास्क मैन्युफैक्चरिंग में भारत फिसड्डी था. दूसरे देशों से पीपीई किट और मास्क इम्पोर्ट करना पड़ता था. लेकिन कोरोना काल में पूरी दुनिया में अचानक इनकी डिमांड इतनी बढ़ गई कि इम्पोर्ट करना भी मुश्किल हो गया. मोदी सरकार ने पीपीई किट और एन 95 मास्क मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बनाने की ठानी. केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने इसका जिम्मा संभाला.
नतीजा यह हुआ कि जो भारत 2020 मार्च तक पीपीई किट और एन 95 मास्क मैन्युफैक्चरिंग में जीरो था, अक्टूबर 2020 तक ये दोनों ही चीजें दूसरे देशों को एक्सपोर्ट करने लगा. इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पटीटिवनेस के एक रिसर्च के मुताबिक भारत ने अक्टूबर 2020 तक 6 करोड़ से अधिक पीपीई किट और करीब 15 करोड़ एन.95 मास्क का उत्पादन किया. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि अक्टूबर महीने तक देश से 2 करोड़ से अधिक पीपीई किट और 4 करोड़ से अधिक एन.95 मास्क का निर्यात किया जा चुका था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अक्टूबर 2020 को भारतीय लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद के नए भवन की आधाशिला रखी. अभी का संसद भवन ब्रिटिश काल में बना था जो लगभग 93 वर्ष पुराना है और उसमें जगह और अत्याधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था नहीं है. इसलिए नए भवन के निर्माण की आवश्यकता महसूस हुई. नया संसद भवन सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इसका निर्माण पुराने संसद भवन के ठीक सामने हो रहा है. इसके अक्टूबर 2022 तक पूरा हो जाने का लक्ष्य रखा गया है. ताकि देश जब अपनी आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होए उसी साल संसद सत्र का आयोजन भी नए भवन में हो.
नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक होगा. इसके निर्माण की जिम्मेदारी देश की प्रतिष्ठित कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के पास है. गुजरात स्थित आर्किटेक्चर फर्म एचसीपी डिजाइन्स ने नक्शा तैयार किया है. नए संसद भवन में लोक सभा में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. वहीं राज्य सभा में 384 सदस्य बैठ सकेंगे. ऐसा भविष्य में सांसदों की संख्या में वृद्धि को ध्यान में रखकर किया गया है. संसद की संयुक्त बैठक के दौरान नए भवन में बन रहे हॉल में 1272 सदस्य बैठ सकेंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर होगा. इसके निर्माण में करीब 971 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
भारतीय रेलवे ने साल 2020 में एक खास मुकाम हासिल किया. दरअसल, रेलवे ने इस साल देश की पहली किसान रेल की शुरुआत की. बता दें कि किसानों की मदद के लिए किसान रेल की शुरुआत की गई है. किसान रेल के माध्यम से किसान अपने कृषि उत्पादों, सब्जी और फल आदि को आसानी से बड़े शहरों के बाजार तक भेज सकते हैं. जल्दी खराब होने वाले उत्पादों जैसे दूध, मीट, मछली आदि के लिए इन किसान रेल में रेफ्रीजेरेट कोट की सुविधा भी मिलेगी. पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत किसान रेल का संचालन किया जा रहा है.
बिना उचित भंडारण और ट्रांसपोर्ट की सुविधा के चलते कई उत्पाद खराब हो जाते थे, जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता था. ऐसे में इन किसान रेल के संचालन से किसानों को होने वाले नुकसान में कमी आएगी. देश की पहली किसान रेल 7 अगस्त 2020 को चलायी गई. इसके अगले माह यानि कि 9 सितंबर 2020 को देश की दूसरी किसान ट्रेन चलायी गई.
साल 2020 कोरोना महामारी के चलते इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है. हालांकि इस महामारी से बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन बनाने की दिशा में भी तेजी से काम हुआ. भारत के लिए गर्व की बात ये है कि हमारा देश भी इस मामले में ज्यादा पीछे नहीं है. यहां भी कई कोरोना वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. इनमें से तीन वैक्सीन तो ट्रायल के अंतिम चरण को लगभग पूरा भी कर चुकी हैं.
दुनिया की सबसे ज्यादा वैक्सीन बनाने वाली कंपनी Serum Institute of India भी भारतीय है और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई वैक्सीन Covishield का प्रोडक्शन कर रही है. इनके अलावा Panacea Biotech, Indian Immunologicals, Mynvax और Biological E नामक भारतीय कंपनियां भी कोरोना वैक्सीन बनाने की दिशा में काम कर रही हैं.
इनमें Zydus Cadila, Serum Institute of India और भारत बायोटेक का नाम प्रमुख है. अहमदाबाद बेस्ड कंपनी जाइडस कैडिला की वैक्सीन ZyCov-D के अंतिम चरण के ट्रायल चल रहे हैं और अगर सब कुछ ठीक रहा तो साल 2021 के मार्च में यह वैक्सीन तैयार हो जाएगी. हैदराबाद स्थित कंपनी भारत बायोटेक की वैक्सीन Covaxin जिसे ICMR के सहयोग से बनाया जा रहा है, उसका भी तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है.
पर्यटन के लिहाज से इस साल देश का पहला ग्लास ब्रिज भी बनकर तैयार हो चुका है. यह ग्लास ब्रिज बिहार के राजगीर में नेचर सफारी में बनाया गया है. बता दें कि चीन के हांगझोऊ प्रांत में पहला ग्लास ब्रिज बना था. 200 फीट ऊंचे, 85 फीट लंबे और 6 फीट चौड़े इस ग्लास ब्रिज से राजगीर की नेचर सफारी में पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद की जा रही है. बता दें कि देश में पहला ग्लास ब्रिज बनाने का ऐलान ऋषिकेश में हुआ था. हालांकि अभी तक ऋषिकेश का पुल बनकर तैयार नहीं हो सका है.
कोरोना वायरस ने दुनिया के विकसित देशों में सबसे ज्यादा तबाही मचायी है. वहीं बड़ी आबादी, सीमित संसाधनों और स्वास्थ्य सेवाओं की एक सीमा के बावजूद भारत ने इस मामले में काफी बेहतर प्रदर्शन किया. कोरोना वायरस के चलते हुई मौतों के मामले में भारत काफी बेहतर स्थिति में हैं. सरकार की तरफ से लॉकडाउन को लेकर जल्दी फैसला किया गया और टेस्टिंग में भी तेजी लायी गई, जिससे भारत में कोरोना से हालात ज्यादा नहीं बिगड़ पाए.
आईसीएमआर के मुताबिक 24 दिसंबर तक देश में करीब 17 करोड़ कोरोना टेस्ट हो चुके हैं. वहीं एक करोड़ एक लाख 46 हजार मामलों में से करीब 97 लाख लोग रिकवर भी हो चुके हैं. देश में कोरोना के एक्टिव केस की संख्या 2 लाख 81 हजार है. इनमें भी दो राज्य महाराष्ट्र और केरल में ही सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं बाकी राज्यों में हालात काबू में दिखाई दे रहे हैं. देश में कोरोना के चलते अभी तक कुल 1 लाख 47 हजार 92 लोगों की मौत हुई है. इसकी तुलना में अमेरिका में 3 लाख 29 हजार, ब्राजील में एक लाख 90 हजार लोगों की मौत हुई है. गौरतलब है कि इन देशों की स्वास्थ्य सेवाएं भारत से कहीं ज्यादा बेहतर हैं. इसी तरह इटली, ब्रिटेन आदि विकसित देश भी कोरोना से बुरी तरह प्रभावित रहे हैं.
देश की सीमा पर सड़कों का जाल बिछाने की दिशा में इस साल एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई. दरअसल पिथौरागढ़ में धारचुला-लिपुलेख रोड की इस साल शुरुआत हो गई. यह सड़क उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से चीन की सीमा पर स्थित घाटियाबागढ़ और लिपुलेख को जोड़ती है. चीन की तरफ से बढ़ रही चुनौती को देखते हुए इस सड़क का काफी सामरिक महत्व है.
चीन सीमा को जोड़ने वाले इस पिथौरागढ़-लिपुलेख लिंक के निर्माण से सीमा पर सैनिकों की आवाजाही आसानी से हो सकेगी. इसके साथ ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को भी इसका फायदा मिलेगा. नए रास्ते से कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों का 90 किलोमीटर लंबे रास्ते से राहत मिलेगी और गाड़ियां चीन सीमा तक जा सकेंगी. बता दें कि इस सड़क को लेकर नेपाल ने ऐतराज भी जताया था. दरअसल नेपाल लिपुलेख दर्रे पर अपना दावा जता रहा है.
भारतीय वायुसेना को सशक्त करने की दिशा में इस साल अत्याधुनिक राफेल फाइटर जेट का भारत आना भी एक बड़ी उपलब्धि रहा. इस विमान के आ जाने से भारतीय वायुसेना की ताकत में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. भारत और फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट के बीच 36 एयरक्राफ्ट का सौदा हुआ था. यह सौदा 59 हजार करोड़ रुपए का था. इस सौदे के तहत इस साल फ्रांस से 8 फाइटर जेट भारत पहुंच चुके हैं. इस सौदे के बाकी बचे सभी विमान साल 2023 तक भारत पहुंच जाएंगे. बीते 23 साल के बाद भारत द्वारा लड़ाकू विमान का यह पहला बड़ा अधिग्रहण है. चीन के साथ जारी तनाव को देखते हुए राफेल जेट के बेड़े को पूर्वी लद्दाख में तैनात किया गया है.
राफेल जेट की खासियत है कि यह दो इंजन वाला फाइजर जेट है, जो परमाणु हथियारों को लेकर उड़ान भरने में सक्षम है. राफेल मीटियोर बियोन्ड विजुअल रेंज की एयर टू एयर मिसाइल और हवा से जमीन पर मार करने वाली स्कैल्प क्रूज मिसाइल से लैस है. स्कैल्प मिसाइल की रेंज करीब 300 किलोमीटर है. राफेल एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. इसकी भार क्षमता 9500 किलोग्राम है. लेकिन यह अधिकतम 24,500 किलोग्राम तक के वजन को उठाकर 60 घंटे की अतिरिक्त उड़ान भर सकता है. राफेल का टारगेट सिस्टम इसकी खूबी है जो कि 100 किमी के भीतर एक बार में 40 टारगेट का पता लगा सकता है.
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