"अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है..." ख्वातीन की आवाज़ "परवीन शाकिर" के यौमे वफात पर खास
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam815341

"अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है..." ख्वातीन की आवाज़ "परवीन शाकिर" के यौमे वफात पर खास

परवीन शाकिर की शायरी ख्वातीन के दिलों के काफी नज़दीक है. उनकी शायरी में वो दर्द और कर्ब है जो हर किसी को अपनी जानिब माइल करता हैं. 

फाइल फोटो

मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगी
वो झूठ बोलेगा और ला-जवाब कर देगा


दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन

उर्दू अदब की मारूफ़ शयरा परवीन शाकिर किसी तआरुफ़ की मोहताज नहीं. उनका नाम ज़हन में आते ही एक ऐसी शायरा की शक्ल सामने आ जाती है जिन्होंने ख्वातीन के अहसासात उनके जज़्बात को अपनी शायरी के ज़रिए एक अनोखे अंदाज़ में पेश किया.

परवीन शाकिर की शायरी ख्वातीन के दिलों के काफी नज़दीक है. उनकी शायरी में वो दर्द और कर्ब है जो हर किसी को अपनी जानिब माइल करता हैं. उनकी शायरी ज़्यादातर ख्वातीन और मोहब्बत के इर्द-गिर्द ही रही. उनके शेरी तख़्लीक़ात में खुश्बू, सदबर्ग, खुदकलामी, इनकार और माहे तमाम को उर्दू अदब में ख़ासा मक़ाम हासिल है. बेबाकी से अपनी बात कहने का उनका तरीक़ा सबसे मुनफरिद था जिसने लड़कियों को अपनी जानिब रागिब किया.

कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊंगी
मैंने अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाऊँगी

26 दिसंबर 1994 को एक सड़क हादसे में वो इस दुनियाए फानी से कूच कर गईं. परवीन शाकिर ने बहुत कम उम्र में काफी शोहरत हासिल की. भले ही वो आज हमारे दरमियान नहीं हैं लेकिन उनकी शायरी हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेगी. आइए पढ़तें हैं उनके कुछ चुनिंदा शेर. 

हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ 
दो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं 


कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने 
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की 


अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है 
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की 

इक नाम क्या लिखा तिरा साहिल की रेत पर 
फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही 


अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं 
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई 


वो मुझ को छोड़ के जिस आदमी के पास गया 
बराबरी का भी होता तो सब्र आ जाता 


मैं फूल चुनती रही और मुझे ख़बर न हुई 
वो शख़्स आ के मिरे शहर से चला भी गया


वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आया 
बस यही बात है अच्छी मिरे हरजाई की 


लड़कियों के दुख अजब होते हैं सुख उस से अजीब 
हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ साथ 


बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिन 
वो जानता था कि है एहतिमाम किस के लिए 

Zee Salaam LIVE TV

Trending news