Indore Eid: सलवाड़िया ने बताया कि परंपरा के तहत शहर काजी मोहम्मद इशरत अली को उनके राजमोहल्ला में मौजूद घर से बग्घी पर बैठाकर सदर बाजार के मुख्य ईदगाह लाया गया और सामूहिक नमाज के बाद वापस छोड़ा गया.
Trending Photos
इंदौर: मध्यप्रदेश के इंदौर में ईद से जुड़ी सांप्रदायिक सद्भाव की एक अनूठी परंपरा कोरोना के चलते थमने के कारण दो साल के बाद मंगलवार को बहाल हो गई. स्थानीय लोगों के मुताबिक 50 साल से ज्यादा पुरानी इस परंपरा के तहत एक हिंदू परिवार हर बार ईद के मौके पर शहर काजी को उनके घर से पूरे सम्मान के साथ बग्घी पर बैठाकर मुख्य ईदगाह ले जाता है और सामूहिक नमाज के बाद वापस छोड़ता है.
यह भी देखिए:
GDS recruitment 2022: भारतीय डाक विभाग ने निकाली बंपर भर्ती; 10वीं पास करें अप्लाई
स्थानीय नागरिक सत्यनारायण सलवाड़िया (56) ने न्यूज एजेंसी को बताया कि महामारी के कारण उनका परिवार पिछले दो साल से गंगा-जमुनी तहजीब की यह रिवायत नहीं निभा पा रहा था लेकिन इस साल रिवायत के बहाल होने से वह बेहद खुश हैं. सलवाड़िया ने बताया कि परंपरा के तहत शहर काजी मोहम्मद इशरत अली को उनके राजमोहल्ला में मौजूद घर से बग्घी पर बैठाकर सदर बाजार के मुख्य ईदगाह लाया गया और सामूहिक नमाज के बाद वापस छोड़ा गया. उन्होंने बताया कि उनके पिता रामचंद्र सलवाड़िया ने यह परम्परा करीब 50 साल तक निभाई. सलवाड़िया ने बताया,"साल 2017 में मेरे पिता के निधन के बाद यह परंपरा मैं निभा रहा हूं.’’
यह भी देखिए:
Loudspeaker Row: अब दिल्ली से हटेंगे लाउडस्पीक? मुख्यमंत्री को लिखा गया खत
शहर काजी मोहम्मद इशरत अली ने बताया,‘‘मेरे पिता मोहम्मद याकूब अली भी शहर काजी थे. साल 1990 में उनके इंतकाल से पहले, ईद के मौके पर सलवाड़िया परिवार उन्हें भी घर से पूरे सम्मान के साथ बग्घी पर बैठाकर ईदगाह ले जाता और वापस छोड़ता था. शहर काजी ने कहा कि इंदौर के मूल मिजाज में कौमी एकता व भाईचारा है और सलवाड़िया परिवार की परंपरा इसकी खूबसूरत बानगी पेश करती है. चश्मदीदों ने बताया कि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह भी मंगलवार को इस परंपरा के गवाह बने और उन्होंने शहर काजी को फूलों का हार पहनाकर उनका स्वागत किया.
ZEE SALAAM LIVE TV