कट्टर दुश्मन होने के बावजूद पाकिस्तान, भारत को क्यों बताता है अपने न्यूक्लियर राज !
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कट्टर दुश्मन होने के बावजूद पाकिस्तान, भारत को क्यों बताता है अपने न्यूक्लियर राज !

Despite being a staunch enemy why does Pakistan tell its nuclear secrets to India: भारत और पाकिस्तान दोनों आपसे में धुर-विरोधी देश हैं, इसके बावजूद दोनों पिछले 32 सालों से अपने परमाणु प्रतिष्ठानों के राज एक दूसरे से साझा करते आ रहे हैं.  

अलामती तस्वीर

नई दिल्ली/इस्लामाबाद; India and Pakistan exchange list of nuclear installations: भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के धुर-विरोधी देश हैं. दोनों के बीच आजादी के बाद से ही हमेशा तनातनी चलती रहती हैं. इसके अलावा पाकिस्तान भारत से तीन बार युद्ध भी कर चुका है, जिसमें उसे करारी हार का सामना करना पड़ा है. दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न देश (Atomic Power country) है. भारत ने कभी किसी देश को परमाणु हमले की धमकी नहीं दी है, लेकिन पाकिस्तान के सैन्य तनाशाह परवेज मुशर्रफ से लेकर वहां की महिला मंत्री शाजिया मर्री तक ने भारत पर परमाणु हमले की धमकी दे चुकी है. दोनों देशों के कश्मीर में सीमा विवाद को लेकर भी झाड़पें होती रहती हैं. 
इसके बावजूद भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) अपने-अपने देशों के परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट एक दूसरे से साझा करते हैं. इतवार को भी भारतीय विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के एक प्रतिनिधि को इस तरह की सूची सौंपी है, जबकि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग को पाकिस्तानी परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची दी है. अब सवाल उठाता है कि जब दोनों देश एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते हैं और एक-दूसरे को दुश्मन मानते हैं, तो फिर दोनों देश अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची एक-दूसरे से साझा क्यों करते हैं ? 

भारत को सबसे बड़ा खतरा मानता है पाक 
पाकिस्तान ने पहली बार 1998 में आधिकारिक तौर पर परमाणु हथियारों का परीक्षण किया था और तब से उसने परमाणु सक्षम मिसाइलों का एक महत्वपूर्ण जखीरा विकसित कर लिया है, जबकि भारत पाकिस्तान के पहले से एक परमाणु संपन्न राष्ट्र है, और देखा जाए तो पाकिस्तान का परमाणु प्रोग्राम सबसे ज्यादा भारत से संभावित खतरों को लेकर किया गया है. 

32 साल से जारी है ये परंपरा 
दरअसल पिछले 32 सालों से यह परंपरा भारत और पाकिस्तान के बीच जारी है. इस परंपरा के तहत दोनों देश हर साल एक जनवरी को अपने-अपने देशों के परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची एक-दूसरे से साझा करते हैं. 

1992 में पहली बार सूची का हुआ था आदान -प्रदान 
गौरतलब है कि पहली बार दोनों देशों के बीच यह समझौता 31 दिसंबर, 1988 को हुआ था और 27 जनवरी, 1991 से यह प्रभाव में आया था. पहली बार ऐसा एक जनवरी, 1992 को किया गया था और अबतक दोनों देशों के बीच इस तरह की सूचियों का लगातार 32वीं बार आदान-प्रदान किया जा चुका है. समझौते के तहत हर साल एक जनवरी को एक-दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों और केंद्रों की जानकारी देना अनिवार्य है. 

किस बात को लेकर हुआ है दोनों देशों के बीच करार 
इस करार के तहत दोनों पक्षों के एक-दूसरे के परमाणु संस्थानों पर हमला करने पर प्रतिबंध लगाया गया है. अगर दोनों देशों के बीच युद्ध भी छिड़ जाता है, तो वह एक-दूसरे के परमाणु केंद्रों पर हमला नहीं करेंगे. ऐसे करार दोनों देशों में बड़े पैमाने पर होने वाली जन हानि को रोकने के लिए किए गए हैं. पिछले साल एक भारतीय मिसाइल के गलती से पाकिस्तान में गिर जाने से दुनिया भर में इस बात को लेकर आशंका जाहिर की गई थी कि क्या भारत ने पाकिस्तान के किसी परमाणु प्रतिष्ठान को निशाना बनाकर हमले किए थे, लेकिन बाद में भारत सरकार ने स्थिति स्पष्ट की थी. 

Zee Salaam

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