'बुलबुल-ए-पाकिस्तान’ गायिका नैय्यरा नूर का निधन; भारत के असम से था खास रिश्ता
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'बुलबुल-ए-पाकिस्तान’ गायिका नैय्यरा नूर का निधन; भारत के असम से था खास रिश्ता

Pakistani singer Nayyara Noor passes away: पाकिस्तानी गायिका नैय्यरा नूर के चाहने वाले न सिर्फ पाकिस्तान में थे बल्कि भारतीय श्रोता भी उनसे उतनी ही मोहब्बत करते थे. उनके निधन पर दोनों मुल्कों में शोक की लहर दौड़ गई है.

नैय्यरा नूर

इस्लामाबादः पाकिस्तान की मशहूर गायिका नैय्यरा नूर (Pakistani singer Nayyara Noor) का कराची में एक बीमारी के बाद निधन ( passes away) हो गया है. उनके पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है. उनके परिवार में उनके पति शहरयार जैदी और दो बेटे अली और जाफर हैं. जियो न्यूज ने उनके परिवार के हवाले से खबर दी है कि इतवार को शाम चार बजे डीएचए स्थित मस्जिद/इमांबरगाह यासरब में उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया. डीएचए फेज 8 स्थित कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया. 71 वर्षीय नूर को ’बुलबुल-ए-पाकिस्तान’ की उपाधि दी गई और 1973 में सर्वश्रेष्ठ पाश्र्व गायक के लिए निगार पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया था. उनके निधन पर पाकिस्तान सहित भारत में भी लोगों ने गम का इजहार किया है और उन्हें खिराज-ए-अकीदत पेश की है. उनके चाहने वाले भारत में भी भरे पड़े हैं. 

असम के गुवाहाटी में हुआ था जन्म 
3 नवंबर, 1950 को असम के गुवाहाटी में जन्मीं नैय्यरा को बचपन से ही बेगम अख्तर की गाई गजलें, ठुमरी और कानन देवी के गाए भजन बहुत पसंद थे. जब वह सात साल की थीं, तभी मुल्क के बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था. उन्होंने बहुत कम उम्र में संगीत सीखना शुरू कर दिया था और 1968 में रेडियो पाकिस्तान पर उन्हें पहला ब्रेक मिला. ’रंग बरसात ने भरे कुछ तो’, ’फिर सावन रूथ की पवन चली तुम याद आए’, ’ऐ इश्क हम बरबाद ना कर’, ’बरखा बरसे छत पर’ और ’मैं तेरे सपने देखुं’ नूर की कुछ भावपूर्ण ग़ज़लें हैं.

प्रधानमंत्री ने जताया अफसोस 
नैय्यरा नूर के निधन पर अफसोस जताते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि नैय्यरा नूर के इंतकाल से संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है. पाकिस्तान की प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर पोस्ट किया, “गजल हो या गीत, नैय्यरा नूर ने जो भी गाया, उन्होंने उसे पूर्णता के साथ गाया है. नूर की मृत्यु से पैदा हुआ शून्य कभी नहीं भरेगा.“

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