सऊदी अरब और यूएई कैश के बोहरान से जूझ रहे पाकिस्तान के सबसे बड़े मददगार हैं.
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(ओआईसी) की कश्मीर पर तुंरत बैठक की बुलाने की पाकिस्तान की कोशिश नाकामयाब होती दिख रही है. ख़बरों के मुताबिक सऊदी अरब ने ऐसा कोई भी क़दम उठाने पर दिलचस्पी नहीं दिखाई है. ग़ौरतलब है कि सऊदी अरब के ज़रिए कश्मीर पर OIC मुल्कों के वज़ीरे खारजा की मीटिंग बुलाने का मंसूबा था. जिसे माना जा रहा था कि ये सऊदी अरब की पाकिस्तान को खुश करने की कोशिश थी क्योंकि पाकिस्तान ने 57 मुस्लिम अक्सरियत वाले मुल्कों की तंज़ीम OIC के मुकाबले में एक और नई तंज़ीम खड़ी करने की कोशिश के लिए मलेशिया में होने वाले इजलास में हिस्सा लेने से मना कर दिया था. पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म इमरान खान ने मलेशिया की मेज़बानी में होने वाले इजलास में शामिल होने की पहले मंज़ूरी दे दी थी लेकिन सऊदी अरब (Saudi Arabia ) और मुत्तेहिदा अरब अमीरात (UAE) के दबाव में आख़िरी वक्त में शामिल नहीं हुये. सऊदी अरब और यूएई कैश के बोहरान से जूझ रहे पाकिस्तान के सबसे बड़े मददगार हैं.
पाकिस्तान के एक बड़े अखबार ने सरकार के ज़राय के हवाले से बताया कि सीएफएम मीटिंग में इस मुद्दे को शामिल कराने में अपनी नाकामी से पाकिस्तान का अदमे इत्मिनान बढ़ता जा रहा है क्योंकि रियाद ने इस्लामाबाद कि गुज़ारिश पर कश्मीर पर मीटिंग में दिलचस्पी नहीं दिखाई है. ओआईसी अकवामे मुत्तहिदा के बाद दूसरी सबसे बड़ी तंज़ीम है और इसका मर्कज़ी दफ्तर जेद्दा मे है.ओआईसी का कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के तईं हिमायत का रुख रहा है. यहां तक कि कई बार उसने इस्लामाबाद की तरफदारी भी की है. हाल में अपने मलेशिया दौरे के दौरान पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म इमरान खान ने कश्मीर पर ओआईसी की ख़ामोशी पर नाराज़गी का इज़हार किया था. हालांकि, पाकिस्तान अपनी मांग पर कायम है. मलेशिया इजलास से पाकिस्तान की ग़ैरमौजूदगी के बाद दिसंबर में सऊदी अरब ने कश्मीर पर सीएफएम बुलाने की तजवीज़ पर कुछ लचीला रुख अपनाया था लेकिन अब उसका रुख बदला सा लग रहा है.