Taliban Danger for World Community: अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ने वाले व्रिदोही नेता अहमद मसूद ने कहा है कि मौजूदा तालिबान 2001 के तालिबान से भी ज्यादा बड़ा खतरा दुनिया के लिए पैदा कर सकता है.
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नई दिल्लीः अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित मोहम्मद गनी की सरकार को अपदस्थ कर 20 साल बाद दोबारा देश की सत्ता पर काबिज होने वाली तालिबान सरकार को लेकर विश्व समुदाय को उम्मीद थी कि तालिबान इतने सालों में अब बदल चुका होगा और अब कट्टरपंथ और आतंक का रास्ता छोड़कर शांति और विकास के मार्ग पर चलेगा. लेकिन तालिबान को लेकर किया गया ये आकलन सही साबित नहीं हुआ है. अफगानिस्तान में लैंगिक समानता, महिला शिक्षा या आतंकवाद का मुद्दा हो, कहीं भी 20 साल पुराने तालिबान और आज के तालिबान में कोई फर्क नहीं दिखाई दे रहा है.
पूरी दुनिया में फैलाना चाहते हैं चरमपंथी विचारधारा
अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ने वाले अहमद मसूद ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया है कि अफ़ग़ानिस्तान आज दुनिया के लिए 2001 से भी कहीं बड़ा ख़तरा बन चुका है. अहमद मसूद को डर है कि इतिहास फिर से ख़ुद को दोहरा रहा है. उन्होंने कहा कि उनका मुल्क एक बार फिर इस्लामिक स्टेट और अल क़ायदा समेत दर्जनों चरमपंथी समूहों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है. ये तमाम संगठन अपनी चरमपंथी विचारधारा को दुनियाभर में फैलाना चाहते हैं.
तालिबान को लेकर कभी अहमद मसूद के पिता ने भी दुनिया को दी थी चेतावनी
अहमद मसूद ने पूरी दुनिया को अफ़ग़ानिस्तान को नज़रअंदाज़ न करने की चेतावनी देते हुए कहा है कि विश्व समुदाय को तुरंत अफगानिस्तान पर ध्यान देकर वहां एक चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार के गठन का रास्ता साफ करना चाहिए. अहमद मसूद ने कहा है कि मैं ये उम्मीद करता हूं कि दुनिया और ख़ासतौर पर यूरोप अफ़ग़ानिस्तान में पैदा हो रहे इस ख़तरे को समझेगा.उल्लेखनीय है कि अहमद मसूद के पिता अहमद शाह मसूद ने भी अमेरिका पर हुए अल्कायदा के हमले के पहले दुनिया को तालिबान को लेकर चेताया था, इसके बाद उनकी हत्या कर दी गई थी. अहमद मसूद कहते हैं कि उनके पिता की चेतवानी पर ध्यान नहीं दिया गया जिसका खामियाजा अमेरिका को भुगतना पड़ा. वह कहते हैं, "अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा हालात उनके पिता के दौर के हालात से भी कहीं ज्यादा ख़तरनाक़ हो गई है."
कौन है अहमद मसूद
अहमद मसूद तालिबान के खि़लाफ़ लड़ने वाले चर्चित नेता अहमद शाह मसूद के बेटे हैं. अहमद शाह मसूद की साल 2011 में अमेरिका पर हुए अल क़ायदा के हमलों से दो दिन पहले हत्या कर दी गई थी. वह अफगानिस्तान में तालिबान को चुनौती देते थे. अब ये काम उनके बेटे अहमद मसूद कर रहे हैं. मसूद का काबुल के उत्तर में स्थित पंजशीर प्रांत में ख़ासा प्रभाव रहा है. मसूद के पास इस वक़्त 3 हज़ार से ज्यादा हथियारबंद लड़ाकें हैं. उनके लड़ाके तालिबान के खिलाफ लड़ रहे हैं.
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