प्रस्ताव में मांग की गई है कि अफगानिस्तान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने या किसी देश पर हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए न किया जाए
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संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने भारत की मौजूदा अध्यक्षता में सोमवार को अफगानिस्तान के हालात पर एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें मांग की गई है कि युद्ध प्रभावित देश का इस्तेमाल किसी देश को डराने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए नहीं किया जाए.
इस प्रस्ताव को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने पेश किया. परिषद के 13 मेंबर देशों के ज़रिए प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिये जाने के बाद इसे पास कर दिया गया, जबकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस और चीन मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे.
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प्रस्ताव में मांग की गई है कि अफगानिस्तान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने या किसी देश पर हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए न किया जाए.
प्रस्ताव में तालिबान के ज़रिए 27 अगस्त को जारी किए गए बयान पर गौर किया गया, जिसमें संगठन ने इस बात को लेकर प्रतिबद्धता जतायी थी कि अफगानिस्तान के लोग विदेश यात्रा कर सकेंगे, वे जब चाहें अफगानिस्तान छोड़ सकते हैं और वे दोनों हवाई एवं सड़क के ज़रिए से किसी भी सीमा से अफगानिस्तान से बाहर जा सकते हैं, जिसमें काबुल हवाई अड्डे को फिर से खोलना और उसे सुरक्षित करना शामिल है, जहां से कोई भी उन्हें यात्रा करने से नहीं रोकेगा.
श्रृंगला ने कहा कि प्रस्ताव मानवाधिकारों, खास तौर पर अफगान महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के साथ-साथ समावेशी बातचीत और अफगानिस्तान को मानवीय सहायता को देते रहने की अहमियत को भी मंजूरी देता है. उन्होंने कहा कि ये प्रस्ताव के कुछ प्रमुख पहलू हैं जिन पर भारत ने रोशनी डाली है. इस महीने भारत की अध्यक्षता में, सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान को लेकर 3, 16 और 27 अगस्त को तीन प्रेस वक्तव्य जारी किये हैं.
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