याद करो कुर्बानी: 1.5 किमी तक दुश्‍मन को संगीन से काटते चले गए लांस नायक एक्‍का
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याद करो कुर्बानी: 1.5 किमी तक दुश्‍मन को संगीन से काटते चले गए लांस नायक एक्‍का

लांस नायक अलबर्ट एक्‍का की कर्तव्य के प्रति निष्‍ठा, बहादुरी, युद्ध कौशल और मातृभूति के लिए दिए गए सर्वोच्‍च बलिदान के लिए उन्‍हें सेना के सर्वोच्‍च पुरस्‍कार परमवीर चक्र से सम्‍मानित किया गया था.

याद करो कुर्बानी: 1.5 किमी तक दुश्‍मन को संगीन से काटते चले गए लांस नायक एक्‍का

नई दिल्‍ली: याद करो कुर्बानी की 8वीं कड़ी में 1971 के भारत-पाक युद्ध में देश के लिए सर्वोच्‍च बलिदान देने वाले लांस नायक अलबर्ट एक्‍का की वीर गाथा बताने जा रहे हैं. लांस नायक अलबर्ट एक्‍का का जन 27 दिसंबर 1942 को रांची में हुआ था. उनके सैन्‍य जीवन की शुरुआत 27 दिसंबर 1962 को भारतीय सेना की 14 गार्ड्स के साथ हुई थी. 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान दुश्‍मन सेना अगरतला से करीब 6.5 किमी दूरी पर स्थित गंगा सागर तक पहुंचने में कामयाब हो गई थी. गंगा सागर में मौजूद दुश्‍मन सेना न केवल संख्‍याबल में बेहद मजबूत थी, बल्कि भौगोलिक स्थिति के चलते उसकी पोजीशन बेहद सुदृढ़ थी. इस दौरान, भारतीय सेना के लिए सबसे बड़ी चुनौती गंगा सागर को दुश्‍मन सेना से मुक्‍त कराने की थी. इस चुनौती को पूरा किए बिना पूर्वी पाकिस्‍तान (बांग्‍लादेश) की सीमा पर स्थिति अखौरा पर भारतीय सेना का कब्‍जा संभव नहीं था. लिहाजा, गंगा सागर को दुश्‍मन सेना से मुक्‍त कराने की जिम्‍मेदारी 14 गार्ड्स को दी गई.

  1. गोलियों की बौछार भी लांस नायक एक्‍का को रोकने में रही नाकाम
  2. लांस नायक एलबर्ट एक्‍का की बहादुरी देख भौचक्‍का हुआ दुश्‍मन
  3. एमएमजी से गोलियां बरसा रहे दुश्‍मनों को संगीन से किया खामोश

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4 दिसंबर 1971 को हुआ दुश्‍मन सेना पर हमला
अपनी जिम्‍मेदारियों का निर्वहन करते हुए 14 गार्ड्स ने 4 दिसंबर 1971 ने गंगा सागर पर मौजूद दुश्‍मन सेना को अंजाम तक पहुंचाने का अभियान शुरू कर दिया. लांस नायक अलबर्ट एक्‍का को लेफ्ट फॉरवर्ड कंपनी के साथ हमले के लिए भेजा गया था. 14 गार्ड्स की यह कंपनी लगातार गंगा सागर पर मौजूद दुश्‍मन सेना की तरफ बढ़ रही थी. भारतीय सेना को अपनी तरफ आता देख, दुश्‍मन सेना ने भारतीय जवानों पर गोलियों, ग्रेनेड और बारूद के गोलों की बरसात शुरू कर दी. इस गोलीबारी में 14 गार्ड्स के कई जवानों ने देश के लिए अपना सर्वोच्‍च बलिदान दे दिया.

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गोलियों की बौछार भी लांस नायक एक्‍का को रोकने में रही नाकाम
चुनौतियों से भरी इस घड़ी ने लांस नायक अलबर्ट एक्‍का ने शांत दिमाग से दुश्‍मन की लोकेशन को खोजना शुरू कर दिया. जल्‍द ही लांस नायक एक्‍का की निगाहों ने दुश्‍मन सेना के उस बंकर को खोज निकाला, जहां से दुश्‍मन खतरनाक गोलीबारी कर रहा था. दुश्‍मन सेना के इसी बंकर से हो रही गोलीबारी के चलते लांस नायक एक्‍का के कई साथी शहीद हो गए थे. अपनी जान की परवाह किए बिना लांस नायक एक्‍का अपना रुख दुश्‍मन सेना के उस बंकर की तरफ कर दिया. लांस नायक एक्‍का को अपनी तरफ आता देख दुश्‍मन सेना ने उन पर भी गोलियों की बौछार कर दी. 

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लांस नायक एक्‍का की बहादुरी देख भौचक्‍का हुआ दुश्‍मन
लांस नायक अलबर्ट एक्‍का के युद्ध कौशल के सामने पाकिस्‍तानी सेना की यह कोशिश नाकाम रही. गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद लांस नायक एक्‍का दुश्‍मन सेना के बंकर तक पहुंचने में कामयाब रहे. लांस नायक एक्‍का को सामना खड़ा देख दुश्‍मन सेना भौचक्‍की रह गई. दुश्‍मन सेना को कुछ समझ में आता, इससे पहले लांस नायक एक्‍का ने अपनी संगीन से दुश्‍मन सेना के दो जवानों को मौत की नींद सुला दिया. लांस नायक अलबर्ट एक्‍का ने अकेले ही न केवल इस बंकर पर कब्‍जा कर लिया, बल्कि अपनी बहादुरी से भारतीय सेना के लिए जीत का पहला रास्‍ता खोल दिया.

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लांस नायक अलबर्ट एक्‍का की बहादुरी और युद्ध कौशल की वजह से भारतीय सेना अंतत: अकौरा पर अपना कब्‍जा जमाने में कामयाब रहीं.

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भारतीय सेना के लिए खोजा जीत का द्वार
गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद लांस नायक अलबर्ट एक्‍का ने अपनी विजय अभियान यहीं नहीं रोका. वह एक के एक दुश्‍मन सेना के बंकरों को निशाना बनाते हुए उन पर विजय हासिल करते गए. लांस नालक अलबर्ट एक्‍का का यह विजय अभियान करीब 1.5 किमी तक लगातार जारी रहा. वह दुश्‍मनों को पटखनी देते हुए अपने साथियों के साथ लक्ष्‍य के उत्‍तरी छोर तक पहुंचने में कामयाब रहे. तभी अचानक दुश्‍मन सेना ने पत्‍थर से बने दो मंजिला बंकर से लांस नायक एक्‍का और उनके साथियों पर गोली बरसाना शुरू कर दी. दुश्‍मन सेना की इस गोलीबारी में भारतीय सेना को अपने कई जवानों की शहादत देनी पड़ी. नतीजतन, भारतीय सेना को कुछ देर के लिए अपना विजय अभियान रोकना पड़ा. 

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एमएमजी से गोलियां बरसा रहे दुश्‍मनों को संगीन से किया खामोश
मुश्किल की इस घड़ी में लांस नायक अलबर्ट एक्‍का की बहादुरी और युद्ध कौशल ने भारतीय सेना को एक बार फिर नई ऊर्जा दी. लांस नायक अलबर्ट एक्‍का ने एक बार फिर अपनी जान की बाजी लगाते हुए दुश्‍मन सेना के बंकर को निशाना बनाने का फैसला किया. दुश्‍मन सेना के बंकर से लगातार हो रही फायरिंग के बीच लांस नायक एलबर्ट एक्‍का लुढ़कते हुए अपने लक्ष्‍य तक पहुंचने में कामयाब रहे. लांस नायक अलबर्ट एक्‍का ने बिना समय गंवाए ग्रेनेड दुश्‍मन सेना के बंकर में फेंक दिया. जिसमें दुश्‍मन सेना के एक सैनिक की मौत हो गई और कई दुश्‍मन सैनिक घायल हो गए. बावजूद इसके, दुश्‍मन सेना के बंकर से भारतीय जवानों पर अभी भी एमएमजी से गोलीबारी जारी थी. अपने साथियों की जान बचाने के लिए लांस नायक अलबर्ट एक्‍का बेहद खामोशी से बंकर की दूसरी दीवार की तरफ बढ़े और अपनी संगीन से दुश्‍मनों को मौत की नींद सुला दिया.

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वीरगति को प्राप्‍त हुए लांस नायक अलबर्ट एक्‍का
भारतीय सेना पर मौत बरसा रहीं दुश्‍मन की एमएमजी अब खामोश हो चुकी थी. वहीं, लांस नायक अलबर्ट एक्‍का के गहरे जख्‍मों ने अब अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था. लांस नायक अलबर्ट एक्‍का इसी रणक्षेत्र में वीरगति को प्राप्‍त हो गए. लांस नायक अलबर्ट एक्‍का की बहादुरी और युद्ध कौशल की वजह से भारतीय सेना अंतत: अकौरा पर अपना कब्‍जा जमाने में कामयाब रहीं. लांस नायक अलबर्ट एक्‍का की कर्तव्य के प्रति निष्‍ठा, बहादुरी, युद्ध कौशल और मातृभूति के लिए दिए गए सर्वोच्‍च बलिदान के लिए उन्‍हें सेना के सर्वोच्‍च पुरस्‍कार परमवीर चक्र से सम्‍मानित किया गया. 

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