Trending Photos
जिस गति से हमारा जीवन चल रहा है, कभी-कभी लगता है यह 'मैराथन समय' है. हर कोई दौड़ रहा है. भयानक तेजी से. कोई नियम नहीं है. गुणवत्ता नहीं. बस दौड़ना है. एक के बाद दूसरी दौड़, बिना किसी सूचना के शुरू हो जाती है. इसमें हर कोई हिस्सा ले रहा है. दूसरे को टंगड़ी मारने जैसी बातें हर पल घट रही हैं. ऐसी बातों की सब शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन शिकायत करते-करते भी एक दूसरे को टंगडी मारने से बाज नहीं आ रहे हैं.
और पढ़ें : डियर जिंदगी : दिल के दरवाजे खुले रखें, जिंदगी रोशन रहेगी
चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे हैं. हर कदम पर. हर मोड़ पर कैमरे लगे हुए हैं. रोशनी के इंतजाम पग-पग पर हैं. उसके बाद भी मन में गहरा अंधेरा है. लाख कोशिशों के बाद भी रोशनी न जाने क्यों बीच सफर में अटकी पड़ी है. जीवन अपनी गति से हार रहा है. चलते-चलते हम थक कर चूर हो गए, लेकिन अवकाश के लिए समय नहीं है. ठहरने का वक्त ही नहीं. थमने का ख्याल अपने साथ 'अपराध' जैसी भावना लिए हुए है. यह गति हमें पागल बना रही है. बच्चों को असमय बूढ़ा बना रही है. जवान को असमय बुजुर्ग और बुजुर्ग को नितांत अकेला, निसहाय.
'डियर जिंदगी' के सभी लेख यहां हैं...
जॉं निसार अख़्तर साहब ने कितनी खूबसूरत बात कही है...'ये क्या है कि बढ़ते चलो, बढ़ते चलो आगे, जब बैठ के सोचेंगे तो कुछ बात बनेगी.' जिंदगी नदी की यात्रा जैसी है. नदी का जीवन निरंतरता में है, वैसे ही हमारे जीवन की सुगंध भी सतत यात्रा में है. नदी के लिए बाढ़ क्या है, अनियंत्रित गति. इससे नदी का जीवन तहस-नहस हो जाता है. अत्यधिक गति हमारे जीवन में बाढ़ का प्रवेश है. जरूरत से अधिक तेजी जीवन के तटों को तबाह कर रही है.
जिंदगी में आगे बढ़ते रहने जितना ही जरूरी ठहराव भी है. ठहरने का सौंदर्य भी गति जितना ही है. इससे जीवन में निखार आता है. गतिशील होना कोई बड़ी बात नहीं. लेकिन गति के बीच ठहरते हुए चलना एक कला है.
और पढ़ें : डियर जिंदगी : आपके पास कितनी कहानियां हैं...
दोस्तों, गप्प करने के लिए समय, राजनीति, क्रिकेट और करियर की छाया से दूर होने वाला चिंतन वास्तव में जिंदगी का 'रिचार्ज' पैक है. इससे जीवन के आनंद को हम कई गुना विस्तार दे देते हैं. जरा, ठहर कर सोचिए दोस्तों, परिवार, पड़ोसियों के लिए और उन बुजुर्गों के लिए जिनकी छाया ने आपके जीवन की सारी धूप सही है.
और पढ़ें : डियर जिंदगी : हम बदलाव के लिए कितने तैयार हैं...
थोड़ा ठहरिए. थोड़ा रुकिए. फिर चलिए. जिंदगी चलने का नाम है. जैसे रेलगाड़ी. सबको अपने साथ चलने का अवसर देते हुए. सबके लिए जगह बनाते हुए. अपरिचितों के लिए रुकते हुए. जिंदगी मैराथन नहीं है, जिसमें हर कोई बस जीतने के लिए दौड़े.
(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)
(https://twitter.com/dayashankarmi)
(अपने सवाल और सुझाव इनबॉक्स में साझा करें: https://www.facebook.com/dayashankar.mishra.54)