डियर जिंदगी : कितना वक्‍त हुआ अपने मन से मिले हुए ...
Advertisement
trendingNow1331786

डियर जिंदगी : कितना वक्‍त हुआ अपने मन से मिले हुए ...

दोस्‍त आपके मूल्‍यों के संरक्षक,जीवन के सहभागी है.

हम बाहरी आवाजों के शोर में इतने उलझे कि भीतर की आवाज हम तक पहुंचना ही बंद हो गई. हमारा खुद से संवाद का सिलसिला रुका नहीं, खत्‍म हो गया. हम सब सुन रहे हैं, सबकी सुन रहे हैं, लेकिन मन के दरवाजे पर अपनी अंर्तध्‍वनि के लिए हमारे पास अवकाश नहीं है. बाहर का शोर हमारी चेतना पर भारी पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: डियर जिंदगी : दिल के दरवाजे खुले रखें, जिंदगी रोशन रहेगी  

यह शोर एकाएक नहीं आया. यह मनुष्‍य की जगह विज्ञान को महत्‍व देने के शुरुआती परिणाम की एक झलक है. सामाजिक जीवन एकाकी होने लगा है. इतना अकेला कि परिवार के संवाद का समय दूसरों की 'फ्रेंडशिप लिस्‍ट' क्लियर करने में खत्‍म हो रहा है. अब तो यह भी हो रहा है कि एक जगह चार दोस्‍त बैठे हैं, चारों मोबाइल में व्‍यस्‍त है. मजेदार बात यह भी कि दो घंटे साथ गुजारने के बाद चारों यह सोचकर संतुष्‍ट हो जाते हैं कि चलो मिलना हो गया. काफी दिनों से टल रहा था.  

यह हमारे अकेले होते जाने, संवाद से कटते जाने की प्राथमिक अवस्‍था है. अपनों से टूटता संवाद, अपने लिए समय की कमी हमारे भीतर बढ़ते रुखेपन का सबसे बड़ा कारण है. जैसे स्‍वाद के दो केंद्र हैं, नमक और शक्‍कर. वैसे ही जीवन के दो स्‍पष्‍ट केंद्र, मित्र और स्‍व-संवाद है. दोस्‍त आपके मूल्‍यों के संरक्षक,जीवन के सहभागी है. उनकी अनदेखी, उनसे प्रतिस्‍पर्धा जीवन के स्‍वाद को निरंतर घटाने का काम करती है. मित्रों के साथ तनाव जीवन रस को इतना गड़बड़ कर सकता है, कि वह पूरे जीवन की दिशा ही बदल दे. मित्रों के बराबर योगदान 'स्‍व' संवाद का है. 

डियर जिंदगी के सभी लेख यहां

हम खुद से कितनी बात करते हैं, खुद के लिए कितना समय देते हैं. इससे हमारे चेतन, अवचेतन मन का गहरा संबंध है. जो खुद को समय नहीं देते, स्‍वयं के व्‍यवहार, अध्‍ययन और निष्‍कर्ष के बारे में खुद बात नहीं करते. उनका अपने व्‍यवहार, जीवन पर नियंत्रण कम होता जाता है. उनके जीवन, विचारों पर 'दूसरों' का कब्‍जा होता जाता है.
 
याद रखिए कि अतिक्रमण कभी अच्‍छा नहीं होता. न समाज के लिए, न आपके मन के लिए. जैसे ही आपके स्‍व-संवाद में बाधा आती है, आपके निर्णयों पर दूसरों के विचारों की झलक शुरू हो जाती है. क्‍योंकि आप खुद निर्णय लेने से डरते हैं, आप चाहते हैं आपके लिए जीवन भर कोई दूसरा निर्णय लेता रहे. दूसरा, जब हमारा काम करने लगेगा, तो क्‍या होगा! 

ये भी पढ़ें: डियर जिंदगी : सबसे बड़ी मुश्किल, एक ही सपने से चिपके रहना...

वह आखिर तक दूसरा ही रहेगा, कभी भी आपका काम कोई दूसरा नहीं कर सकता. लेकिन अधिकांश लोग जीवन के इस तत्‍व की अनदेखी करते हैं. उनके पास अपने लिए समय नहीं है, जिसके पास अपने लिए समय नहीं है, वह दूसरों के लिए 'क्‍वालिटी टाइम' कहां से लाएगा. हां, जीवन जरूर इस झूठे एहसास के साथ बिता देता है कि मेरे पास पास दोस्‍तों, परिवार के लिए 'समय' है. यह ठीक वैसे ही जैसे आपके घर में पीने का साफ पानी है, तो आप अपने घर में आए मेहमान के लिए साफ पानी कहां से लाएंगे.  

इसलिए, जीवन कितना भी व्‍यस्‍त हो अपने लिए समय निकालिए. ध्‍यान रखें कि व्‍यस्‍त लोग समय की कमी की उतनी बात नहीं करते, जितनी वह करते हैं, जिनके पास समय 'बेरोजगार' है. बारिश की बूंदें आपके घर-आंगन में पहुंचने लगी हैं. किसी शाम, रात जब बारिश दरवाजे पर हो. टीवी, मोबाइल और फ्र‍िज को भी कुछ पलों के लिए स्‍विच ऑफ करके, पहले बारिश को सुनने, महसूस करने की कोशिश करें. शायद, आप मन की ध्‍वनियों को आसानी से सुन पाएं. 

(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)

(https://twitter.com/dayashankarmi)

(अपने सवाल और सुझाव इनबॉक्‍स में साझा करें: https://www.facebook.com/dayashankar.mishra.54)

Trending news