अब नहीं छिप सकेगा चांद का कोई राज, इसरो ने चंद्रयान-2 अभियान में किया फेरबदल
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अब नहीं छिप सकेगा चांद का कोई राज, इसरो ने चंद्रयान-2 अभियान में किया फेरबदल

चंद्रयान-2 को पहले अक्‍टूबर में ही भेजा जाना था. लेकिन अब जनवरी 2019 में इसे रवाना करने का हो रहा है दावा.

(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने महत्‍वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 में तब्‍दीली करने की तैयारी कर रहा है. पहले इसरो चंद्रयान-2 अभियान के तहत चांद पर एक शोध यान उतारने की तैयारी कर रहा था, लेकिन अब इस अभियान के तहत इसरो इस शोध यान को चांद पर उतारने से पहले उसे उसकी कक्षा में उसे स्‍थापित करेगा. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक इसरो इसके जरिये उस शोध यान की बैटरी समेत अन्‍य तकनीकी प्रणालियों का परीक्षण करेगा.

  1. चांद की सतह पर उतरने से पहले उसकी कक्षा का चक्‍कर लगाएगा चंद्रयान-2
  2. कांप्रेहेंसिव टेक्निकल रिव्‍यू की चौथी बैठक में मिली मंजूरी
  3. इसरो खुद ही अपनी तकनीक से बना रहा है लैंडर

वायुमंडल को समझने की कोशिश
पहले इसरो के चंद्रयान-2 अभियान के तहत शोध यान को ऑर्बिटर से अलग होने के बाद सीधे चांद की सतह पर उतरना था. इसके बाद वहां की जमीन पर चलकर शोध करना था. लेकिन अब इस नई योजना के जरिये इस शोध यान को चांद पर उतारने से पहले उसकी अंडाकार कक्षा और वायुमंडल को समझने की भी कोशिश की जाएगी. इस शोध यान के जरिेये इसरो चांद के कई राज उजागर कर सकेगा.

खुद बना रहा है इसरो
बता दें कि चंद्रयान-2 अभियान के लिए इसरो ने पहले रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकोस्‍मोस से करार किया था. इसके तहत रॉसकोस्‍मोस को इसरो को लैंडर (चांद पर उतारा जाने वाला शोध यान) उपलब्‍ध कराना था. लेकिन बाद में इसरो ने इस अभियान को खुद ही आगे बढ़ाने का फैसला लिया. अब इसरो खुद ही अपनी तकनीक से लैंडर बना रहा है. 

बैठक में मिली मंजूरी
हालांकि अभी यह निश्चित नहीं हो पाया है कि चांद की सतह पर उतरने के बाद शोध यान (रोवर) कितनी दूरी तय करेगा. लेकिन माना जा रहा है कि यह शोध यान चांद के एक हिस्‍से पर 100 किमी और दूसरे हिस्‍से पर करीब 30 किमी की दूरी तय कर सकता है. 19 जून को आयोजित हुई चौथी कांप्रेहेंसिव टेक्निकल रिव्‍यू (सीटीआर) की मीटिंग में इस नई योजना के तहत चंद्रयान-2 की बनावट और प्रणाली में बदलाव करने को मंजूरी दे दी गई है. इसमें सामने आया है कि इस नई योजना के लिए लैंडर में पांचवां तरल इंजन होना चाहिए. इससे उसे चांद की कक्षा में अधिक भार को वहन करने में आसानी होगी. इसी के साथ ही एक ट्रांसपोंडर की भी जरूरत जताई गई है.

अभियान में देरी
वैज्ञानिकों का कहना है कि इन नए बदलावों को करने के बाद सभी नए हार्डवेयर का परीक्षण किया जाएगा और इसके बाद उसका फैब्रिकेशन शुरू किया जाएगा. इसके कारण इस प्रोजेक्‍ट में देरी हो रही है. इसरो ने इससे पहले जानकारी दी थी कि चांद पर उतरने के भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण को टाल दिया गया है. चंद्रयान-2 को इससे पहले अक्‍टूबर में ही भेजा जाना था लेकिन अब भारत का यह सपना जनवरी 2019 से पहले पूरा नहीं हो पाएगा. एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी थी.

टलता गया अभियान
चंद्रयान-2 को सबसे पहले अप्रैल में ही पृथ्वी से रवाना किया जाना था. इस साल की शुरुआत में इसरो ने सैन्य उपग्रह जीएसएटी-6ए प्रक्षेपित किया था लेकिन इस उपग्रह के साथ इसरो का संपर्क टूट गया था. इसके बाद इसरो ने फ्रेंच गुयाना से प्रक्षेपित होने वाले जीएसएटी-11 के प्रक्षेपण को यह कहते हुए टाल दिया था कि इसकी कुछ अतिरिक्त तकनीकी जांच की जाएगी.

जनवरी 2019 में हो सकता है रवाना
इन दो बड़ी असफलता के बाद इसरो चंद्रयान-2 के साथ एहतियात बरत रहा है क्योंकि चंद्रयान-1 और मंगलयान मिशन के बाद चंद्रयान-2 इसरो के लिए एक बहुत बड़ा मिशन है. किसी भी खगोलीय पिंड पर उतरने का इसरो का यह पहला मिशन है. अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, “ हम कोई भी जोखिम मोल नहीं लेना चाहते हैं.’’ उन्होंने बताया कि अब चंद्रयान-2 मिशन को जनवरी में रवाना किया जा सकता है.

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