डियर जिंदगी : ‘अजब’ प्रेम कहानी और रिश्‍तों का कंक्रीट संसार…
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डियर जिंदगी : ‘अजब’ प्रेम कहानी और रिश्‍तों का कंक्रीट संसार…

सच! इतना विचित्र और बहुआयामी है कि वह खुद को समय समय पर कल्‍पना से बहुत बाहर की चीज़ साबित करता रहता है. हम जीवन के बारे में जितना जानते हैं, अनेक अवसरों पर वह और अधिक चौंकाने वाले परिणाम देता है.

डियर जिंदगी : ‘अजब’ प्रेम कहानी और रिश्‍तों का कंक्रीट संसार…

सच! इतना विचित्र और बहुआयामी है कि वह खुद को समय समय पर कल्‍पना से बहुत बाहर की चीज़ साबित करता रहता है. हम जीवन के बारे में जितना जानते हैं, अनेक अवसरों पर वह और अधिक चौंकाने वाले परिणाम देता है.

कुछ ही बरस पहले की बात है, भारतीय समाज में तलाक एक ऐसा प्रश्‍न था, जिसका नाम सुनते ही सब चौंक जाते थे. अरे, यह कैसे होगया. बीते एक दशक में अब हालात यह होते जा रहे हैं कि कुछ बरस बाद जो सफल, सेहदमंद और सुखी हैं, अगर वह एक साथ रह रहे हैं, तो लोग सवाल कर सकते हैं कि अरे, आप दोनों तो इतने बरस बात भी साथ रह रहे हैं.

मेरी बात आपकी पहली नजर में कुछ अजनबी, अजब सी लग सकती है, लेकिन हमारा समाज और रिश्‍ते भयानक उथल-पुथल की ओरजा रहे हैं. वह समाज जहां अब रिश्‍ते मोटे तौर पर एक जीवन का पर्याय थे, वह पहचान बदल रही है, बेहद तेजी से.

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एक कहानी जो फिल्‍मी स्क्रिप्‍ट सी लगती है, चंद रोज पुरानी असल जिंदगी का ‘सच’ है. रिश्‍तों में आ रहे नए मोड़ को बयां करती है.

एक युवा जो प्रतिभाशाली, एक मध्‍यमवर्गीय परिवार से आता था. उसे उसके समान हैसियत की लड़की से प्रेम हो गया. लेकिन संयोग सेलड़की की प्राथमिकता प्रेम नहीं थी, उसने करियर चुना. लड़का भी अपनी महत्‍वाकांक्षा प्रेम को तनिक ही पीछे रख सका. उनके परिवारमें भी इसे लेकर सहमति नहीं थी, इसलिए बात बनी नहीं.

बात नहीं बनी, तो नहीं बनी. दोनों अपने–अपने रास्‍ते निकल गए. आगे चलकर उस युवा ने अच्‍छी नौकरी हासिल की, उसे एक बार फिर प्रेम हुआ, इस बार उसने थोड़ा विरोध सहने का मन बनाया, उसने प्रेम विवाह किया. दो बच्‍चे हैं, बेटा बारह और बेटी तीन बरस की.

शादी के इतने बरस बाद. जब जिंदगी सुकून, सुखद गति से आगे बढ़ रही थी. एक दिन फेसबुक पर एक मैसेज ने एक साथ अनेक जिंदगियों में भूचाल ला दिया.

कोई डेढ़ दशक पुरानी अधूरी प्रेम कहानी फिर जिंदगी में लौट आई. वह लड़की जो करियर की खोज़ में प्रेम को छोड़ गई थी, उसने उस युवा की जिंदगी में प्रवेश कर लिया.

उसने अपने मित्र, जिनके बीच कभी प्रेम था, उसे बताया- ‘तुम्‍हें तो पता है, मैं अपने करियर को लेकर कितनी जज्‍बाती थी. इसलिए इन पंद्रह बरसों में मैंने प्रेम, विवाह के बारे में सोचा ही नहीं. अब मैंने वह सब हासिल करने के बाद जब जिंदगी की ओर देखा, तो तुम्‍हारी याद आई. तो सोचा चलो मिलें.’

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उस युवती ने अपनी बात कुछ ऐसे खत्‍म की, ‘लेकिन कोई बात नहीं, अब तुम्‍हारा परिवार बसा हुआ है, तुम एक बढि़या जिंदगी जी रहे हो तो इस बात को यहीं खत्‍म करते हैं.’

यह अफसाना शायद यहीं खत्‍म हो जाता. लेकिन कुछ और मुलाकातों ने उन साहब की जिंदगी में ‘मोड़’ ला दिया. ऐसा मोड़ जिसकाअंजाम इन परिवारों को किसी भी हद तक भुगतना पड़ सकता है.

अब व‍ह अपनी दूसरी प्रेमिका, जो उनकी पत्‍नी भी है, उनके समेत दोनों बच्‍चों से तलाक चाहते हैं. दोनों परिवार मध्‍यमवर्गीय मूल्‍यों वाले हैं. दोनों नहीं, बल्कि तीनों कहिए. तीनों ही यह नया रिश्‍ता नहीं चाहते, लेकिन यह नया रिश्‍ता आकार ले चुका है. युवा की पत्‍नी ने सारे कथित आकर्षक प्रस्‍ताव ठुकरा दिए हैं. वह बस इतना चाहती हैं कि उनका परिवार एक साथ रहे.

वह प्रेमिका जो जिंदगी में लौटी हैं, अपने हाथ यह कहकर पीछे बांध लिए कि अगर वह युवक न चाहे तो उन्‍हें कोई समस्‍या नहीं. भारत के दूर किसी सुंदर, सुरीले प्रदेश से संबंध रखने वाले इस युवा का परिवार कोई बीस बरस पहले नोएडा में आ बसा था. लेकिन लगता है कि उसके मन में भी प्रेम की मिट्टी और रिश्‍तों के उजास में नोएडा का कंक्रीट बैठ गया है.

यहां बताना जरूरी है कि इस नितांत मन के प्रश्‍न और रिश्‍तों की तिलस्‍मी दुनिया के बारे में हम यहां कोई राय नहीं दे रहे हैं. हम तो बस एक सवाल उठा रहे हैं कि जिंदगी के किरदार अनायास कैसे एक-दूसरे के बारे में ‘राय’ बदल लेते हैं.

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कैसे साथ चलने वालों के सफर बदल जाते हैं, कैसे मन बदल जाते हैं. कैसे जिंदगी का चांद एक रोज़ खुद को चांदनी से झटक देता है. कैसे समंदर लहरों को अपनी निगाह से उतार देता है.

मैं बस इतना चाहता हूं कि इस कहानी पर अधिक से अधिक बात करें. संवाद करें, शायद तीन परिवारों को कोई रोशन रास्‍ता मिल सके. जिसमें जिंदगी का दम न घुटता हो.

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(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)

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