डियर जिंदगी: सवालों के 'जंगल' में खोए जवाब
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डियर जिंदगी: सवालों के 'जंगल' में खोए जवाब

हम जिन सपनों के साथ जिंदगी की दौड़ में शामिल होते हैं. अक्‍सर दौड़ के बीच तक पहुंचते ही हम उनको छोड़कर उस सपने की ओर दौड़ जाते हैं, जिस ओर हमारा पड़ोसी, दोस्‍त और कोई ऐसा दौड़ रहा होता है, जिस पर हमें भरोसा हो.

डियर जिंदगी: सवालों के 'जंगल' में खोए जवाब

हम जिंदगी में अक्‍सर ऐसे प्रश्‍नों के फेर में उलझे रहते हैं, जो हमें कहीं नहीं ले जाते. गैरजरूरी सवालों से घिरे रहने का एक नुकसान यह भी है कि मूल प्रश्‍न की ओर हमारी नजर जाती ही नहीं. हम रास्‍ता छोड़कर पगडंडी में उतरे नहीं, बल्कि उन रास्‍तों पर चले गए हैं, जहां से आगे कोई रास्‍ता नहीं दिखता. दिखता ही नहीं, बल्कि जाता ही नहीं.

हम जिन सपनों के साथ जिंदगी की दौड़ में शामिल होते हैं. अक्‍सर दौड़ के बीच तक पहुंचते ही हम उनको छोड़कर उस सपने की ओर दौड़ जाते हैं, जिस ओर हमारा पड़ोसी, दोस्‍त और कोई ऐसा दौड़ रहा होता है, जिस पर हमें भरोसा हो. असल में हमने अपने भरोसे को एकदम गैर-भरोसेमंद बना दिया है. अपने भरोसे को छोड़ बाकी सब पर इतनी आसानी से भरोसा हो जाता है कि पलक झपकते ही हम उसके भरोसे को अपना लेते हैं. अपने को झट से 'नमस्‍कार' कह देते हैं.

जिंदगी के मूल तत्‍व प्रेम, स्‍नेह, मित्रता और एक-दूजे का साथ करियर की सड़क पर दौड़ते ही छूट जाते हैं. हम जिनके साधनों के सहारे जीवन के जंगल में प्रवेश करते हैं, रास्‍ते की थोड़ी-सी झलक मिलते ही हम इनसे कन्‍नी काटने लगते हैं. हमारा ध्‍यान दूसरों से प्रतियोगिता, दूसरों को पीछे छोड़ आगे जाने की लालसा में इतना रम जाता है कि हम बाकी सब छोड़ इसी में अटक जाते हैं. हम भूल जाते हैं कि जीवन के जंगल में प्रेम और स्‍नेह के फूल लगाने का भी करार हुआ था. उस करार के टूटने के कारण ही जीवन में तनाव, डिप्रेशन और आत्‍महत्‍या के कांटे इतने उग रहे हैं. हमारा ध्‍यान कभी-कभी कांटों पर तो जाता है, लेकिन उनके असल कारणों की ओर हम कम ही देखते हैं. कोई दिखाने की कोशिश भी करे तो हम अक्‍सर इंकार करते रहते हैं. उनसे भागते रहते हैं.

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हम जीवन के मूल प्रश्‍नों से उसी तरह आंख चुराते रहते हैं, जैसे आकाश में उड़ रही चिड़िया हमलावर बाज से नजरें चुराती रहती है. और सोचती रहती है कि वह बाज से बच जाएगी, लेकिन क्‍या वह बाज से इस उपाय से बच सकती है. नहीं एकदम नहीं. जब तक वह खुद कोई रास्‍ता नहीं तलाशती वह नहीं बच सकती. जिंदगी के बारे में भी यही रवैया लागू होता है. हमें अपने ही लोग संकट में दिखते रहते हैं, लेकिन हम कई बार जानकर भी मुंह फेर लेते हैं.

आपसे आज एक कहानी साझा कर रहा हूं. इसे इंटरनेट पर पढ़ा. इसके लेखक का नाम नहीं पता है. इसलिए वह जो भी हों, उन्‍हें धन्‍यवाद कहकर कथा पढ़िए और गुनिए.

एक महिला ने बाजार से तोता खरीदा. दुकानदार उसका परिचित था. महिला तोते को इसलिए ले गई, क्‍योंकि उसे अपना मन बहलाने के लिए कोई साथी चाहिए था. लेकिन खरीदने के अगले ही दिन वह दुकानदार के पास तोता लौटाने पहुंच गई. उसने कहा, मुझे तोता नहीं चाहिए. यह तो बात ही नहीं करता. दुकानदार ने कहा, क्‍या आपने उसके पिंजरे के सामने आईना लगाया है. महिला ने कहा, नहीं. दुकानदार ने कहा, इसलिए वह बातें नहीं करता. असल में उसे आईना बहुत पसंद है. तोते आईने में देखते हैं, फिर बातें करते हैं. महिला ने दुकानदार से दर्पण खरीदा और घर लौट आई. कुछ रोज बाद वह फि‍र उसी शिकायत के साथ पहुंची कि वह बातें नहीं करता.

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दुकानकार तो पहले से तैयार था. उसने कहा, पिंजरे में सीढ़ी है. महिला ने कहा, नहीं. दुकानदार ने सीढ़ी बेचते हुए कहा, तोतों को सीढ़ी बहुत पसंद है. उस पर बैठते ही वह बतियाने लगते हैं. दो रोज बाद महिला फिर लौटी तो दुकानदार ने कहा, लगता है आपके तोते के पास झूला नहीं है. असल में तोते का मन तो झूले में ही रमता है, इसलिए जैसे ही उसे झूला मिलेगा वह एददम फर्राटे से बोलेगा.

दो दिन बाद महिला फिर दुकानदार के पास पहुंची. लेकिन इस बार उसने कुछ नहीं कहा. दुकानदार ने पूछा क्‍या हुआ. महिला ने कहा, 'तोता मर गया है'. सुनते ही दुकानदार भी दुखी हो गया. उसने पूछा, क्‍या मरने से पहले उसने कुछ कहा था. महिला ने बताया, 'हां, उसने कहा था कि क्‍या दुकानदार खाने का कोई सामान नहीं बेचता.'

हम सब भी चाहतों, हसरतों, इच्‍छाओं के फेर में ऐसे फंसे हैं कि जीवन में सबसे जरूरी क्‍या है. सबकुछ जानते हुए भी भटकते रहते हैं. हमें भटकाने के लिए बहुत से लोग हैं. दुनिया जिनसे भरी पड़ी है. कभी ऐसे नासमझ खदीदारों के हाथ तो कभी दुकानदारों के हाथ हम 'खेलते' रहते हैं.

हम परिवार के नाम पर सबकुछ करते हैं. लेकिन उसके बाद भी प्रेम की खोज में, उसके नाम पर सबकुछ हासिल करते रहते हैं, सिवाए प्रेम के. केवल हमारे घर ही नहीं, दिल और दिमाग भी गैरजरूरी संग्रह और खरीदारी से भरे पड़े हैं.

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(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)

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