लंदन ओलंपिक: 6 पदकों के साथ भारत का ऐतिहासिक प्रदर्शन
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लंदन ओलंपिक: 6 पदकों के साथ भारत का ऐतिहासिक प्रदर्शन

भारत ने लंदन ओलंपिक खेलों में छह पदक जीतकर अब तक का अपना न सिर्फ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया बल्कि वह उन देशों में चोटी पर रहा, जिन्होंने इस खेल महाकुंभ में एक भी स्वर्ण पदक नहीं जीता।

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : भारत ने लंदन ओलंपिक खेलों में छह पदक जीतकर अब तक का अपना न सिर्फ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया बल्कि वह उन देशों में चोटी पर रहा, जिन्होंने इस खेल महाकुंभ में एक भी स्वर्ण पदक नहीं जीता। लंदन खेलों में 204 देशों ने भाग लिया था, लेकिन इनमें से केवल 85 देशों को ही पदक मिले और इस तरह से 119 देशों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।
इन देशों में भारत के पड़ोसी पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल आदि भी शामिल हैं। असल में दक्षिण एशियाई देशों में भारत एकमात्र ऐसा देश रहा, जिसने लंदन ओलंपिक में पदक जीते। भारत ने दो रजत और चार कांस्य सहित छह पदक अपने नाम किए और वह पदक तालिका में 55वें स्थान पर रहा लेकिन यदि कम से कम एक स्वर्ण पदक जीतने वाले देशों को अलग कर दिया जाता है तो केवल रजत या कांस्य पदक जीतने वाले देशों की सूची में भारत का नंबर पहला आएगा।
भारत के स्टार पहलवान सुशील कुमार लंदन ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता के पुरुषों के 66 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में हारकर स्वर्ण पदक जीतने से चूक गए लेकिन उन्हेंग रजत पदक मिला। सुशील लगातार दो ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा का पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हो गए। निशानेबाजी में विजय कुमार ने रजत तो गगन नारंग ने कांस्य पदक जीता। इसके अलावा, पहलवान योगेश्वर दत्त, मुक्केबाज एमसी मेरीकाम, साइना नेहवाल (बै‍डमिंटन) कांस्य पदक विजेता बने।
इस तरह की सूची में भारत के बाद दूसरा नंबर मंगोलिया का होगा जिसने दो रजत और तीन कांस्य सहित पांच पदक जीते। पदक तालिका में सात देश ऐसे रहे जिन्हें केवल एक कांस्य पदक मिला, छह देशों को केवल रजत पदक से संतोष करना पड़ा जबकि अल्जीरिया, बहामा, ग्रेनाडा, युगांडा और वेनेजुएला एक-एक स्वर्ण पदक जीतकर भारत से ऊपर संयुक्त 50वें स्थान पर काबिज रहे। यदि चोटी के दस स्थानों पर रहने वाले देशों की बात की जाए तो इनमें से नौ देश बीजिंग ओलंपिक में भी शीर्ष दस में शामिल थे। इस बार हंगरी (नौवां स्थान) इसमें नया नाम जुड़ा जबकि पिछली बार आठवें स्थान पर रहा जापान इस बार 11वें स्थान पर खिसक गया।
लंदन ओलंपिक में जमैका और ट्यूनीशिया दो ऐसे देश रहे, जिन्होंने बराबर स्वर्ण, रजत और कांस्य पकद जीते। जमैका ने चार स्वर्ण, चार रजत और चार कांस्य जबकि ट्यूनीशिया ने एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक अपने नाम किया। कनाडा ऐसा देश रहा जिसने 18 पदक जीते लेकिन वह केवल एक स्वर्ण पदक ही हासिल कर पाया और इसलिए कुल पदकों की संख्या में 13वें स्थान पर रहने के बावजूद उसे 36वें स्थान से संतोष करना पड़ा।
कुल 204 देशों में से केवल 26 देश ही दस या इससे अधिक पदक जीत पाए। कजाखस्तान (सात स्वर्ण) और उत्तर कोरिया (चार स्वर्ण) दो ऐसे देश रहे जिन्होंने रजत और कांस्य पदकों की कुल संख्या से अधिक स्वर्ण पदक जीते। व्यक्तिगत प्रदर्शन देखें तो अमेरिकी माइकल फेल्प्स ने अकेले उतने पदक हासिल किये जितने भारत ने जीते। इस महान तैराक ने चार स्वर्ण सहित छह पदक जीते और वह लगातार दूसरी बार सर्वाधिक पदक जीतने वाले खिलाड़ी बने। उनके बाद अमेरिका के तैराक मिसी फ्रैंकलिन, एलिसन शमिट, रेयान लोशटे और आस्ट्रेलिया की एलिसिया कोटिस (सभी पांच पदक) रहे।
कोटिस ने हालांकि केवल एक स्वर्ण जीता जबकि फेल्प्स और फ्रैंकलिन चार-चार स्वर्ण के साथ शीर्ष दो स्थान पर रहे। सर्वाधिक पदक जीतने वाले खिलाड़ियों में तैराकों का दबदबा रहा लेकिन फर्राटा के बादशाह उसैन बोल्ट और अमेरिकी धाविका एलिसन फेलिक्स तीन-तीन स्वर्ण जीतकर शीर्ष पांच में जगह बनाने में सफल रहे। (एजेंसी)

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