Goga Navami 2022: इस देवता की पूजा से मिलता है संतान का सुख, हिंदू-मुस्लिम दोनों रखते हैं आस्था
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Goga Navami 2022: इस देवता की पूजा से मिलता है संतान का सुख, हिंदू-मुस्लिम दोनों रखते हैं आस्था

Gogadev Navami Katha: गोगा देव (Goga Dev) राजस्थान (Rajasthan) के लोक देवता माने जाते हैं. इन्हें जाहरवीर गोग राणा के नाम से भी जाना जाता है. बताया जाता है कि इस दरबार में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों की आस्था है.

सांकेतिक तस्वीर

Gogadev Puja, Goga Navami Janm Katha: भारत के कुछ हिस्सों में गोगा नवमी (Goga Navami 2022) का पर्व बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है. तिथि के हिसाब से आज शनिवार 20 अगस्त को ये त्योहार बड़े उल्लास से मनाया जा रहा है. बताते चलें कि गोगा नवमी पर राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गोगामेड़ी नाम के शहर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय गोगादेव में आस्था रखते हैं और बड़ी तादाद में उनकी पूजा करते हैं. राज्यवार बात करें तो राजस्थान (Rajasthan) के अलावा मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), पंजाब (Punjab), हरियाणा (Haryana) और हिमाचल के कुछ क्षेत्रों में गोगा नवमी (Goga Navami) का पर्व पूरी आस्था-विश्वास और विधिविधान के साथ मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से भी बड़े पैमाने पर श्रद्धालु, गोगा देवता (Goga Devta) की पूजा और दर्शनों के लिए राजस्थान जाते हैं.

क्यों होती है गोगा देवता की पूजा

मान्यता है कि गोगा देवता की पूजा करने से सर्पदंश यानी नाग के काटने का भय नहीं रहता और संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूरी होती है. आइए अब बताते हैं लोकदेवता गोगादेव के जन्म की कथा (story of gogadeva) तो राजस्थान के गोगामेड़ी में रहने वाले मूल निवासियों और जनश्रुतियों के मुताबिक, कहा जाता है कि गोगा जी की मां बाछल देवी की कोई संतान नहीं थी. जब वो निराश हो गईं तब उसी दौरान गोगामेड़ी में गुरु गोरखनाथ तपस्या करने आए. बाछल देवी बाबा गोरखनाथ के पास गईं और अपनी परेशानी बताई तब गुरु गोरखनाथ ने उन्हें  गुगल नामक एक फल खाने को दिया और पुत्रवती होने का आशीर्वाद देते हुए कहा, 'आने वाला पुत्र वीर तथा नागों को वश में करने वाला तथा सिद्धों का शिरोमणि होगा. जब बाछल देवी को पुत्र हुआ तब उन्होंने उसका नाम गुग्गा रखा. गुगल फल के नाम से ही इनका नाम गोगाजी पड़ गया. उसी दौरान इस यशस्वी बालक को गोगा देव के नाम से पुकारने लगा. मान्यता ये भी है कि गोगा देवता का नाम लेने से सर्प कोई हानि नहीं पहुंचाते है.

हिंदू-मुस्लिम दोनों करते हैं पूजा

राजस्थान में इनके स्थान पर आज भी सभी धर्मों और संप्रदाय के लोग शीश नवाने आते हैं. मुस्लिम समाज के लोग इन्हें जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं. वहीं लोक मान्यता के मुताबिक, गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है. इन्हें गुग्गा वीर, राजा मण्डलीक व जाहर पीर के नाम से भी जाना जाता है. इनकी जन्मभूमि पर उनके घोड़े का अस्तबल आज भी मौजूद है. इसके साथ ही यहां इनके गुरु महाराज का आश्रम भी है.

गोगादेव जी की पूजन विधि (gogadev ki Pujan Vidhi)

गोगा नवमी की सुबह स्नानादि करने के बाद गोगा देव की घोड़े पर सवार प्रतिमा लेकर घर आएं. कुंकुम, रोली, चावल, फूल, गंगाजल आदि से गोगादेव की पूजा करें. फिर उन्हें खीर, चूरमा, गुलगुले का भोग लगाएं और चने की दाल को गोगा जी के घोड़े पर श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं. इसके बाद गोगा देव की कथा श्रद्धा पूर्वक सुनें और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें. कुछ जगहों पर गोगा नवमी के दिन सांप की बांबी की पूजा भी की जाती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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