Tula Sankranti 2022: तुला संक्रांति पर ये कार्य करना होता है शुभ, सूर्य देव की कृपा से बढ़ता है मान-सम्मान
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Tula Sankranti 2022: तुला संक्रांति पर ये कार्य करना होता है शुभ, सूर्य देव की कृपा से बढ़ता है मान-सम्मान

Surya Dev Puja: 17 अक्टूबर को सूर्य देव अपनी राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं. सूर्य का ये राशि परिवर्तन संक्रांति कहलाता है. इस बार सूर्य तुला राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, इसलिए इसे तुला संक्रांति के नाम से जाना जाता है. 

 

फाइल फोटो

Tula Sankranti Upay: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहा जाता है और जिस राशि में प्रवेश करता है उसी संक्रांति के नाम से जाना जाता है. बता दें कि सूर्य हर माह अपनी राशि परिवर्तन करते हैं. ऐसे में इस बार 17 अक्टूबर को सूर्य देव कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. हिंदू धर्म में हर माह आने वाली संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन स्नान-दान का खास महत्व होता है. 

ज्योतिष शास्त्र में संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान और फिर दान को पुण्य फलदायी बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से कई गुना ज्यादा फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन मां लक्ष्मी और मां पार्वती की पूजा की जाती है. इससे धन-धान्य की कमी नहीं रहती. आइए जानते हैं इस बार तुला संक्रांति पर पुण्य काल और महा पुण्यकाल का सही समय और महत्व. 

तुला संक्रांति पर पुण्य काल मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार तुला संक्रांति 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन पुण्य काल का समय दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 50 मिनट तक है. वहीं, महापुण्य काल का समय दोपहर 3 बजकर 55 मिनट से लेकर 5 बजकर 50 मिनट तक है. मान्यता है कि पुण्य काल में स्नान और दान करना शुभ माना जाता है. 

तुला संक्रांति का महत्व

तुला संक्रांति पर महालक्ष्मी की पूजा का विधान है. ऐसे में इस  दिन विधि-विधान के साथ महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कोई व्यक्ति सपरिवार महालक्ष्मी की पूजा करता है और उन्हें चावल अर्पित करता है तो उन्हें जीवन में कभी अन्न-धन की कमी नहीं रहती. जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्ति होती हैं. 

तुला संक्रांति पूजा विधि

इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठने का विशेष महत्व है. इसके बाद तांबे के लोटे में जल लें, उसमें फूल, चावल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें. इस बात का ध्यान रखें कि सूर्य देव को जल अर्पित करते समय सूर्य मंत्रों का जाप करते रहें. इसके साथ ही, सूर्य देव से शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान प्राप्त करने की प्रार्थना करें. 

सूर्य मंत्र - ओम् खखोल्काय स्वाहा, ओम् सूर्याय नम:. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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