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नई दिल्लीः सेकेंड हैंड कार खरीदने (Second Hand Car Buying Tips) से पहले कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. अगर आप सेकेंड हैंड कार खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको कुछ चीजों को लेकर सतर्क रहना पड़ेगा. कार खरीदने से पहले कार की पूरी हिस्ट्री (Car history Check) सही तरीके से चेक करना बहुत जरूरी है. देश में सेकेंड हैंड कार के प्रति बढ़ती रूचि को देखते हुए ज्यादातर ऑटोमोबाइल कंपनियों ने पुरानी कारों का भी शोरूम खोल दिया है. सेकेंड हैंड कार खरीदने से पहले सिर्फ टेस्ट ड्राइव (Second Hand Car Test Drive) ही काफी नहीं है. आइए आपको बताते हैं पुरानी कार (Used Cars) खरीदते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए...
सेकेंड हैंड कार खरीदते समय यह ध्यान में जरूर रखना चाहिए कि आप जब टेस्ट ड्राइव ले रहे हों तो छोटी दूरी का टेस्ट ड्राइव बिल्कुल ना लें. टेस्ट ड्राइव कम से कम 30 किलोमीटर की तो होनी ही चाहिए. गाड़ी की सही कंडीनश जानने के लिए इतनी दूरी की टेस्ट ड्राइव बेहद जरूरी है.
टेस्ट ड्राइव लेने से पहले कार का टेंपरेचर चेक करना बहुत जरूरी है. टेंपरेचर चेक करने के लिए कार के बोनट पर हाथ रखें, इससे पता चल जाएगा कि आपसे पहले कार को कोई चलाया है या नहीं. कार का टेंपरेचर सामान्य रहने पर ही टेस्ट ड्राइव लें. ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर आपसे पहले किसी ने कार की टेस्ट ड्राइव की होगी तो आपको इसके टेंपरेचर के बारे में पता नहीं चल पाएगा. यानी कार कितनी देर में गर्म हो रही है. कार की सही हीटिंग कंडीशन जानने के लिए यह बेहद जरूरी है.
कार से आने वाली आवाजें परख कर आप कार कमी के बारे में आसानी से जान सकते हैं. इसके लिए कार को स्टार्ट कर न्यूट्रल कर दें. इसके बाद कार के अंदर बैठ कर आवाज और वाइब्रेशन पर ध्यान दें. इसके बाद एक्सीलेटर को कम और ज्यादा करते हुए विंडो खोलकर और बंद कर आने वाली आवाज सुनें. अगर किसी भी तरह का एक्सट्रा नॉइज और वाइब्रेशन महसूस हो तो इस बारे में कार डीलर को बताएं.
कार की एमरजेंसी ब्रेक टेस्टिंग सेफ्टी के लिहाज से बेहद जरूरी है. इसके लिए आपको टेस्ट ड्राइव करते समय किसी खाली मैदान में भी जाना चाहिए. तेज स्पीड में ब्रेक मारकर आप इमरजेंसी ब्रेक टेस्ट कर सकते हैं. इसके साथ ही हैंड ब्रेक का भी टेस्ट जरूर करें. ढलान या चढ़ाई वाली सड़क पर हैंडब्रेक अच्छे से टेस्ट हो सकता है.
टेस्ट ड्राइव खराब और अच्छी दोनों सड़कों पर करनी चाहिए. इससे आप कार की आवाज के साथ-साथ इसकी कंडीशन के बारे में अच्छे से जान सकेंगे. इससे आप कार के सस्पेंशन, हिल एरिया, टॉर्क, पॉवर और पिकअप जैसी चीजों को अच्छे से परख सकेंगे. साथ ही इंजन से आने वाली आवाज, हीटिंग, गियर बॉक्स औऱ गियर रिस्पॉन्स का सही हाल जान सकेंगे.
गाड़ी के साइलेंसर से निकलने वाले धुंए पर जरूर ध्यान दें. साइलेंसर से अगर काले या नीले रंग का धुआं आ रहा है तो जरूर इंजन में कोई खराबी हो सकती है. इंजन में ऑयल लीकेज की समस्या के वजह से भी धुएं का रंग काला या नीला हो सकता है. टेस्ट ड्राइव के समय बेहत यह होगा कि आप किसी जानकार मेकेनिक को अपने साथ जरूर रखें.
टेस्ट ड्राइव के दौरान स्टीयरिंग भी चेक करना जरूरी है. स्टीयरिंग में अगर वाइब्रेशन है तो यह खामी की ओर इशारा करती है. कार सीधे ना जाकर दायें या बाएं किसी भी तरफ ज्यादा जा रही है तो भी यह स्टीयरिंग में दिक्कत की ओर इशारा है.
विंडो अप-डाउन स्विच, म्यूजिक सिस्टम, मिरर फोल्डिंग स्विच, वाइपर, हॉर्न कई बार चेक करें. साथ ही टेस्ट ड्राइविंग के दौरान स्विच, बटन, ब्रेक, क्लच, गियर, एक्सीलरेटर अच्छे से कई बार जांच करें.
कार खरीदने से पहले कार का बीमा मूल्य देखना बेहद जरूरी है. इससे आप कार की सही कीमत का अंदाजा लगा सकेंगे और खरीदते वक्त अच्छे से मोलभाव भी कर सकेंगे. 2-3 साल का नो क्लेम बोनस चेक कर आपको पता चल जाएगा कि कार का बीते समय में एक्सीडेंट हुआ है या नहीं.
सेकेंड हैंड कार खरीदते वक्त कार की हेड लाइट, टेल लाइट, इंडिकेटर्स और AC को भी अच्छे से जांच लें. इन चीजों में कभी-कभी लंबा खर्च भी सामने आ जाता है.
सेकेंड हैंड कार खरीदे से पहले चेसिस नंबर जरूर करें. कागज में लिखे चेसिस नंबर को कार में लिखे चेसिस नंबर से जरूर मिला लें. अगर दोनों पर अलग नंबर हैं तो कार मत खरीदें.
सेकेंड हैंड कार खरीदते समय सबसे अधिक सावधानी डीलर को लेकर बरतनी चाहिए. किसी परिचित के अलावा भरोसेमंद डीलर्स से भी सेकेंड हैंड कार खरीदी जा सकती है. कई कार कंपनियों के भी यूज्ड कार शोरूम हैं. Maruti Suzuki का True Value और Hyundai का H Promise है. कार कंपनियों के यूज्ड कार प्लेटफॉर्म से कार खरीदने पर वारंटी और फ्री सर्विस भी मिलती है.
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