False Oath: 'मां कसम'-'तुम्‍हारी कसम', इस तरह की झूठी कसम खाने का होता है खौफनाक अंजाम!
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False Oath: 'मां कसम'-'तुम्‍हारी कसम', इस तरह की झूठी कसम खाने का होता है खौफनाक अंजाम!

False Oath harms: धार्मिक और सामाजिक बातों में  कसम (सौगंध) या शपथ के बड़े गहरे मायने होते हैं. बात-बात पर कसम खाने वालों के साथ ये लेख उन लोगों के लिए पढ़ना जरूरी है जो अक्सर कसम तोड़ देते हैं या झूठी कसम खाते हैं.

False Oath: 'मां कसम'-'तुम्‍हारी कसम', इस तरह की झूठी कसम खाने का होता है खौफनाक अंजाम!

Harm of taking false oath or breaking oath: कसम कहें या सौगंध या शपथ, भारत में प्राचीन काल से ही इसकी परंपरा और विशेष महत्व रहा है. लोग युगों-युगों से कसम लेते और देते आ रहे हैं. सतयुग से लेकर कलियुग तक ये परंपरा लगातार जारी है.

सौगंध का इतिहास

राजा हरिश्चंद्र से लेकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम (Lord Ram) तक और द्वापर युग में भीष्म पितामह से लेकर भगवान कृष्ण (Lord Krishna) तक सौगंध लेने के कई बड़े और मशहूर घटनाक्रम इस भारत की पवित्र भूमि में सामने आ चुके हैं. मैया यशोदा और भगवान कृष्ण की कसमें तो दुनियाभर के लोगों के लिए मिसाल हैं कि कैसे कृष्ण अपने बचपन में खुद को निर्दोष साबित करने के लिए कसम खाया करते थे और दूसरी ओर यशोदा मां भी पुत्र को अपनी कसम देकर उनसे ज्यादा शैतानी न करने का वचन लेती थीं.

कलियुग में बदला प्रारूप

कसम का प्रयोग प्राचीन भारत में अक्सर एक दूसरे के प्रति प्यार और चिंता जताने के लिए किया जाता था पर समय के बदलते दौर में कसम का प्रयोग भी बदल गया है. दरअसल कसम वो परंपरा होती है जो तोड़ी ना जाये. वहीं बात-बात में कसम खाना या सौगंध उठाना अच्छी बात नहीं होती है, क्योंकि ऐसा करने वालों पर लोग भरोसा नहीं करते हैं. 

क्या होता है कसम लेना?

कसम एक पवित्र आचरण और परंपरा है जिसे पूरा करने से आपका कल्याण होता है. भारत में कसमें देना और खाना आज भी लोगों में प्रचलित है. लोग आज भी बहुत सारे लोग खुद को निर्दोष व दूसरों को गलत बताने के लिए कसमों का सहारा लेते हैं. कसम खाने के पीछे मुख्य कारण अपनी सत्यता को दूसरों को समझाना और दूसरों की सच्चाई को जानना होता है.

कसम के प्रकार

भारतीय समाज में आज भी कुछ कसमें इस प्रकार से है जैसे- बच्चों, पति, पत्नी, माता, पिता या किसी खास रिश्ते की कसम देना या लेना जैसे तुम्हें तुम्हारें बच्चों की कसम है. इस मामले में अक्सर ये कहा जाता है कि मैं अपनी मां की कसम खाता हूं. तो बहुत से लोग अक्सर गंगा मैया की कसम, रोजी-रोटी की कसम खाते और देते हैं. 1980 और 1990 के दशक तक पैदा हुए बच्चों ने तो विद्या मैया की कसम भी खाई होगी.

झूठी कसम खाने के नुकसान

गर्ग संहिता और विष्णु पुराण के मुताबिक, झूठी कसम खाने या कसम तोड़ देने से जिसनें कसम खाई है और जिसकी कसम खायी गई है उन दोंनो को हानि होती है. जो कसम तोड़ता है या किसी की झूठी कसम खाता है उसके सम्मान में कमी आती है. वहीं जिस इंसान की कसम खायी जाती है या जिसकी झूठी कसम खाकर तोड़ी गई है, तो ऐसा होने पर देखा गया है कि उस इंसान के स्वास्थ्य और आयु की हानि होती है.

कई बार जिस इंसान की कसम खाई गई थी वह बहुत ज्यादा बीमार हो जाता है. कसम तोड़ने या झूठी कसम खाने का प्रभाव इंसान की कुंडली में बैठे ग्रहों के हिसाब से पड़ता है. ऐसे में आपको कभी भी कसम का दुरुपयोग करके अपने और अपनों का जीवन खतरे में नहीं डालना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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