Seven Chiranjeevi history: हनुमान जी के अलावा ये 6 देव पुरुष भी हैं चिरंजीवी, जानें इनके धरती पर रहने का रहस्य!
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Seven Chiranjeevi history: हनुमान जी के अलावा ये 6 देव पुरुष भी हैं चिरंजीवी, जानें इनके धरती पर रहने का रहस्य!

Chiranjeevi history: हिंदू ग्रंथों के मुताबिक, सात देव पुरुषों को चिरंजीवी होने का श्राप या वरदान मिला है. इन्‍हें दिव्‍य शक्तियां मिली हुई हैं. इसके चलते यह आज भी धरती पर मौजूद हैं.

 Seven Chiranjeevi history: हनुमान जी के अलावा ये 6 देव पुरुष भी हैं चिरंजीवी, जानें इनके धरती पर रहने का रहस्य!

Seven Chiranjeevi Name:  हिंदू धर्म के ग्रंथों में कई बातों का उल्‍लेख मिलता है. ऐसी ही कई देव पुरुषों के अमर होने की बात भी कही जाती है. ऐसी मान्‍यता है कि कई देव पुरुष आज भी इस धरती पर मौजूद हैं. शास्त्रों की माने तो में सात देवों के चिरंजीवी होने का वर्णन मिलता है. जिसमें अश्वत्थामा, असुर राज बलि, परशुराम, विभीषण, कृपाचार्य, महर्षि व्यास और हनुमान जी शामिल हैं. इन सभी देव पुरुषों को वरदान या श्राप मिला हुआ है, तो चलिए जानते हैं इन्‍हें किस तरह का श्राप या वरदान मिला है. 

विभीषण

रामायण में आपने विभीषण का नाम तो सुना ही होगा, उन्‍हें भी चिरंजीवी होने का वरदान मिला हुआ है. विभीषण ने अपने सगे भाई रावण के खिलाफ भगवान राम का साथ दिया था. आपको बता दें कि राम जी ने लंका में युद्ध जीतने के बाद विभीषण को लंका का राजा बनाया था. 

अश्वत्थामा है धरती पर मौजूद 

महाभारत में आपने अश्वत्थामा नाम का पात्र देखा होगा. ये गुरु द्रोणाचार्य जी के बेटे थे. ये महाभारत काल से ही धरती पर मौजूद हैं. एक कथा प्रचलित है कि श्रीकृष्ण जी ने अश्वत्थामा को चिरंजीवी रहने का श्राप दिया था.

महर्षि व्यास

महाभारत की रचना महर्षि व्यास ने की थी. वे ऋषि पराशर और माता सत्यवती की संतान थे. इनका रंग सांवला होने और यमुना नदी के नजदीकी द्वीप पर जन्म लेने की वजह से इन्हें कृष्ण द्वैपायन भी कहा जाता है. इन्‍हें भी चिरंजीवी रहने का वरदान प्राप्त है.

कृपाचार्य

कृपाचार्य एक विद्वान ऋषि थे. ये कौरवों के कुलगुरु भी थे और अश्वत्थामा के मामा थे. पांडवों के खिलाफ महाभारत के युद्ध में ऋषि कृपाचार्य जी ने कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ा था. इन्‍हें भी चिरंजीवी रहने का आशीर्वाद मिला था.

महान दानी असुर राज बलि

असुरों के राजा बलि बहुत ही बड़े दानी थे, लेनिक वे अपने दान के अहंकार से इंद्रलोक पर भी अधिकार जमाने  के बारे में सोच रहे थे. उस समय विष्णु जी ने वामन अवतार लिया और राजा बलि का घमंड तोड़ दिया. वामन अवतार में उन्‍होंने 2 पग में तीनों लोक को नाप लिया और तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखा. जिससे उन्हें पाताल लोक भेज दिया. ऐसी मान्‍यता है कि राजा बलि आज भी पाताल लोक में जीवित है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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