टीम इंडिया में दरार
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टीम इंडिया में दरार

बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी वनडे मैच में जीत के बाद टीम इंडिया ने कुछ सम्मान और साख तो बचा ली, लेकिन इस दौरे में टीम के अंदर के मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। हाल में टीम इंडिया में कुछ ऐसी घटनाएं और बयानबाजी हुई हैं, जिससे यह साफ नजर आ रहा है कि भारतीय क्रिकेट टीम में सबकुछ ठीक नहीं है।

बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी वनडे मैच में जीत के बाद टीम इंडिया ने कुछ सम्मान और साख तो बचा ली, लेकिन इस दौरे में टीम के अंदर के मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। हाल में टीम इंडिया में कुछ ऐसी घटनाएं और बयानबाजी हुई हैं, जिससे यह साफ नजर आ रहा है कि भारतीय क्रिकेट टीम में सबकुछ ठीक नहीं है। टीम के कुछ खिलाड़ी जहां कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी के पक्ष में दिख रहे हैं तो कुछ उनके खिलाफ। टीम में यह दरार निश्चित तौर पर खिलाडि़यों के बीच एकजुटता और आगामी क्रिकेट सीरीज पर डाल सकता है।

बांग्‍लादेश दौरे के समय दो वनडे में मिली करार हार के बाद टीम के उप कप्तान विराट कोहली ने धोनी की कप्तानी पर ही सवाल खड़े कर दिए। हालांकि, कोहली ने बिना नाम लिए धोनी की कप्तानी पर सवाल उठाए। कोहली ने निर्णय लेने में विश्वास और स्पष्टता की कमी का आरोप लगाकर नई सनसनी पैदा कर दी। उनके इस बयान को संकट में घिरे महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व पर हमले के रूप में देखा जा रहा है। धोनी के अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद टेस्ट टीम के कप्तान बनाए गए कोहली ने किसी का नाम नहीं लिया और ना ही निर्णय लेने संबंधी अपने बयान के बारे में विस्तार से कुछ कहा। कोहली ने कहा था कि बांग्लादेश ने वास्तव में बहुत अच्छी क्रिकेट खेली और ईमानदारी से कहूं तो मैदान पर निर्णय लेने में हमारे अंदर विश्वास की कमी दिखी। पहले दो वनडे मैचों में हम स्पष्ट मानसिकता के साथ अपने खेल का प्रदर्शन नहीं कर सके। खिलाड़ी अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं थे।  कोहली के बयान ने वनडे टीम में फूट की अटकलों को जन्म दे दिया है, जिसमें चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाड़ी धोनी का समर्थन कर रहे हैं चाहे वो सुरेश रैना हों या आर अश्विन। भले ही कोहली ड्रेसिंग रूम में किसी तरह की फूट से इनकार करते हों, लेकिन मसला अब वाकई गंभीर है।

इसके बाद, सुरेश रैना ने कप्तान का बचाव किया और कहा कि धोनी सम्मान के हकदार हैं। वहीं, आर अश्विन ने भी धोनी का बचाव करते हुए कहा था कि अगर उनके कप्तान चाहेंगे तो वह मैदान पर जान देने के लिए भी तैयार हैं। खिलाडि़यों की इस बयानबाजी से टीम इंडिया के अंदर मतभेद और गुटबाजी की आशंकाओं को बल मिला है। इससे पहले धोनी ने पहला वनडे मैच हारने के बाद बैठक के दौरान कहा था कि विराट को कप्तान का साथ देना चाहिए और मैदान पर फैसले लेने में सहायता करनी चाहिए। जाहिर है धोनी का यह बयान साफ इशारा करता है कि टीम के अंदर मतभेद काफी गहरा गए हैं। वैसे भी यदि थोड़ा पीछे देखें तो विराट को टेस्ट कप्तान बनाए जाने के बाद से ही टीम इंडिया में दरार बढ़ती जा रही है। कुछ पूर्व वरिष्‍ठ क्रिकेटरों का यह मत है कि क्रिकेट के सभी प्रारूपों में कप्‍तानी अब विराट को ही सौंप देना चाहिए। वहीं, कुछ इस मत के हैं कि धोनी में अभी काफी क्षमता है और वे लंबे समय तक कप्‍तान बने रहकर टीम को नई बुलंदियों तक पहुंचा सकते हैं।

बांग्‍लादेश में वनडे सीरीज गंवाने के बाद धोनी को भारतीय क्रिकेट का लीजेंड करार देते हुए अश्विन ने कहा कि वह एक स्टार क्रिकेटर है। बांग्लादेश के हाथों पहली वनडे श्रृंखला गंवाने के बावजूद ड्रेसिंग रूम के माहौल में कोई बदलाव नहीं आया है। बांग्लादेश से लगातार दो मैच हारने के बाद आलोचना का शिकार हो रहे कप्तान धोनी का सर्मथन करते हुए दो वरिष्ठ खिलाड़ियों ने उन्हें ’लीजेंड’ तक करार दिया और कहा कि टीम की हार के लिये केवल उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिये। रैना ने टीम के साथ घोनी की तस्वीर पोस्ट करते हुए संदेश लिखा ‘सम्मान’। इसके अलावा उन्होंने हाथ जोड़ने का संकेत भी पोस्ट किया है। वहीं, अश्विन ने भी उनका समर्थन किया। अश्विन ने कहा कि यदि आप इस समय अपने कप्तान का साथ नहीं दोगे तो फिर कब दोगे। इसलिए जहां तक मेरा मानना है तो यह सेना जैसा है। यदि आप अपने सेनापति के पीछे खड़े नहीं होते तो निश्चित रूप से आपको मार दिया जाएगा। यदि मेरा कप्तान मुझसे कहेगा कि मैदान पर जान देनी है तो मैं ऐसा करूंगा। आपका कप्तान कोई भी हो आपको उसका साथ देना होता है। गौर हो कि सीरीज गंवाने के बाद से ही कप्तान धोनी को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। अश्विन तो यहां तक कह गए कि धोनी का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है और वह अभी भारतीय क्रिकेट में काफी योगदान दे सकते हैं। जब भी भारत हारता है इस तरह के सवाल पैदा हो जाते हैं, लेकिन टीम हित में फैसला सोच समझकर लिया जाना चाहिए।

बांग्लादेश के खिलाफ वनडे सीरीज के पहले दोनों मैच हारने के बाद धोनी ने कहा था कि यदि भारतीय क्रिकेट को मदद मिलती है तो वह कप्तानी छोड़ने के लिये तैयार हैं। जाहिर है कि भारत की हार के बाद धोनी ने भावनाओं में बहकर यह कह दिया हो, लेकिन उनकी कप्तानी छोड़ने से भारतीय क्रिकेट के अच्छे दिन आ जाएंगे, इस बात की कोई गारंटी भी नहीं है। एक कप्तान के रूप में वनडे में धोनी का बेजोड़ रिकार्ड है। जबकि होना यह चाहिए कि धोनी को फैसला करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।

क्रिकेट की दुनिया में जब हार गले पड़ती है तो आलोचनाओं का दौर शुरू हो जाता है। हालांकि यह केवल एक उलटफेर है, लेकिन इससे उबरने में थोड़ा समय लगेगा। क्रिकेट के जानकारों का भी मानना है कि अभी कप्तानी में बदलाव की जरूरत नहीं है। ऐसे भी किसी एक श्रृंखला के आधार पर जल्दबाजी में फैसला नहीं किया जाना चाहिए। धोनी की कप्तानी बरकरार रखनी चाहिए। कायदे से धोनी को अगले साल भारत में होने वाली विश्व टी20 तक वनडे और टी20 का कप्तान बने रहना चाहिए।

मौजूदा समय में कप्तानी में बदलाव की बात बेतुकी लगती है। धोनी अब भी सर्वश्रेष्ठ है और वह अब भी भारत को काफी कुछ दे सकता है। कप्‍तान कोई भी हो, कोई भी इस तरह की हार से गुजर सकता है। कैप्‍टन कूल की खासियत यही है कि उन्‍हें पता है कि परिस्थितियों के अनुसार कैसा खेलना है और टीम को कैसे संभालना है। टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद धोनी को अन्य प्रारूपों में बने रहना चाहिए। टीम के हित में फिलहाल यही होना चाहिए कि विराट केवल टेस्ट मैचों में कप्तानी करें। देश के करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का भी मानना है कि धोनी में अभी बहुत क्रिकेट बाकी है। महज एक सीरीज में हार पर किसी की योग्‍यता पर सवाल नहीं उठाने चाहिए। सवाल तो उस समय भी उठे थे जब धोनी ने पिछले साल अचानक ऑस्‍ट्रेलिया सीरीज के दौरान टेस्‍ट क्रिकेट से संन्‍यास की घोषणा कर दी थी। केवल एक सीरीज किसी कप्‍तान के रिकार्ड को खराब नहीं कर सकती। धोनी एक अच्छा नेतृत्वकर्ता हैं और उनके अंदर अभी बहुत क्रिकेट बाकी है। इसमें कोई संशय नहीं है कि धोनी ने देश के लिये बहुत कुछ किया है। धोनी की अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम ने अपनी बुलंदियों को छुआ है और देश-विदेश में कई दिग्‍गज टीमों को धूल चटाई है। उनकी उपलब्धियां ही उनकी सफलता की कहानी कहती है। निश्चित तौर पर धोनी अब तक भारत के सर्वश्रेष्ठ कप्तान हैं। धोनी के ही नेतृत्‍व में भारत की झोली में टी20, वनडे, चैंपियन्स ट्राफी या विश्व कप का खिताब आया। भारत को टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक रैकिंग तक ले गए। उनकी उपलब्धियां अनगिनत हैं, ऐसे में महज एक सीरीज में हार के बाद धोनी को निशाना बनाना गलत है।

इससे पहले भी, टीम इंडिया के कोच को लेकर भी विवाद सामने आया। कुछ दिनों पहले मीडिया में ऐसी खबरें आईं कि बांग्लादेश दौरे पर गई टीम इंडिया के अंतरिम कोच रवि शास्त्री को ही भारतीय टीम का नियमित कोच बनाया जाएगा और शास्त्री ने कोच पद के लिए एक बड़ी शर्त भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के सामने रखी है। कहा ये गया कि शास्त्री कोच पद के चयन के लिए सलाहकार समिति के सदस्यों सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण की दखलदांजी नहीं चाहते हैं। कोच बनने के बाद टीम इंडिया पर उनका पूरा नियंत्रण होगा। उन्‍हें फैसले लेने की पूरी आजादी होगी। जिसके बाद धोनी ने कहा था कि टीम इंडिया के खिलाड़ियों पर ध्यान देने वाले बहुत लोग हैं,  इसलिए अगर कोच का पद कुछ समय के लिये खाली भी रह जाए तो चिंता की कोई बात नहीं है। इससे तो अच्छा है कि इस पद को भरने के लिये ‘किसी को भी’ नियुक्त कर दिया जाए। विश्व कप के बाद डंकन फ्लेचर के जाने के साथ ही कोच पद को लेकर लगातार कयास लगाए जा रहे हैं। इस वाकये के बाद ये भी कहा जाने लगा कि कोच को लेकर टीम के कप्‍तान की राय बिल्‍कुल अलग है। अपुष्‍ट तौर पर ये भी सामने आया कि रवि शास्‍त्री का झुकाव कोहली की तरफ कुछ अधिक है। टीम के अंदर मौजूदा घटनाक्रम और इन बातों को यदि जोड़ा जाए तो साफ है कि टीम इंडिया के अंदर कई मोर्चों पर कई विरोधाभास है। बहरहाल, बेहतर यह होगा कि टीम इंडिया के सदस्‍यों को अपने अंतर्विरोधों को मिल बैठकर पाट लेना चाहिए। सवाल केवल उनके व टीम के भविष्‍य का नहीं है, बल्कि देश के करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों की भावनाएं भी उनके साथ जुड़ी हैं।

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