सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया अपने कई कर्मचारियों को पांच साल तक जबरन छुट्टी पर भेजने जा रही है. इस दौरान कर्मचारियों को किसी तरह का कोई वेतन भी नहीं मिलेगा.
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नई दिल्लीः सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया अपने कई कर्मचारियों को पांच साल तक जबरन छुट्टी पर भेजने जा रही है. इस दौरान कर्मचारियों को किसी तरह का कोई वेतन भी नहीं मिलेगा. यह अवधि छह माह से लेकर के 60 महीनों तक की होगी. कंपनी ने कहा है कि दक्षता, स्वास्थ्य और जरूरत जैसे मानकों पर ऐसा किया जाएगा.
जारी किया है आदेश
कंपनी द्वारा मंगलवार को जारी एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक निदेशक मंडल ने एयर इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राजीव बंसल को कर्मचारियों की उपयुक्तता, दक्षता, क्षमता, प्रदर्शन की गुणवत्ता, कर्मचारी का स्वास्थ्य, पहले ड्यूटी के समय अनुपलब्धता आदि के आधार पर छह महीने या दो साल के लिए बिना वेतन अनिवार्य अवकाश पर भेजने के लिए अधिकृत किया है और यह अवधि पांच साल तक बढ़ाई जा सकती है.
विभाग प्रमुख करेंगे ऐसे कर्मचारियों की पहचान
एयर इंडिया द्वारा 14 जुलाई को जारी आदेश में कहा गया है कि मुख्यालय में विभागों के प्रमुखों के साथ-साथ क्षेत्रीय कार्यालयों के निदेशक उपरोक्त कसौटियों के आधार पर प्रत्येक कर्मचारी का मूल्यांकन करेंगे और बिना वेतन अनिवार्य अवकाश के विकल्प के मामलों की पहचान करेंगे.
आदेश में कहा गया, ‘‘ऐसे कर्मचारियों के नामों को अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक की आवश्यक मंजूरी के लिए मुख्यालय में महाप्रबंधक (कार्मिक) को अग्रसारित किया जाना चाहिए. इस संबंध में पूछे जाने पर कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम इस मामले पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.’’
विमानन कंपनियों की आय पर पड़ा है असर
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस की महामारी की वजह से भारत और अन्य देशों में यात्रा पर लगे प्रतिबंध की वजह से विमानन कंपनियों पर बहुत अधिक असर हुआ है. भारत की सभी विमानन कंपनियों ने वेतन में कटौती, बिना वेतन छुट्टी पर भेजने, कर्मचारियों को निकालने सहित अन्य उपाय खर्चों में कटौती के लिए के लिए किए हैं. उदाहरण के लिए गो एयर ने अप्रैल से अपने अधिकतर कर्मचारियों को बिना वेतन अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया है.
केवल 50 फीसदी यात्री कर रहे सफर
भारत में कोरोना वायरस की महामारी की वजह से लागू रोक के करीब दो महीने बाद 25 मई को घरेलू विमान सेवा शुरू की गई. हालांकि, कोविड-19 महामारी से पहले के मुकाबले केवल 45 फीसदी विमानों को ही उड़ान भरने की अनुमति दी गई थी. 25 मई से घरेलू विमान सेवा शुरू होने के बाद से कुल सीट क्षमता के मुकाबले केवल 50 से 60 फीसदी यात्री ही सफर कर रहे हैं.
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