Trending Photos
नई दिल्ली: कोरोना संकट काल में लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. किसी की सैलरी कम हो गई है तो किसी की नौकरी ही चली गई. हालात तब बदतर हो जाते हैं, जब लोन की EMI भरने का वक्त आता है. ऐसे मुश्किल वक्त में किसी ने अपनी FD तुड़वाई तो किसी ने अपना PF का पैसा निकालकर गुजारा किया. इसके पहले थोड़ी राहत RBI के दो बार दिए गए लोन मोरेटोरियम से जरूर मिली थी, लेकिन अब वो भी 31 अगस्त को खत्म हो रही है. इसके बाद लोग अपनी EMI कैसे भरेंगे ये सबसे बड़ा सवाल है. ऐसे लोगों को राहत पहुंचाने के लिए रिजर्व बैंक एक स्कीम लाने की तैयारी कर रहा है जिसका नाम है 'वन टाइम रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम'. इस स्कीम के जरिए कैसे लोन की EMI में राहत मिलेगी और कौन इस स्कीम का फायदा उठा सकता है, आइए इसे समझते हैं.
क्या है 'वन टाइम लोन रीस्ट्रक्चरिंग'?
इस स्कीम के तहत अब बैंक अपने ग्राहकों के लोन का रीपेमेंट शेड्यूल बदल सकेंगे, मतलब ये कि बैंकों के पास ग्राहक के लोन की अवधि बढ़ाने और पेमेंट हॉलीडे देने का भी विकल्प होगा. खबर ये भी है कि बैंक रिटेल लोन जैसे होम लोन, एजुकेशन लोन, कार लोन, गोल्ड लोन, पर्सनल लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन और लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज की EMI चुकाने के लिए ग्राहकों को अलग-अलग विकल्प दे सकते हैं. इसके अलावा ग्राहक की EMI को भी कुछ महीनों के लिए कम किया जा सकता है या फिर कुछ महीनों के लिए टाला भी जा सकता है
मिल रही खबरों के मुताबिक लोन छूट को अधिकतम 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है, यानि ग्राहकों को दो साल तक EMI नहीं भरने का भी विकल्प मिल सकता है. इसके अलावा लोन की ब्याज दर कितनी होगी, किस ग्राहक को कितनी छूट मिल चाहिए, इसका फैसला भी बैंक खुद तय कर सकते हैं.
किसे होगा फायदा
लोन रीस्ट्रक्चरिंग से सबसे ज्यादा फायदा उन ग्राहकों को होगा, जिनकी सैलरी कोरोना काल में कम हुई है या फिर जिनकी नौकरी ही चली गई है. ये भी पता चला है कि लोन रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम से ग्राहक डिफॉल्टर की श्रेणी में नहीं आएंगे और ना ही लोन NPA में गिने जाएंगे.
ये भी पढ़ें: Indian Railways: ट्रेन समय पर नहीं पहुंची तो मिलेगा मुआवजा, जानिए क्या है नया 'पिज्जा डिलीवरी' मॉडल
मोरेटोरियम से अलग है लोन रीस्ट्रक्चरिंग
अब अगर आप लोन मोरेटोरियम और लोन रीस्ट्रक्चरिंग को एक ही सिक्के के दो पहलू मानते हैं, तो ये जानना जरूरी है कि दोनों में काफी अंतर है. लोन मोरेटोरियम के तहत 6 महीने के लिए किस्तें नहीं चुकाने की छूट मिली थी, लेकिन इस दौरान ब्याज को आपके मूल धन में जोड़ा गया है. जबकि लोन रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम में बैंकों को ज्यादा अधिकार मिले हैं. बैंक खुद तय कर सकेंगे कि उन्हें आपकी EMI घटानी है या लोन की अवधि बढ़ानी है. सिर्फ ब्याज वसूलना है या ब्याज दर को एडजस्ट करना है. सबसे जरूरी बात ये कि लोन रीस्ट्रक्चरिंग में कर्ज के मूलधन में किसी तरह की छूट मिलने की उम्मीद नहीं के बराबर है.
LIVE TV