Byju's Crisis: एक वक्त था जब टीम इंडिया की जर्सी पर बायजू (Byju's) का लोगो हुआ करता था. बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरूख खान कंपनी का विज्ञापन करते थे. कंपनी एडटेक सेक्टर की सबसे बड़ा जहाज बन चुकी थी, लेकिन दिन फिरने में सालभर का वक्त भी नहीं लगा.
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Byju's downfall: एक वक्त था जब टीम इंडिया की जर्सी पर बायजू (Byju's) का लोगो हुआ करता था. बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरूख खान कंपनी का विज्ञापन करते थे. कंपनी एडटेक सेक्टर का सबसे बड़ा जहाज बन चुकी थी, लेकिन दिन फिरने में सालभर का भी वक्त नहीं लगा. आज बायजू के मालिक बायजू रविंद्रन का खाता खाली हो चुका है. वित्तीय संकट से जूझ रही एडटेक कंपनी बायजू के फाउंडर बायजू रवीन्द्रन फोर्ब्स बिलेनियर की लिस्ट से बाहर हो चुके हैं.उनकी नेटवर्थ शून्य हो गई है.
सालभर पहले रविंद्रन का नेटवर्थ करीब 2.1 अरब डॉलर यानी करीब 17545 रुपये था. एक साल में हालात ऐसी हुई कि उनकी दौलत जीरो हो गई है. कर्मचारियों की सैलरी के लिए वो पहले ही अपना घर गिरवी रख चुके हैं. अब शून्य हो चुकी नेटवर्थ उनसे अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी बयां कर रही है. फोर्ब्स ने पिछले साल की बिलेनियर्स की लिस्ट से इस बार 4 लोगों को बाहर कर दिया है, जिसमें बायजू रविंद्रन का भी नाम है. कंपनी की वैल्यूएशन घटकर 1 बिलियन डॉलर और रविंद्रन की संपत्ति जीरो रह गई है. जिस कंपनी को उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर शुरू की थी, अब वो लगभग खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है. देशभर में बायजू के ऑफिस, ट्यूशन सेंटर बंद हो रहे हैं, स्टाफ को सैलरी तक नहीं मिल पा रही है. कंपनी भारी नकदी संकट से जूझ रही है. हालात ये है कि निवेशक रविंद्रन को बोर्ड से बाहर करना चाहते हैं.
बायजू की बर्बादी के कारणों को समझे उससे पहले जानते हैं कि कैसे एक ट्यूशन टीचर ने कोचिंग को नया आयाम दे दिया. केरल के कन्नूर जिले में अझीकोड गांव के रहने वाले रविंद्रन शुरुआत से ही पढ़ाई में अव्वल थे. छुट्टियों में वो अपने दोस्तों को कोचिंग देते थे. उनके पढ़ाए छात्रों ने IIM क्लियर कर लिया. रविंद्रन को लगा कि उन्हें भी आईआईएम देना चाहिए. उन्हें 100 फीसदी नंबर आए. उन्हें लगा कि ये संयोग है, इसलिए उन्होंने दोबारा आईआईएम की परीक्षा दी. इस बार भी उन्हें 100 फीसदी नंबर आए. उन्होंने आईआईएम के बजाय ट्यूशन पढ़ाने का फैसला किया. उनके पढ़ाने का तरीका इतना अच्छा था कि बच्चों की लाइन लगने लगी.
बच्चे बढ़ने लगे, घर का कमरा छोटा पड़ने लगा. एक हफ्ते में 9 शहरों में घूमकर रविंद्रन बच्चों को पढ़ाते थे. दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में उन्होंने एक साथ 25000 बच्चों को एक साथ पढ़ाया. साल 2009 में उन्होंने CAT के ऑनलाइन वीडियो बेस्ड लर्निंग प्रोग्राम शुरू किया. साल 2011 में थिंक एंड लर्न नाम की कंपनी बनाई और बायजू का ऑनलाइन वर्जन लॉन्च कर दिया. साल 2015 में उन्होंने बायजू, द लर्निंग ऐप शुरू किया. ये स्टार्टअप उनके लिए गेमचेंजर साबित हो गया. 7 साल में रविंद्रन अरबपति बन गए.
बायजू एडटेक के महासागर का बड़ा जहाज बन गया. लाखों छात्र उसके जहाज पर सवार हो गए. साल 2020 में Byju’s दुनिया में सबसे ज्यादा वैल्यूएशन वाला एडटेक स्टार्टअप बन गया, कंपनी की वैल्यूएशन 85 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गई. कोरोना महामारी के दौरान इसने बड़ा ग्रोथ हासिल किया. कॉम्पिटिटर, सक्सेसफुल, अनसक्सेसफुल कंपनियों को खरीद लिया. कंपनी ने आकाश इंस्टीट्यूट, आई रोबोट ट्यूटर, हैशलर्न, व्हाइट जूनियर और टॉपर जैसी कई कंपनियों को खरीदा. यहां तक तो ठीक, लेकिन इसके बाद चीजें बिगड़ने लगी. ग्रोथ के लिए बायजू ने बड़े पैमाने पर लोन लेना शुरू किया. 1.2 बिलियन डॉलर के कर्ज के फैसले ने उसकी जहाज में छेद कर दिया.
कोरोना के बाद जैसे ही स्कूल-कॉलेज खुलने लगे कंपनी को बड़ा झटका लगा. छात्रों ने बायजू को छोड़ना शुरू कर दिया. उसी समय अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें बढ़ानी शुरू कर दी. इससे कर्ज लेना महंगा हो गया. इसके अलावा बायजू की एसोसिएट कंपनियों को लेकर निगेटिव सेंटीमेंट बनने लगे. बायजू की कमाई घटने लगी और नुकसान बढ़ने लगा. सैलरी, ऑफिस, ट्यूशन सेंटर जैसी चीजों पर कंपनी हर महीने 150 करोड़ रुपये का खर्च कर रही थी, जबकि कंपनी की कमाई केवल 30 करोड़ रुपये हो रही थी. कंपनी के कोर बिजनेस को चलाने के लिए बाजयू को हर महीने 120-130 करोड़ रुपये की जरूरत थी. कंपनी का साल दर साल नुकसान बढ़ने लगा.
बायजू को करीब 2 हजार करोड़ रुपये का पेमेंट करना है. सैलरी, वेंडर पेमेंट पर 200 करोड़ रुरये का टीडीएस दना है. करीब 500 करोड़ का कस्टमर रिफंड और 1000 करोड़ रुपये का वेंडर पेमेंट करना है. कर्मचारियों की सैलरी तक देने में असफल कंपनी अब फोन पर अपने स्टाफ को नौकरी से निकाल रही है. वहीं कंपनी अब खुद को बचाने के लिए बिजनेस रीस्ट्रक्चरिंग का रास्ता चुन रही है. अक्टूबर 2023 में कंपनी ने रीस्ट्रक्चरिंग शुरू की थी, ताकि खर्च को कम किया जा सके.