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नई दिल्ली: BPCL Disinvestment: सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के निजीकरण को लेकर बड़ा कदम उठाया है. केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को विनिवेश के लिए चुनी गईं सरकारी तेल रिफाइनरी कंपनियों में विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. इस फैसले से सरकार को BPCL में अपनी हिस्सेदारी बेचने में मदद मिलेगी.
अधिकारियों का कहना है कि कैबिनेट ने विनिवेश के लिए छांटी गईं सरकारी रिफाइनरी कंपनियों में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्ट (FDI) की सीमा को 49 परसेंट से बढ़ाकर 100 परसेंट करने की मंजूरी दे दी है. अभी सरकारी रिफानरीज में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 49 FDI की ही मंजूरी है. इसी सीमा की वजह से BPCL को किसी विदेशी कंपनी को नहीं बेचा जा सका था.
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दरअसल, सरकार को BPCL के लिए 3 एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) मिले थे, आसान भाषा में कहें तो तीन कंपनियों ने अपनी इच्छा जाहिर की थी, जिसमें से 2 कंपनियां विदेशी थीं, जिन्होंने सरकार की पूरी 52.98 परसेंट हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जाहिर की थी. एक अधिकारी ने बताया कि सिर्फ विनिवेश के मामलों में FDI की सीमा बढ़ाने की इजाजत दी गई है.
सरकारी रिफाइनरीज में FDI की सीमा 49 परसेंट ही जारी रहेगी, जिसे मार्च 2008 में तय किया गया था.
अभी तक सरकार सिर्फ BPCL में अपनी हिस्सेदारी बेच रही है. देश की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनिंग और मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) अब भी सीधा सरकार के नियंत्रण में है. जबकि हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) सरकारी कंपनी ONGC की सब्सिडियरी कंपनी है. सरकार ने मार्च 2008 में सरकारी ऑयल रिफाइनरी कंपनियों में FDI की सीमा को 26 परसेंट से बढ़ाकर 49 परसेंट किया था.
अगर कोई भी कंपनी BPCL में सरकार की पूरी 52.98 हिस्सेदारी खरीदती है तो टेकओवर नियमों के मुताबिक उसे बाकी स्टेकहोल्डर्स से अतिरिक्त 26 परसेंट हिस्सेदारी खरीदने के लिए उसी भाव पर ओपन ऑफर लेकर आना पड़ेगा. BPCL में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने की रेस में वेदांता, अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी फर्म Apollo Global और I Squared Capital की कंपनी Think Gas शामिल हैं. सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये का रखा है, जिसे हासिल करने में BPCL की हिस्सा बिक्री काफी महत्वपूर्ण है. BPCL खरीदार को भारत की ऑयल रिफाइनिंग क्षमता का लगभग 15.33 परसेंट और फ्यूल मार्केटिंग का 22 परसेंट देगी. सरकार ने अभी तक हिस्सेदारी बिक्री के लिए वित्तीय बोलियां नहीं मंगाई हैं.
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