एयर इंडिया आज टाटा समूह को सौंपी जा सकती है. पिछले साल टाटा ने एयर इंडिया में भारत सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी को 18 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाकर खरीद लिया था.
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नई दिल्लीः केंद्र सरकार विमानन कंपनी एयर इंडिया को आज टाटा समूह को सौंप सकती है. भारत सरकार द्वारा करीब 68 साल पहले समूह से विमानन कंपनी लेने के बाद, उसे अब फिर टाटा समूह को सौंपा जा रहा है. केंद्र सरकार ने पिछले साल 8 अक्टूबर को बोली प्रक्रिया के बाद 18,000 करोड़ रुपए में एयर इंडिया को टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया था. यह टाटा समूह की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है. एयर इंडिया के अधिकारियों ने बताया कि सभी औपचारिकताएं पूरी होने के करीब हैं और विमान कंपनी को टाटा समूह को सौंपे जाने की संभावना है.
वहीं, दो एयरलाइन पायलट यूनियन, इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) और इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन (आईसीपीए) ने एयर इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक विक्रम देव दत्त को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कहा है कि इसके कारण पायलटों की बकाया राशि पर कई कटौतियां हो सकती है. ऐसे में बकाया राशि का तुरंत भुगतान किया जाए. इसके अलावा दो अन्य यूनियनों ने उड़ानों से ठीक पहले एयरपोर्ट पर पायलटों के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) मापने के कंपनी के 20 जनवरी के आदेश का विरोध किया है. एयर इंडिया कर्मचारी संघ (एआईईयू) और ऑल इंडिया केबिन क्रू एसोसिएशन (एआईसीसीए) ने दत्त को पत्र लिखकर इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि यह अमानवीय होने के साथ नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के नियमों का उल्लंघन है.
बता दें कि पिछले साल 8 अक्टूबर को एयर इंडिया की बिक्री की घोषणा के तीन दिन बाद टाटा समूह को एक लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी किया गया था, जिसमें सरकार ने एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पुष्टि की थी. इसको लेकर केंद्र सरकार ने 25 अक्टूबर को शेयर पर्जेज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे. डील के तहत टाटा समूह को एयर इंडिया एक्सप्रेस और ग्राउंड हैंडलिंग आर्म एयर इंडिया एसएटीएस में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी भी सौंपी जानी है. साल 2003-04 के बाद यह केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा पहला निजीकरणहै. वहीं, एयर इंडिया टाटा के लिए तीसरा एयरलाइन ब्रांड होगा. क्योंकि पहले से ही कंपनी की एयरएशिया इंडिया और विस्तारा में हिस्सेदारी है.
केंद्र सरकार ने पिछले साल एयर इंडिया में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए 12,906 करोड़ रुपए का रिजर्व प्राइस रखा था. इसको लेकर 8 अक्टूबर को स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम ने 15,100 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी. वहीं, टाटा ने 18,000 करोड़ रुपए की बोली लगाकर बोली जीत ली थी.
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