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China Economic Crisis: साल 2023 खत्म होने जा रहा है. इस साल भारत के शेयर बाजार ने नए रिकॉर्ड कायम किए हैं. शेयर बाजार ने रिकॉर्ड हाई को छूते हुए पहली बार 72,038.43 के स्तर पर पहुंच गया. भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा है. इस साल 2023 में एफपीआई ने कुल 1.71 लाख करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार में निवेश किये हैं। विदेशी निवेशकों के बढ़ते भरोसे के दम पर साल 2023 में भारतीय शेयर बाजारों ने नया रिकॉर्ड बना लिया. इस साल सेंसेक्स ने 17.3 फीसदी और निफ्टी से 18.5 फीसदी की छलांग लगाई. जिसकी वजह से शेयर बाजार के मार्केट कैप में करीब 82 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई. भारत के शेयर बाजार जहां झूम रहे हैं तो वहीं चीन की टेंशन बढ़ी हुई है. चुनौतीपूर्ण वैश्विक हालात के बीच भारत की मजबूत इकोनॉमिक फंडामेंटल्स के चलते भारतीय शेयर बाजार में FPI का आकर्षण बढ़ा है. जिसके चलते एफपीआई ने भारतीय बाजारों में जबरदस्त निवेश किया. वहीं चीन से विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं. चीन की सरकारी दखल के चलते कंपनियां वहां से निकलने का रास्ता तलाश रही हैं.
चीन की हालात खराब
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश, दुनिया की फैक्ट्री कहलाने वाले देश चीन की आर्थिक खस्ताहाल का असर उसके शेयर बाजार पर देखने को मिला है. चीन की इकॉनमी सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. रियल एस्टेट कंपनियां डूब रही है, बैंकिंग सेक्टर कर्ज के बोझ को झेल रहा है, बेरोजगारी चरम पर है और विदेशी निर्यात घट रहा है. आर्थिक मोर्चे पर तमाम दिक्कतों का सामना कर रहे चीन के शेयर बाजार में इस साल भारी गिरावट देखने को मिली है. कभी ग्लोबल इकॉनमी का इंजन बना हुआ चीन अब बैकफुट पर है.
साल 2023 में सबसे खराब प्रदर्शन
चीन के शेयर बाजार में साल 2023 में बड़ी गिरावट देखने को मिली. साल 2023 में चीन के ब्लू चिप सीएसआई 300 इंडेक्स में 11 फीसदी की गिरावट आई. वहीं हॉन्गकॉन्ग के हैंग सेंग में 14 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. चीन के शेयर बाजार में गिरावट ने शी जिनपिंग सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है. सुस्त पड़े कंज्यूमर डिमांड, लंबे वक्त से डिफ्लेशन की स्थिति , विदेशी कंपनियों के चीन छोड़ने जैसे फैसलों से वहां के शेयर बाजार पर बुरा असर डाला है. दिवालिया होती कंपनियों ने चीन के शेयर बाजार पर नकारात्मक असर डाला तो वहीं रेटिंग एजेंसियों ने चीन की जीडीपी अनुमान को घटा दिया है. नवंबर में आईएमएफ ने चीन का ग्रोथ रेट 5.4 फीसदी रखा, जबकि साल 2028 तक यह गिरकर 3.5 फीसदी पर पहुंचने का अनुमान जताया. इन कारकों ने चीन की इकॉनमी पर बुरा असर डाला है जिसका असर शेयर बाजार पर भी दिखा.
दुनिया के बाकी देशों का हाल
वहीं चीन के मुकाबले दुनिया के दूसरे देशों के शेयर बाजार की हालात काफी अच्छी है. इस साल एमएससीआई वर्ल्ड इंडेक्स में करीब 22 फीसदी की तेजी आई.अमेरिका के बेंचमार्क एसएंडपी 500 इंडेक्स में 25 फीसदी की तेजी आई. वहीं यूरोप के स्टॉक्स 600 में 13 फीसदी की तेजी आई. जापान के निक्केई 225 में 30 फीसदी की तेजी देखने को मिली. भारत के संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में इस साल 19 फीसदी की तेजी देखने को मिली है.
भारत की तेज रफ्तार, चीन की हालात खराब
दुनियाभर में महंगाई में कमी, केंद्रीय बैंकों के ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, कंपनियों के रिटर्न में तेजी के चलते जहां अधिकांश बड़े देशों के शेयर बाजार में तेजी आ रही है तो वहीं चीन की हालात खराब है. भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही इकॉनमी बना हुआ है, वहीं चीन की इकॉनमी कोरोना की मार से उबर नहीं पाई है। सीएनएन ने अपनी एक रिपोर्ट अमेरिकन एंटरप्राइ इंस्ट्रीट्यूट के सीनियर फेलो डेरेक सिजर्स के हवाले से लिखा कि चीन की मुश्किल साल 2024 में भी खत्म नहीं होने वाली। उन्होंने कहा साल 2024 में चीन की असली चुनौती यह होगी कि उसकी ग्रोथ लगातार नीचे जाएगी.