कोरोना: दुनिया की इकोनॉमी घुटनों के बल आ गई, क्‍या अब मंदी रोक पाना संभव है?
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कोरोना: दुनिया की इकोनॉमी घुटनों के बल आ गई, क्‍या अब मंदी रोक पाना संभव है?

कोरोना वायरस (coronavirus) ने पूरी दुनिया को न सिर्फ प्रभावित किया है बल्कि इससे दुनिया की रफ्तार भी थम गई है.

कोरोना: दुनिया की इकोनॉमी घुटनों के बल आ गई, क्‍या अब मंदी रोक पाना संभव है?

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (coronavirus) ने पूरी दुनिया को न सिर्फ प्रभावित किया है बल्कि इससे दुनिया की रफ्तार भी थम गई है. इस महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को दशकों पीछे लाकर खड़ा कर दिया है. आईएमएफ(IMF) और विश्व बैंक में खतरे की घंटी बज रही है क्योंकि गरीब देशों की मदद के लिए इन्हीं संस्थानों पर दबाव डाला जाता है. विकसित अर्थव्यवस्थाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं. ये संभवतः पिछले सौ वर्षों में अपने सबसे बुरे दौर में है. कोरोनो वायरस महामारी ने दशकों के आर्थिक विकास को प्रभावित किया है, और इससे ज्यादा से ज्यादा लोग गरीबी के दलदल में फंस सकते हैं.

  1. कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को दशकों पीछे कर दिया
  2. पिछले सौ वर्षों में अपने सबसे बुरे दौर में है दुनिया की अर्थव्यवस्था
  3. 2020 में विश्व अर्थव्यवस्था 3 प्रतिशत तक नीचे गिरेगी

परत दर परत
जनवरी में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा था कि विश्व अर्थव्यवस्था 2020 में करीब तीन प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. अब इसका कहना है कि विश्व अर्थव्यवस्था डूब गई है. आईएमएफ की भविष्यवाणियां उल्टी पड़ गई हैं, अब वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल तीन प्रतिशत तक गिर जाएगी.

2020 में एशिया में शून्य वृद्धि दर्ज होगी. आईएमएफ के अनुसार कोरोनोवायरस का एशिया के 60 साल के विकास को खत्म कर देना तय है, जिसका मतलब है 2020 में शून्य विकास. यह 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से बहुत ज्यादा खराब है और उस वर्ष, एशिया में 4.7 प्रतिशत का विकास हुआ था.

अब अगर 1990 के दशक के सबसे खराब वित्तीय संकट, एशियाई मुद्रा संकट की बात करें तो, एशिया में एक प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा की वृद्धि हुई थी. लैटिन अमेरिका 50 वर्षों में सबसे खराब मंदी का सामना कर रहा है आईएमएफ के अनुसार ये पिछले 50 सालों की सबसे बड़ी मंदी है. दक्षिण अमेरिका के हर तीन में से एक व्यक्ति को अपनी नौकरी खोनी पड़ सकती है. यानी, एक ही महाद्वीप के 200 मिलियन से ज्यादा लोग बेरोजगार हो जाएंगे. अफ्रीका में, तत्काल कार्रवाई के बिना लगभग आधी नौकरियां जा सकती हैं. वैश्विक उत्तर में, उन्नत अर्थव्यवस्थाएं ही सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं.

2020 में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में 6 प्रतिशत की गिरावट
आईएमएफ के अनुसार अर्थव्यवस्थाओं में इस साल कम से कम 6 फीसदी की गिरावट आ सकती है. यह एक नकारात्मक ग्रोथ रेट है. इस तिमाही में यूनाइटेड किंगडम की जीडीपी 35 फीसदी तक गिर सकती है. वास्तविक वैश्विक मंदी दुर्लभ है लेकिन ये अब शुरू हो चुकी है. और इस समय, उन्नत और उभरती दोनों अर्थव्यवस्थाएं गहरे संकट में हैं. करीब 9 ट्रिलियन डॉलर के नुकसान की संभावना है.

आईएमएफ ने 8 ट्रिलियन डॉलर जुटाए हैं
हालांकि IMF ने 8 ट्रिलियन डॉलर जुटा लिए हैं, लेकिन सार्वजनिक आय की कमी है, खासकर गरीब देशों में. विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को सहारा देने के लिए करीब 2 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता और होगी. आईएमएफ को पांच देशों से जमानत के रूप में 11 बिलियन डॉलर भी मिले हैं. इसके लिए जापान, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने योगदान दिया है.

जी 20 देशों ने गरीब देशों के लिए ऋण भुगतान को रोक दिया. जी 20 देशों ने ऋण भुगतान पर रोक लगा दी है. इससे महामारी से लड़ने के लिए गरीब देशों में कम से कम 20 बिलियन डॉलर की मदद मिलेगी. अब, चीन ने विश्व बैंक से भी ऐसा करने का आग्रह किया है. देर से ऋण भुगतान के मामले में शायद चीन उदाहरण बनकर सामने आए.

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