कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) पर वर्ष 2019-20 के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज तय किया गया था, लेकिन अभी तक उसे नोटिफाई नहीं किया गया है.
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नई दिल्ली: कर्मचारियों के लिए पीएफ (PF) खाते में जमा पैसा और उससे मिलने वाला ब्याज बेहद अहम है. इस बीच खबर है कि केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) पर मिलने वाले ब्याज पर चर्चा कर सकती है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की बुधवार यानी 9 सितंबर को अहम बैठक होने वाली है.
ब्याज दरों में देरी के मुद्दे को उठाया जा सकता है
हमारे सहयोगी zeebiz.com के मुताबिक इस बैठक में ब्याज दर तय करने के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. दरअसल, कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) पर वर्ष 2019-20 के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज तय किया गया था, लेकिन अभी तक उसे नोटिफाई नहीं किया गया है. ऐसे में ब्याज तय करने में हुई देरी के मुद्दे को उठाया जा सकता है. उम्मीद की जा रही है कि कल की बैठक में ब्याज दर पर मुहर लग सकती है.
7 साल की न्यूनतम दर होने की संभावना
EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने इसी साल 5 मार्च की बैठक में EPF पर 2019-20 के लिए ब्याज दर 8.50 फीसदी रखने की सिफारिश की थी. यह पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 0.15 फीसदी कम है. श्रम मंत्री संतोष गंगवार बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. EPF की यह प्रस्तावित दर पिछले 7 साल की न्यूनतम दर होगी.
सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) के इस निर्णय को वित्त मंत्रालय की सहमति के लिए भेज दिया गया था, लेकिन अभी तक वित्त मंत्रालय से उसको नोटिफाई नहीं किया गया है. वित्त मंत्रालय की सहमति से ही EPF पर वार्षिक ब्याज दर में संशोधन का फैसला लागू होता है.
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कितना होता है योगदान?
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के दायरे में आने वाले कर्मचारियों की बेसिक सैलरी+महंगाई भत्ता का 12 प्रतिशत PF में जाता है. इतना योगदान कंपनी (Employer) की तरफ से भी जमा होता है. हालांकि, कंपनी का हिस्सा दो हिस्सों में बांटा जाता है. इसमें से 8.33 फीसदी EPS (Employee Pension Scheme) में जाता है. वहीं, बाकी हिस्सा PF खाते में जाता है.