कोरोना से लड़ने के लिए Facebook ने जारी किया नया मैप, डेटा सेट
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कोरोना से लड़ने के लिए Facebook ने जारी किया नया मैप, डेटा सेट

फेसबुक ने शोधकर्ताओं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को कोविड -19 महामारी से निपटने में उनकी मदद करने के लिए एक नए सर्वेक्षण के साथ सार्वजनिक रूप से नए विजुअलाइजेशन और डेटा सेट जारी किए हैं.

फाइल फोटो

सैन फ्रांसिस्कोः फेसबुक ने शोधकर्ताओं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को कोविड -19 महामारी से निपटने में उनकी मदद करने के लिए एक नए सर्वेक्षण के साथ सार्वजनिक रूप से नए विजुअलाइजेशन और डेटा सेट जारी किए हैं. इनमें एक कोविड-19 मानचित्र और डैशबोर्ड शामिल हैं, जिसमें फेसबुक के लक्षण सर्वेक्षण के साथ-साथ इसके मूवमेंट रेंज डेटा सेट से अंतर्राष्ट्रीय परिणाम शामिल होंगे, जो दुनिया भर में कोविड -19 के प्रति पब्लिक सेक्टर की प्रतिक्रियाओं की सूचना देगी.

  1. नए नक्शे में देशों और राज्यों के बीच यात्रा पैटर्न का जिक्र होगा
  2. कोविड-19 का प्रभाव कितनी दूरी तय करने पर कितना होगा
  3. साल 2017 में कंपनी ने 'डेटा फॉर गुड' को लॉन्च किया था

साल 2017 में कंपनी ने 'डेटा फॉर गुड' को लॉन्च किया था, जिसका मकसद प्रमुख सामाजिक मुद्दों पर प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए डेटा के साथ भागीदारों को सशक्त बनाना था. पिछले कुछ महीनों में सार्वजनिक स्वास्थ्य शोधकर्ताओं ने फेसबुक द्वारा जारी डेटा सेट का उपयोग पूरे एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में कोविड -19 के बारे में लिए गए निर्णयों को सूचित करने के लिए किया है.

कंपनी ने कहा कि उसने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध गतिशीलता डेटासेट भी बनाए हैं, जिनमें उन दरों को दिखाया गया है, जिन पर विभिन्न समुदाय अपनी गतिशीलता को कम कर रहे हैं या एक ही स्थान पर बने हुए हैं. फेसबुक ने अपने एक बयान में कहा, "इसमें संयुक्त डेटा का उपयोग किया जाता है और हमने इन डेटासेट को बनाने और साझा करने में लोगों की गोपनीयता को सुनिश्चित करने के लिए प्राइवेसी फ्रेमवर्क को लागू किया है."

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नए नक्शे में देशों और राज्यों के बीच यात्रा पैटर्न का जिक्र होगा, जो शोधकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों को यह समझने में मदद देगा कि कोविड-19 का प्रभाव कितनी दूरी तय करने पर कितना होगा. यह नया सर्वेक्षण कोविड-19 के बारे में लोगों की समझ, उनका रवैया, अपनाई गई आदतों के बारे में है, जिसे एमआईटी के इनिशियेटिव ऑन द डिजिटल ईकोनॉमी, जॉन हॉपकिन्स यूनीवर्सिटी और विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद से आयोजित किया गया है.

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