गांधी जी के तीन बंदरों के बारे में हम सबको पता है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ये तीन बंदर फाइनेंशियल मार्केट्स में आपके निवेश को एक सही दिशा दिखा सकते हैं. अगर इनके आदर्शों पर चला जाए तो आप एक बेहतर निवेश की रणनीति बना सकते हैं.
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नई दिल्ली: भविष्य में आप क्या बनेंगे, ये इस बात पर निर्भर करता है कि वर्तमान में आज कैसी नींव डाल रहे हैं. ये बात हर क्षेत्र और हर किसी पर लागू होती है. फाइनेंशियल प्लानिंग के भी कुछ आदर्श होते हैं. आज बापू की 151वीं जयंती के मौके पर Anand Rathi Private Wealth Management के डिप्टी CEO फिरोज अजीज
उन तीन बंदरों वाले आदर्श और फाइनेंशियल प्लानिंग से उनके कनेक्शन के बारे में बता रहे हैं.
गांधी जी के तीन आदर्शवादी बंदर थे, बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत देखो. ये आदर्श आज की तारीख में भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने कल थे और आने वाले कल में भी रहेंगे. इन आदर्शों को फाइनेंशियल मार्केट्स में उतारकर आप अपनी जिंदगी के लक्ष्यों का पा सकते हैं.
पहला बंदर- बुरा मत सुनो
गांधी जी का पहला बंद कहता है, बुरा मत सुनो, अगर आपने निवेश करते समय सही सलाह को को सुना और गलत के शोर को किनारे कर दिया तो ये आपके लिए पहला मंत्र होगा. आपके निवेश की शुरुआत ही आपके लक्ष्य को साफ तौर पर परिभाषित करती है. अगर आपका वित्तीय लक्ष्य साफ है तो आप तमाम तरह के गलत विचारों के शोर से बच जाएंगे, और सही निवेश के फैसले कर सकेंगे.
आज के दौर में जब खबरें बहुत सारी हैं और बहुत तेजी से फैलती हैं, तो ऐसे में ये तय करना मुश्किल हो जाता है कि इसमें कौन सी सूचना आपके काम की है और कौन सी खबर आपके निवेश के लक्ष्यों के हिसाब से गलत है. बाजार में तमाम तरह की अटकलों से आपको बचना चाहिए, उन पर यकीन करने से पहले ये देखना चाहिए कि उसके आंकड़े और फंडामेंटल रिसर्च कितनी सही है.
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इसी तरह बाजार में शॉर्ट टर्म उतार चढ़ाव से डरकर लोग गलत फैसले ले लेते हैं. जबकि लंबी अवधि के निवेश पर ध्यान फोकस करने की जरूरत होती है. जैसे असेट क्लास के तौर पर इक्विटी में शॉर्ट टर्म में उतार चढ़ाव रहता है, लेकिन वक्त गुजरने के साथ उतार चढ़ाव भी कम हो जाता है
दूसरा बंदर- बुरा मत देखो
जब आप अपने वित्तीय लक्ष्य तय कर लेते हैं तब आपको सावधानीपूर्वक इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट का चुनाव करना होता है. ऐसा करते समय आपको ये गलतियां कतई नहीं करनी चाहिए. किसी भी इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट के पिछले रिटर्न या फिर उसके रिटर्न के दावे से तुरंत प्रभावित नहीं होना चाहिए.
अगर किसी प्रोडक्ट का रिटर्न उम्मीद से भी ज्यादा अच्छा दिख रहा हो तो अपनी आंखों पर कतई यकीन न करें, या छलावा हो सकता है. निवेश करने से पहले इनवेस्टमेंट डॉक्यूमेंट्स के फाइन प्रिंट को पढ़िए, निवेश की रणनीति को समझिए और ये जानने की कोशिश कीजिए कि उसके जैसे दूसरे प्रोडक्ट्स क्या ऑफर कर रहे हैं.
एक बात और, अगर किसी व्यक्ति ने किसी प्रोडक्ट से अच्छा मुनाफा कमा लिया इसलिए आपको भी उसमें निवेश कर लेना चाहिए, इसे सोच से आपको दूर रहना चाहिए. क्योंकि कुछ प्रोडक्ट्स भारी जोखिम के साथ आते हैं, और हो सकता है कि वो आपकी रिस्क प्रोफाइल के मुताबिक न हों.
दूसरी बात ये कि किसी भी प्रोडक्ट का पिछला प्रदर्शन सिर्फ एक बार का तुक्का हो, उसके पहले के प्रदर्शन उतने अच्छे न रहे हों. आखिरी बात ये कि मार्केट में बहुत सारे प्रोडक्ट्स हैं, इसका मतलब ये नहीं कि आपको सब ले लेना चाहिए. आपको तय करना पड़ेगा कि आपके लक्ष्यों के हिसाब से कौन सा प्रोडक्ट सही रहेगा.
तीसरा बंदर- बुरा मत कहो
अक्सर लोग निवेश करते करते अपने आप को इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट मान बैठते हैं. तो उनके लिए एक सलाह कि आप एक निवेशक हैं और एक्सपर्ट नहीं तो सबसे पहले ये जान लें कि किसी को भी सिर्फ अपने अनुभव के आधार पर निवेश को लेकर मशवरा न दें.
अगर कोई आपका दोस्त हो या फिर परिवार का सदस्य आपसे निवेश को लेकर सलाह मांगता है तो उसे किसी इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट के पास जाने को कहें या फिर निवेश से पहले अपनी रिसर्च खुद करने को बोलें. क्योंकि आपकी ओर से दी गई एक गलत सलाह किसी पर भारी पड़ सकती है.