कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए अब नहीं जाना होगा दूर
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कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए अब नहीं जाना होगा दूर

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से जुड़े एनआईसीपीआर के ऑनलाइन पाठ्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञ वीडियो-कांफ्रेंसिंग से सुदूर बैठे लोगों को कैंसर स्क्रीनिंग का प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं.

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली: कैंसर की जांच के लिए लोगों को दूर स्थित बड़े अस्पतालों में नहीं जाना पड़े और उन्हें अपने क्षेत्र में ही यह सुविधा मिलेगी. इसके लिए राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईसीपीआर) छोटे-छोटे स्थानों पर लोगों को इस घातक बीमारी का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग का प्रशिक्षण ऑनलाइन प्रदान कर रहा है. पूरे देश में कैंसर की जांच को सरल और सुगम बनाने तथा प्रारंभिक स्तर पर ही रोग का पता लगाकर इसके मामलों की संख्या कम करने में मदद करने के उद्देश्य से नोएडा स्थित एनआईसीपीआर ऐसे प्रशिक्षक तैयार कर रहा है जो स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर और मुंह के कैंसर की शुरूआती पहचान कर सकते हैं तथा आगे और भी लोगों को इसका प्रशिक्षण दे सकते हैं.

  1. कैंसर की जांच के लिए दूर बड़े अस्पतालों में नहीं जाना होगा
  2. NICPR कई स्थानों पर स्क्रीनिंग का प्रशिक्षण ऑनलाइन देगा
  3. स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर और मुंह के कैंसर की पहचान होगी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से जुड़े एनआईसीपीआर के ऑनलाइन पाठ्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञ वीडियो-कांफ्रेंसिंग से सुदूर बैठे लोगों को कैंसर स्क्रीनिंग का प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं. एनआईसीपीआर के निदेशक प्रोफेसर रवि मेहरोत्रा ने बताया कि इसके लिए एको इंडिया के साथ एमओयू किया गया है और पहले बैच में करीब 60 लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. एको (एक्सटेंशन फॉर कम्युनिटी हेल्थ आउटकम्स) अमेरिका के न्यू मेक्सिको विश्वविद्यालय में विकसित एक सॉफ्टवेयर कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में लोगों को जटिल और पुराने रोगों के उपचार के तरीके वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सिखाना है.

डॉ मेहरोत्रा ने ‘भाषा’ से बातचीत में बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का बुनियादी उद्देश्य यह है कि दिल्ली से बाहर के लोगों को कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए एम्स जैसे संस्थानों में नहीं आना पड़े. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, पंजाब और राजस्थान आदि राज्यों के लोगों को हम सशक्त बनाना चाहते हैं जिन्हें अपने घर के पास ही कैंसर स्क्रीनिंग की सुविधा मिल जाए. उन्होंने कहा कि ओरल कैंसर की जांच मुंह खोलकर की जा सकती है. इसी तरह स्तन कैंसर के शुरूआती स्तर की जांच के लिए मेमोग्राफी जैसे बड़े और महंगे परीक्षणों की आवश्यकता नहीं है और इसके लिए भी महिलाएं खुद गांठ आदि का पता लगाने के व्यावहारिक तरीके अपना सकती हैं. प्रशिक्षण पाठ्यकम में लोगों को ऑनलाइन इस तरह की चीजें सिखाई जा रही हैं. डॉ मेहरोत्रा के अनुसार फिलहाल पाठ्यक्रम के पहले बैच में छोटे-छोटे जिलों के करीब 60 लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं जिन्हें सप्ताह में एक बार अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय विशेषज्ञ यहां नोएडा स्थित संस्थान में बैठकर प्रशिक्षण देते हैं. इसमें आधे घंटे का प्रशिक्षण और आधे घंटे के प्रश्न उत्तर शामिल होते हैं.

उन्होंने कहा कि इसमें कोई विशेष खर्च भी नहीं है और केवल इंटरनेट कनेक्शन चाहिए तथा लोग स्मार्टफोन या कंप्यूटर से प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं. पांच महीने के कोर्स का शुल्क भी ज्यादा नहीं है. इसमें मेडिकल और पैरामेडिकल क्षेत्र के लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं. जिनमें डॉक्टरों के साथ नर्स और प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं. पहला बैच जनवरी में पाठ्यक्रम पूरा करेगा. डॉ मेहरोत्रा के अनुसार इन प्रशिक्षणार्थियों को देशभर के अनेक क्षेत्रीय कैंसर संस्थानों में प्रायोगिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा. अगर क्षेत्रीय संस्थानों में हैंड्स-ऑन (प्रायोगिक) प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता तो यहां नोएडा में बुलाकर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा इस तरह से इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऐसे मास्टर ट्रेनर तैयार करने का है जो आगे इतने ही लोगों को सिखाएंगे. इस तरह एक साल में तीन बार प्रशिक्षण कार्यक्रम में करीब 150 लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा जो आगे 150 और लोगों को प्रशिक्षित कर सकते हैं और एक चेन तैयार होती जाएगी. डॉ मेहरोत्रा ने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोगों को अवसर प्रदान करने की चुनौती जरूर होगी लेकिन फिलहाल पाठ्यक्रम सफल लग रहा है. प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ही परिणाम सामने आएंगे. इसमें निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों के लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं. यह पाठ्यक्रम प्रारंभिक है. आगे एडवांस पाठ्यक्रम भी शुरू करने की योजना है जिसमें केवल चिकित्सक भाग ले सकेंगे जो और अधिक विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं.

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