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Global Economic Crisis Fear: कमर तोड़ती महंगाई से जूझ रहे देशवासियों के लिए राहत अभी दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि तमाम विश्लेषक महंगाई को लेकर बीते कुछ दिनों से चेतावनी देते आ रहे हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि रुपया डॉलर के प्रति लगातार कमजोर हो रहा है. बीते एक पखवाड़े में डॉलर के मुकाबले रुपया में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि सिर्फ रुपया ही नहीं बल्कि कई देशों की करंसी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट झेल रही हैं.
यूरो 20 साल के निचले स्तर पर
यूरो 2002 के बाद से डॉलर के मुकाबले 20 साल के निचले स्तर पर आ गया है. मंगलवार को आए आंकड़ों के मुताबिक यूरोप में मंदी का जोखिम गहराता जा रहा है. यूरो ने बड़ा गोता लगाया है. यूरोप में आर्थिक विकास जून से ही लड़खड़ाया हुआ है. कॉर्पोरेट विश्वास को मापने वाला एसएंडपी ग्लोबल का मासिक परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जून में गिरकर 52.0 हो गया, जो कि मई में 54.8 पर था. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दरों में जबरदस्त बढ़ोतरी करना है.
ऑस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड डॉलर में भी दिखी गिरावट
ऑस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड डॉलर शुक्रवार को दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गए थे. शुक्रवार को ऑस्ट्रेलियाई डॉलर में 0.3% की गिरावट देखने को मिली थी. न्यूजीलैंड की करंसी कीवी में बीते शुक्रवार को 0.1% की गिरावट देखने को मिली थी. मुद्रा रणनीतिकार कैरल कोंग ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई और अन्य कमोडिटी मुद्राएं और यहां तक कि यूरो और स्टर्लिंग में भी सप्ताह में और भी गिरावट आने की संभावना है. इसका कारण यह है कि बाजार वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेज मंदी के जोखिम पर केंद्रित है.
एशियाई मुद्राओं का बुरा हाल
एशियाई मुद्राओं के मुकाबले डॉलर ने शुक्रवार को बड़ी बढ़त हासिल की है. जिसके चलते थाई बहत, इंडोनेशियाई रुपिया और सिंगापुर डॉलर में सालों बाद बड़ी गिरावट दर्ज की गई.
जापानी येन का भी बुरा हाल
जापानी येन पिछले महीने 21 जून को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अक्टूबर 1998 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया था. येन 24 साल के निचले स्तर 136.455 प्रति डॉलर पर गिर गया था.
ईरानी रियाल भी खा चुका है बड़े गोते
ईरान की मुद्रा रियाल में भी बीते माह जून में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. 13 जून को रियाल रिकॉर्ड गिरावट के साथ अपने सबसे कम मूल्य पर आ गया था. रियाल का नया निचला स्तर तब देखने को मिला जब देश के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध अभी भी लागू हैं.
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