Bank collapse today: अमेरिका में एक के बाद एक लगातार तीन बैंक डूब चुके हैं. इसके बाद से दुनिया भर में वैश्विक मंदी की आशंका भी तेज हो गई है. इसके बावजूद एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत पर इसका खास प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा.
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Global Recession: दुनिया में वैश्विक मंदी की चिंताओं के बीच कई इंटरनेशनल कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है, वहीं दूसरी ओर एक के बाद एक लगातार अमेरिका में तीन बैंक डूब चुके हैं. हाल ही में अमेरिका का एक और बैंक संकट की गर्त में डूब गया. इन दिनों अमेरिका में बैंकिंग संकट के अलावा नकदी संकट की भी आशंका बनी हुई है. यहां के वित्त मंत्री ने सचेत करते हुए कहा है कि अगर कर्ज की सीमा अधिक नहीं की गई तो अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि वह डिफॉल्ट कर जाएगा. वैश्विक मंदी की चपेट में अमेरिका ही नहीं बल्कि यूरोप के कई दूसरे बड़े देश भी शामिल हैं जिनमें फ्रांस, कनाडा, इटली और जर्मनी का भी नाम है.
क्या कहती है World of Statistics की रिपोर्ट?
यूरोपियन देशों के अलावा रूस, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका भी वैश्विक मंदी की चपेट में आ सकते हैं, यहां की अर्थव्यवस्था भी चरमरा सकती है. आर्थिक मंदी की वजह से दुनिया भर के देश घबरा रहे हैं लेकिन एक्सपर्ट्स के एक बात भारतीय शुभचिंतकों को काफी अच्छी लगेगी. एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिस वैश्विक मंदी से बड़े-बड़े देश घबरा रहे हैं, भारत उससे अछूता रहेगा. World of Statistics की एक रिपोर्ट की मानें तो भारत जैसे बड़े देश में मंदी का असर नहीं दिखेगा.
Recession probability forecast, 2023:
India: 0%
Indonesia: 2%
Saudi Arabia: 5%
China: 12.5%
Brazil: 15%
Switzerland: 20%
Spain: 25%
Mexico: 27.5%
South Korea: 30%
Japan: 35%
Russia: 37.5%
Australia: 40%
South Africa: 45%
France: 50%
…— World of Statistics (@stats_feed) May 2, 2023
भारत को मिला 0 फीसदी
आईएमएफ की रिपोर्ट बताती है कि साल 2023 में भारत सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली इकॉनोमी में बनेगा. अप्रैल में जीएसटी का कलेक्शन भी देश का अच्छा रहा है. पिछले 4 महीनों से तुलना करें तो मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई में देश में सबसे अच्छा परफॉर्म किया है. अप्रैल के महीने में ऑटो कंपनियों ने बढ़िया काम किया है. इस वैश्विक मंदी से सबसे ज्यादा दिक्कत यूके को होगी. World of Statistics रिपोर्ट की मानें तो ग्लोबल मंदी के मामले में भारत को 0 फीसदी मिला है, और चीन को 12.5 फीसदी मिला है, वहीं US को 65 फीसदी मिला है.