मेट्रो कोच बनाने के लिए घरेलू कंपनियों को दी ढील, प्रक्योरमेंट रूल में किए बदलाव
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मेट्रो कोच बनाने के लिए घरेलू कंपनियों को दी ढील, प्रक्योरमेंट रूल में किए बदलाव

निजी घरेलू कंपनियों को अब कांट्रेक्ट डाक्यूमेंट में भी रियायत दी गई है, अभी तक इन कंपनियों को तकनीकी आधार पर बोली से बाहर कर दिया जाता था.

मेट्रो कोच बनाने के लिए घरेलू कंपनियों को दी ढील, प्रक्योरमेंट रूल में किए बदलाव

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने देश में मेट्रो रेल कोच और रेलवे की अन्य सामग्री बनाने में घरेलू निजी कंपनियों की भागीदारी का रास्ता साफ कर दिया है. केंद्र सरकार ने प्रक्योरमेंट रूल 2017 में बदलाव कर दिए हैं. अब घरेलू कंपनियां मेट्रो रेल कोच की बोली में भाग ले पाएंगी. हालांकि, अभी तक रेलवे, सुरक्षा को देखते हुए निजी कंपनियों के उत्पादों को अपने स्तर पर चेक किया करती थीं. लेकिन अब घरेलू निजी कंपनियों को इसमें ढील दी गई है.
 
सूत्रों के मुताबिक, निजी घरेलू कंपनियों को अब कांट्रेक्ट डाक्यूमेंट में भी रियायत दी गई है. अभी तक इन कंपनियों को तकनीकी आधार पर बोली से बाहर कर दिया जाता था, लेकिन अब विदेशी एजेंसी से प्रोडक्ट की जांच रिपोर्ट को भी रेलवे स्वीकार करेगी. हालांकि इससे रेलवे की सेफ्टी पर कितना असर पड़ेगा, ये प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने के बाद ही कहा जा सकेगा.

  1. अब भारतीय कंपनियां बना सकेंगी रेलवे की सामग्री
  2. केंद्र सरकार ने प्रक्योरमेंट रूल 2017 में किए बदलाव
  3. तकनीकी आधार पर कंपनी नहीं लगा पाती थीं बोली

 विदेशी कंपनी को भारत में लगाना होगा प्लांट
सूत्रों के मुताबिक, हाल में रेलवे ने रेल लाइन के लिए एक बड़े टेंडर के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बोली बुलाई थी. 2000 करोड़ रुपये के इस कांट्रेक्ट में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ साथ पहली बार घरेलू स्टील कंपनियों ने भी हिस्सा लिया था. अब सरकार ने मेट्रो ट्रेन के डब्बे बनाने में भी घरेलू निजी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए कहा है. इसके लिए बकायदा प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ समय पहले चिट्ठी लिखकर कहा गया था कि घरेलू कंपनियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. इसके बाद स्टील सचिव अरूणा शर्मा की अध्यक्षता में अंतरमंत्रालीय कमेटी की सिफारिशों के आधार पर इस प्रोक्योरमेंट पॉलिसी में बदलाव किया गया है. 

रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, पहले जो कंपनियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्पाद की गुणवत्ता की जांच कराती थीं, उन कंपनियों की विदेशी एजेंसियों से गुणवत्ता जांच को रेलवे मान्यता नहीं देता था और अपनी खुद की एजेंसी से जांच कराई जाती थी, जोकि काफी मुश्किल होती थी. लेकिन अब इस नियम में ढील दे दी गई है. ताकि घरेलू कंपनियां विदेशी कंपनियों के साथ भागीदारी करके यहां प्लांट लगा सकें. सूत्रों के मुताबिक सरकार ने विदेशी कंपनियों के लिए देश में प्लांट लगाने की शर्त भी रखी है, यानी विदेशी कंपनी भी अगर बोली जीतती है तो भी उसको यहां प्लांट लगाना होगा. 

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