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नई दिल्ली. देश के बड़े और प्रतिष्ठित बैंकों में से एक HDFC इन दिनों काफी सुर्खियों में है. पहले धोखाधड़ी के आरोप में कई कर्मचारियों की गिरफ्तारी को लेकर चर्चा में रहे इस प्राइवेट बैंक से जुड़ी एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, HDFC बैंक ने एक क्रेडिट कार्ड पर कथित ऋण का निपटान करने के लिए अनधिकृत तरीके से एक ग्राहक के खाते से 56,763 रुपये लिए, जिसके लिए न तो अनुरोध किया गया था और न ही इसका इस्तेमाल किया गया था.
यह मामला HDFC के गुरुग्राम ब्रांच का है. यहां बैंक ने एक ग्राहक को एक क्रेडिट कार्ड जारी किया (नाम छिपाया गया है), जो ग्राहक को प्राप्त हुआ लेकिन उसने इसका कभी इस्तेमाल नहीं किया. साल 2015-16 में, बैंक ने कार्ड के लिए 14,500 रुपये का बिल भेजना शुरू किया. इस कार्ड के लिए ग्राहक ने कभी अप्लाई नहीं किया था, लेकिन फिर भी उन्हें प्राप्त हुआ, इसके बाद भी उन्होंने इसका इस्तेमाल नहीं किया था. ग्राहक ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने पूछताछ की तब कोई जवाब नहीं आया.
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इसके बाद ग्राहक ने शाखा प्रबंधक से इस संबंध में संपर्क किया. वहां, उन्हें कार्ड को नष्ट करने और चेन्नई कार्यालय भेजने के लिए कहा गया. ग्राहक ने वहीं बैठे-बैठे ब्रांच मैनेजर की मौजूदगी में ये भी किया. हालांकि, इसके बाद भी उनको क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट प्राप्त होते रहे. परेशान होकर उन्होंने बैंक के तत्कालीन चेयरमैन आदित्य पुरी को भी मेल लिखना शुरू कर दिया. वहां से भी इस मामले का कोई समाधान नहीं हुआ, जबकि इन मेलों को स्वीकार किया गया था.
इसके बाद बैंक ने 2021 में ग्राहक को फिर से परेशान करना शुरू कर दिया और उनको क्रेडिट कार्ड बिल के लिए बुलाया गया. यहां तक कि इसके लिए बैंक ने ग्राहक को लीगल नोटिस तक भिजवा दिया. बताया जा रहा है कि ग्राहक की HDFC में स्टैंडर्ड लाइफ पॉलिसी भी थी और इसके मैच्योर होते ही बैंक ने ग्राहक के खाते से 56,763 रुपए क्रेडिट कार्ड के बिल के रुप में निकाल लिए.
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यहां आपको बता दें कि RBI की गाइडलाइंस के मुताबिक, बैंक को इस ऋण का भुगतान करने के लिए बचत खाते से पैसे काटने की अनुमति नहीं है. यह ऋण एक क्रेडिट कार्ड की वजह से हुआ और यह बचत खाते से अलग है. इससे भी बुरा यह हुआ कि ऋण चुकाने के लिए कोटक महिंद्रा बैंक का एक रद्द चेक ग्राहक को दिया गया था, लेकिन HDFC लाइफ ने यह कहते हुए सेटलमेंट में लगातार देरी की कि उसे मेल नहीं मिला है. वहीं, बार-बार मिन्नत करने के बाद इस अकाउंट में रुपये जमा कर दिए तो वो पैसा भी गायब हो गया.
बैंक ने ग्राहक को लेन-देन का कोई विवरण और कैश मेमो नहीं दिया है जो वास्तव में बैंक ग्राहक द्वारा जारी किया गया हो. ग्राहक के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जो यह साबित करता है कि ग्राहक द्वारा क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई किया गया हो या फिर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया गया हो. वहीं, मामला गुरुग्राम का होने के बावजूद सारी कार्रवाई चेन्नई ऑफिस से की गई, जिसका कोई सटीक कारण नहीं बताया गया. इसके अलावा HDFC पोर्टल पर भी क्रेडिट कार्ड नहीं दिख रहा है और दावे को चुनौती देने के लिए कोई डेटा उपलब्ध नहीं है. मामले में स्पष्टता लाने में बैंक की विफलता और अचानक बड़ी राशि के साथ बचत खाते को डेबिट करने का फैसला HDFC सेवा की कमी के साथ-साथ एक धोखाधड़ी है, जिससे हर रोज लाखों ग्राहक को प्रभावित होते हैं. (इनपुट : IANS)
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