India Budget 2024: करोड़ों नौकरीपेशा को उम्मीद थी कि सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करेगी. लाखों सैलरीड क्लॉस का कहना था यह इंतजार 2017 से चल रहा है. सात साल पहले अरुण जेटली ने ढाई लाख से पांच लाख के बीच की कमाई पर टैक्स घटाया था.
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Income Tax Collection Figure: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को लोकसभा चुनाव से पहले अंतरिम बजट 2024 पेश किया. वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान कहा कि हमने अंतरिम बजट की परंपरा को निभाया है. दरअसल, 2019 को छोड़कर अभी तक के अंतरिम बजट के इतिहास को देखें तो ऐसा कम ही हुआ है जब लोकलुभावन घोषणाएं की गई हों. यही कारण रहा कि सरकार की तरफ से किसी भी बड़े ऐलान से परहेज किया गया. इस बार के बजट को 2047 में विकसित भारत के रोड मैप के रूप में पेश किया गया. यह भी बताया गया कि इस बार का बजट 2047 में विकसित भारत की नींव को मजबूत करेगा.
विकसित भारत की नींव मजबूत करने की गारंटी
बजट पेश करने के बाद पीएम मोदी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम को बधाई दी. उन्होंने इसे देश के भविष्य के निर्माण का बजट बताया. पीएम ने कहा यह बजट विकसित भारत के चार पिलर युवा, गरीब, महिला और किसान को मजबूती देगा. यह बजट 2047 के विकसित भारत की नींव मजबूत करने की गारंटी है. उन्होंने बजट की तारीफ करते हुए यह भी कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने में इस बजट से मदद मिलेगी. बजट में गरीब और मिडिल क्लॉस को मजबूत करने के लिए काम किया गया है.
नौकरीपेशा की उम्मीद टूटी तो...
यहां तक तो सब ठीक था लेकिन इस बार के बजट से सबसे ज्यादा निराशा हाथ लगी सैलरीड क्लॉस को. करोड़ों नौकरीपेशा को उम्मीद थी कि सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करेगी. लाखों सैलरीड क्लॉस का कहना था यह इंतजार 2017 से चल रहा है. सात साल पहले अरुण जेटली ने ढाई लाख से पांच लाख के बीच की कमाई पर टैक्स घटाया था. उसके बाद 2019 में स्टैंडर्ड डिडक्शन 10000 बढ़ाकर 50 हजार कर दिया गया. पांच लाख तक की आमदनी पर जीरो टैक्स कर दिया. लेकिन टैक्सपेयर्स को उम्मीद इससे कही ज्यादा थी.
टैक्स स्लैब में बदलाव से फायदा मिलता
आम से लेकर खास तक और टैक्सपेयर तक सभी विकसित भारत के पक्षधर हैं. उनका मानना है आने वाले समय में भारत की पहचान दुनिया के नक्शे पर एकदम अलग होनी चाहिए. लेकिन अगर सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करती तो इसका सीधा फायदा नौकरीपेशा को मिलता. यानी सैलरीड क्लॉस के हाथ में पहले से ज्यादा पैसा आता. असर यह होता कि सरकार को जो इस रिकॉर्ड टैक्स कलेक्शन मिला है, वो नंबर कहीं न कहीं पिछड़ जाता. लेकिन शायद ही आपको पता हो कि भारत में हर साल कितने लोग इनकम टैक्स (Income Tax) देते हैं. यह आंकड़ा केवल सवा दो करोड़ से भी कम का है.
भारत में 2 प्रतिशत ने दिया इनकम टैक्स
फाइनेंशिल ईयर 2022-23 में देश के 7.7 करोड़ लोगों ने आईटीआर (ITR) फाइल किया. 2022-23 में से ITR फाइल करने वाले 7.7 करोड़ लोगों में से 4.65 करोड़ ने 5 लाख या इससे कम की आमदनी डिक्लेयर की. यानी उन्होंने कोई टैक्स नहीं दिया. इनमें से 2.69 लाख ने 1 करोड़ या इससे ज्यादा की आमदनी घोषित की. एक साल पहले यानी 2021 -22 में 6.6 करोड़ लोगों ने ITR फाइल किया था. इनमें से 2.09 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्स का भुगतान किया था. देश में 94 करोड़ से ज्यादा अडल्ट हैं यानी इतने ही वोटर. अगर 2021 -22 के आंकड़े पर गौर करें तो 94 करोड़ में से 2.09 करोड़ ने टैक्स पे किया. यह कुल वोटर का 2.2 प्रतिशत होता है. अब अगर आप विकसित देशों की हालत देखेंगे तो हालत एकदम इससे उल्ट हैं. इन आंकड़ों को देखने के बाद शायद आपके मुंह से भी यही निकलेगा '2047 में भारत ऐसे कैसे विकसित देश बनेगा'?
अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन का हाल
भारत में 2.2 प्रतिशत वोटर इनकम टैक्स का भुगतान करते हैं. लेकिन अम आप अमेरिका का आंकड़ा देखें तो करीब 50 प्रतिशत वोटर इनकम टैक्स देते हैं. फ्रांस में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा 78.3 प्रतिशत वोटर का है. जर्मनी में कुल वोटर में से 61.3 प्रतिशत सरकार को आयकर देते हैं. यूके में इनकम टैक्स देने वालों को परसेंट 59.7 परसेंट है.