Ratan Tata: टाटा के 'रतन' बनने की कहानी...एक फैसला और कर द‍िया टॉप मैनेजमेंट का सफाया; फ‍िर कैसे बढ़े आगे?
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Ratan Tata: टाटा के 'रतन' बनने की कहानी...एक फैसला और कर द‍िया टॉप मैनेजमेंट का सफाया; फ‍िर कैसे बढ़े आगे?

Ratan Tata Passed Away: 86 साल की उम्र में दुन‍िया छोड़ने वाले रतन टाटा के ल‍िए टाटा ग्रुप की कमान संभालना आसान नहीं था. लेक‍िन उन्‍होंने पुराने समय से ग्रुप में जमे बैठे कई द‍िग्‍गजों को बाहर करने के ल‍िए धीरे-धीरे कुछ न‍ियम बनाए और उनका रास्‍ता साफ होता गया.

Ratan Tata: टाटा के 'रतन' बनने की कहानी...एक फैसला और कर द‍िया टॉप मैनेजमेंट का सफाया; फ‍िर कैसे बढ़े आगे?

Ratan Tata Death News: दौलत और शोहरत के मामले में धनी रहे रतन टाटा (Ratan Tata) ने 86 साल की उम्र में दुन‍िया को अलव‍िदा कह द‍िया. 1937 में जन्‍मे रतन टाटा ने साल 1991 से लेकर 2012 तक टाटा ग्रुप की कमान संभाली. इस दौरान उन्‍होंने टाटा ग्रुप को नई ऊंचाई पर पहुंचाया. 54 साल की उम्र में टाटा ग्रुप की ज‍िम्‍मेदारी संभालने वाले रतन टाटा के ल‍िए इस ज‍िम्‍मेदारी को न‍िभाना, ग्रुप को आगे बढ़ाना और समूह से जुड़े लोगों की उम्‍मीदों को पूरा करना आसान नहीं था. उन्‍हें टाटा ग्रुप को नया रूप देना था लेक‍िन ज‍िम्‍मेदारी संभालने के बाद उन्‍हें सबसे ज्‍यादा चुनौती म‍िली पुरानी लीडरश‍िप से.

तीन लोगों से करना पड़ा चुनौती का सामना

टाटा ग्रुप में उस समय रूसी मोदी (Russi Mody), अजित केरकर (Ajit Kerka) और दरबारी सेठ (Darbari Seth) जैसे तमाम लोगों का डंका बजता था. ये लोग जेआरडी टाटा के व‍िजन के तहत पनपे थे. मीड‍िया र‍िपोर्ट के अनुसार ये लोग अपनी पावर का इस्तेमाल करके ग्रुप के कारोबार को अपनी जागीर की तरह चलाते थे. उनका यह तरीका ग्रुप के कलेक्‍ट‍िव व‍िजन से एकदम अलग था. अपने अधिकार को चुनौती दिए जाने के बाद टाटा ने ग्रुप में कई अहम सुधारों की शुरुआत की. रतन टाटा ने सबसे पहले इस लीडरश‍िप को बदलने के मकसद से र‍िटायरमेंट पॉल‍िसी शुरू की.

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सबसे पहले पेश की र‍िटायरमेंट पॉल‍िसी
टाटा ग्रुप की तरफ से 1992 में पेश की गई र‍िटायरमेंट पॉल‍िसी के तहत निदेशकों को 75 साल की उम्र में पद छोड़ने का निर्देश दिया गया. इस बदलाव का असर तुरंत द‍िखाई द‍िया. टाटा स्टील को 53 साल देने वाले मोदी को 1993 में र‍िटायरमेंट की उम्र होने पर पद छोड़ने के ल‍िए मजबूर क‍िया गया. लेक‍िन अपने प्रभाव को बनाए रखने की कोश‍िश में मोदी ने अपने र‍िटायरमेंट से एक साल पहले टाटा स्टील के बोर्ड की मंजूरी के ब‍िना अपने बेटे आदित्य कश्यप को ड‍िप्‍टी एमडी के पद पर प्रमोट कर द‍िया. टाटा ने इस एकतरफा फैसले को नहीं माना और मोदी को इस प्रमोशन को वापस लेने के ल‍िए मजबूर होना पड़ा. मोदी के साथ कश्यप को भी बाहर का रास्‍ता द‍िखाया गया.

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केरकर र‍िटायरमेंट से पहले पॉल‍िसी को वापस लेने के ल‍िए लड़े!
इसके बाद नंबर दरबारी सेठ का था. वह 1994 में टाटा केमिकल्स और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स में अपने पद से र‍िटायर हुए. अपने जाने से पहले वह बेटे मनु सेठ को टाटा केमिकल्स का एमडी नियुक्त कराने में कामयाब हुए. हालांकि, मनु का कार्यकाल भी कम ही रहा और साल 2000 में उन्‍होंने अपनी पॉज‍िशन से र‍िजाइन कर द‍िया. अजित केरकर ने रतन टाटा के काम करने के तरीके का व‍िरोध क‍िया. केरकर ने इंडियन होटल्स (ताज) के चेयरमैन और एमडी के रूप में काम क‍िया है. केरकर ने अपने र‍िटायरमेंट से पहले नई नीति को वापस लेने के ल‍िए काफी काम क‍िया.

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इस बीच 1997 में टाटा ग्रुप की तरफ से उन पर विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगा और उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया. टाटा ग्रुप की र‍िटायरमेंट पॉल‍िसी आने वाले सालों के ल‍िए कई रणनीतिक बदलाव की शुरुआत रही. र‍िटायरमेंट पॉल‍िसी को पेश क‍िये जाने के आठ साल बाद ग्रुप ने साल 2000 में नॉन-एग्‍जीक्‍यूट‍िव डायरेक्‍टर की उम्र में बदलाव करके इसे 70 साल कर दिया. लेक‍िन बाद में साल 2005 में इसे फ‍िर से बढ़ाकर 75 साल कर दिया गया. इस बदलाव से रतन टाटा ग्रुप की ज‍िम्‍मेदारी साल 2012 तक संभाली. लेक‍िन रतन टाटा के र‍िटायरमेंट से एक साल पहले उम्र को फ‍िर से घटाकर 70 कर दिया गया.

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