परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) किसी को एक ही बार जारी किया जाता है. दो पैन नंबर रखना कानूनी रूप से गलत है.
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नई दिल्ली: पैन कार्ड (PAN) को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जारी करता है. पैन नंबर 10 अंकों का होता है. PAN को परमानेंट अकाउंट नंबर कहते हैं. इसका मतलब एकबार किसी इंडिविजुअल, कंपनी और फर्म को अगर पैन जारी किया गया है तो इसमें कभी कोई बदलाव नहीं होगा. पैन या तो NSDL (नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) या UTITSL (UTI इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी एंड सर्विसेस लिमिटेड) की तरफ से जारी किया जाता है.
इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए PAN नंबर जरूरी होता है. हालांकि, इस बजट में मोदी सरकार ने इसकी अनिवार्यता हटा दी है. अब पैन की जगह Aadhaar नंबर का इस्तेमाल कर भी रिटर्न फाइल किया जा सकता है. लेकिन, यह नहीं भूलें कि सरकार ने पैन को आधार से लिंक करना भी जरूरी किया हुआ है. पैन-आधार लिंक करने की आखिरी तारीख बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी गई है. उसके बाद जिस पैन से आधार लिंक नहीं होगा, उसे अवैध माना जा सकता है. हालांकि, इसको लेकर सरकारी की तरफ से साफ-साफ कुछ नहीं कहा गया है. ऐसे में अगर आप पैन कार्ड के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है.
1. पैन नंबर कभी नहीं बदलता है. इसलिए, जो पहली बार इसके लिए अप्लाई कर रहे हैं वे ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर की जांच ठीक से कर लें. नहीं तो बाद में बदलवाने में मुश्किल होगा.
2. अगर किसी टैक्सपेयर्स का पैन अभी तक नहीं बना है तो वह तुरंत अप्लाई करे. फिलहाल, वह आधार नंबर से काम तो चला सकता है, लेकिन इसकी जरूरत होगी.
3. अगर आपका पैन कार्ड खो गया है तो इसे दोबारा जारी करवाएं. दोबार बनवाना कानूनी जुर्म है. पकड़ाने जाने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना और जेल भी हो सकती है. अगर किसी के पास दो पैन कार्ड है तो वह एक पैन सरेंडर कर दे.
4. यह जरूरी नहीं है कि जो रिटर्न फाइल करता है, पैन की जरूरत उसे ही होती है. पैन कार्ड कोई भी बनवा सकता है.