आयकर विभाग ने दोनों कंपनियों को चिट्ठी लिखकर टैक्स चुकाने को कहा है. आयकर विभाग ने वॉलमार्ट से कहा है कि नियमों के मुताबिक टैक्स देनदारी बनेगी.
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नई दिल्ली: वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट डील में टैक्स का पेंच फंस गया है. आयकर विभाग ने दोनों कंपनियों को चिट्ठी लिखकर टैक्स चुकाने को कहा है. आयकर विभाग ने वॉलमार्ट से कहा है कि नियमों के मुताबिक टैक्स देनदारी बनेगी. विभाग ने वॉलमार्ट से साफ किया है कि वह टैक्स का पैसा काटकर ही फ्लिपकार्ट के शेयरहोल्डर्स को पेमेंट करें. वहीं, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने फ्लिपकार्ट से डील का पूरा ब्योरा मांगा है. विभाग ने उससे भी कहा है कि शेयर ट्रांसफर होने की वजह से डील में टैक्स देनदारी बनेगी. इससे आयकर विभाग के खजाने में भी मोटी रकम आएगी.
क्यों लगेगा टैक्स?
इनकम टैक्स विभाग इस पूरी डील पर नजर रखे हुए है. सूत्रों के मुताबिक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि संपत्ति भारत में है, इसलिए टैक्स की देनदारी बनती है. आईटी एक्ट के सेक्शन 9 (1) (i) का हवाला देते हुआ कहा गया है कि भारत में मौजूद संपत्ति का सौदा होगा, इसलिए विदहोल्डिंग टैक्स लगेगा. विदेशी भी भारत में मौजूद संपत्ति का सौदा करे तो ये टैक्स लगेगा. बता दें कि इस डील में 10-20 फीसदी तक विदहोल्डिंग टैक्स लग सकता है.
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फ्लिपकार्ट फाउंडर्स को भी देना होगा टैक्स
फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर सचिन और बिन्नी बंसल को कंपनी बेचकर मिली रकम पर 20% टैक्स देना पड़ सकता है. भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 77 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदने वाली अमेरिकी रिटेलर वॉलमार्ट इस डील पर टैक्स की देनदारी तय करने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से संपर्क कर सकती है. वॉलमार्ट 16 अरब डॉलर में यह हिस्सेदारी खरीदी है.
लग सकता है कैपिटल गेन टैक्स
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फ्लिपकार्ट में विदेशी निवेशकों पर टैक्स अलग तरीके से लगेगा. पहले यह देखना होगा उनका पैसा किस देश के रास्ते से आया है. अगर फ्लिपकार्ट के प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी भारतीय नागरिक के रूप में बेचते हैं तो उन्हें सौदे से होने वाले कैपिटल गेन पर इनकम टैक्स देना होगा. इस सौदे में सचिन और बिन्नी बंसल को मुनाफे पर 20% कैपिटल गेन्स टैक्स देना होगा.
देना होगा 2,000 करोड़ रुपये टैक्स
डील होने के साथ फ्लिपकार्ट के सबसे बड़े निवेशकों में से सॉफ्टबैंक ने अपने पूरे 22 फीसदी स्टेक बेच दिए हैं. सॉफ्टबैंक ने पिछले साल अगस्त में 2.5 बिलियन डॉलर 22 फीसदी स्टेक खरीदे थे और अब उसे इन्हें बेचने पर 4.5 बिलियन डॉलर मिल रहे हैं. क्योंकि सॉफ्टबैंक को 2 बिलियन यानी लगभग 13,000 करोड़ का फायदा हो रहा है, तो उसे 2,000 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में भारत सरकार को देने पडे़ंगे.
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सॉफ्टबैंक को क्यों देना होगा टैक्स?
अमेरिका स्थित सॉफ्टबैंक के पास ट्रीटी कवर नहीं है, जिसके चलते उसे टैक्स से राहत मिल सके. क्योंकि, सॉफ्टबैंक ने फ्लिपकार्ट में पिछले साल अगस्त में निवेश किया था, इसके चलते कंपनी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स के तहत कर भरेगी. भारतीय टैक्स नियमों के तहत अगर आप गैर लिसटेड कंपनी में दो साल से कम के लिए निवेश करते हैं और फिर आप अपना पैसा निकालते हैं तो आपको शॉर्ट टर्म टैक्स (दो साल से कम) के तहत 15 फीसदी टैक्स देना होता है. वहीं अगर आप गैरलिस्टेड कंपनी में दो साल से अधिक समय तक निवेश करने के बाद अपना पैसा निकालते हैं तो आपको लॉन्ग टर्म टैक्स के तहत 20 फीसदी टैक्स देना होता है.
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टैक्स कितना देना है? IT से पूछेगी वॉलमार्ट
भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 77 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदने वाली अमेरिकी रिटेलर वॉलमार्ट इस डील पर टैक्स की देनदारी तय करने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से संपर्क कर सकती है. वॉलमार्ट 16 अरब डॉलर में यह हिस्सेदारी खरीदी है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वॉलमार्ट को टैक्स तय करने के लिए संपर्क करने को कहा है. वॉलमार्ट को डिपार्टमेंट की ओर से भेजे गए पत्र की जानकारी रखने वाले एक सीनियर इनकम टैक्स अधिकारी ने बताया, 'हमने उन्हें कहा है कि वे अपनी टैक्स देनदारी तय करने के लिए इनकम टैक्स अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.'
क्यों बन सकती है टैक्स देनदारी
- इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 9(1)(i) के तहत टैक्स का दावा
- ऐसी संपत्ति ट्रांसफर जिसमें भारत से आय हो तो टैक्स लगेगा
- फ्लिपकार्ट सिंगापुर की आय का अहम हिस्सा भारत से
- ऐसे में डील भले सिंगापुर यूनिट से हो लेकिन टैक्स देनदारी भारत में होगी
- IT डिपार्टमेंट विद होल्डिंग टैक्स की मांग कर सकता है