बस कुछ औ साल...2031 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा भारत
Advertisement
trendingNow12515682

बस कुछ औ साल...2031 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा भारत

भारत की अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बावजूद तेज रफ्तार के साथ भाग रही है.  भारत की आर्थिक  तरक्की का लोहा दुनियाभर की बड़ी कंपनियों से लेकर ग्लोबल एजेंसियों और वर्ल्ड बैंक तक ने माना है.

 बस कुछ औ साल...2031 तक  7 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा भारत

Indian Economic Growth: भारत की अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बावजूद तेज रफ्तार के साथ भाग रही है.  भारत की आर्थिक  तरक्की का लोहा दुनियाभर की बड़ी कंपनियों से लेकर ग्लोबल एजेंसियों और वर्ल्ड बैंक तक ने माना है. अब रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी बात कही है.  

7 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी 
 
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2031 तक 7 ट्रिलियन डॉलर का हो जाएगा. इस दौरान देश की जीडीपी की औसत वार्षिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत होगी. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि वित्त वर्ष 2025 से लेकर वित्त वर्ष 2031 तक की वार्षिक वृद्धि दर महामारी से पहले के दशक की औसत विकास दर 6.6 प्रतिशत के जैसी ही होगी. बढ़त की वजह पूंजीगत खर्च और उत्पादकता में इजाफा होना है.  

कितनी होगी जीडीपी  

रिपोर्ट में अनुमान जताया गया कि चालू वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसकी वजह ब्याज दरें उच्च स्तर पर और सख्त लेंडिंग नियमों का होना है.  इसके कारण शहरी मांग पर असर हुआ है. ईटी-क्रिसिल इंडिया प्रोग्रेस रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का असर भी विकास पर दिखना चाहिए.  

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 2024-25 में औसत 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि पिछले साल के औसत 5.4 प्रतिशत से कम है.  रिपोर्ट में मौसम की स्थिति और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं को विकास और महंगाई के लिए मुख्य जोखिम माना गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि इस वर्ष खरीफ की बुआई अधिक हुई है, लेकिन अधिक और बेमौसम बारिश के प्रभाव का पता लगाने की जरूरत है. चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में प्रतिकूल मौसम की स्थिति खाद्य महंगाई और कृषि आय के लिए लगातार जोखिम बनी हुई है.  

रिपोर्ट के अनुसार भू-राजनीतिक तनाव में किसी भी तरह की वृद्धि से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है, व्यापार बाधित हो सकता है और तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं. इसका महंगाई पर असर पड़ सकता है और इनपुट लागत बढ़ सकती है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि मजबूत सर्विस निर्यात और रेमिटेंस इनफ्लो के कारण भारत का चालू खाता घाटा सुरक्षित क्षेत्र में रहेगा, हालांकि यह 2023-24 में 0.7 प्रतिशत की तुलना में 2024-25 के दौरान जीडीपी का 1 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है.  इनपुट-IANS

Trending news