Russia-India deal: तीसरी बार सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबसे पहले भारत के सबसे जिगरी दोस्त रूस से मिलने पहुंचे. दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी, एक सहमति ऐसी भी हुई, जिससे अमेरिका को मिर्ची लग सकती है.
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PM Modi Russia Visit: तीसरी बार सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबसे पहले भारत के सबसे जिगरी दोस्त रूस से मिलने पहुंचे. दोस्त रूस ने गर्मजोशी के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत किया. अपनी दो दिवसीय यात्रा को खत्म कर पीएम मोदी भारत लौट रहे हैं. अपने साथ वो देश के लिए कई तोहफे ले कर आ रहे हैं. एक तोहफा ऐसा है, जो अमेरिका की बेचैनी बढ़ा रहा है. इस दौरे पर भारत और अमेरिका के बीच 9 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, लेकिन इस डील ऐसी भी हुई, जो अमेरिका का बल्ड प्रेशर बढ़ाने के लिए काफी है. इस डील से अमेरिकी डॉलर की दादागिरी खत्म होगी.
रूस और भारत के बीच बन गई बात
पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बीच 9 समझौतों पर बात बनी. नई दिल्ली और मॉस्को ने व्यापार, ऊर्जा, जलवायु और अनुसंधान समेत 9 समझौते पर हस्ताक्षर किए.भारत और रूस ने आपसी व्यापार को साल 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक पहुंचाने पर सहमति पर बुधवार को सहमति जताई. भारत और रूस ने 100 अरब डॉलर के बाइलेटरल ट्रेड की डील की है. दोनों देशों ने साल 2030 तक बाइलेटरल ट्रेड को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
अमेरिकी डॉलर की दादागिरी होगी खत्म , राष्ट्रीय मुद्राओं में लेनदेन पर जोर
पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात के बात संयुक्त बयान में भारत और रूस ने व्यापार के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग करके द्विपक्षीय निपटान प्रणाली के विकास पर सहमति जताई. भारत और रूस के इस कदम से अमेरिका को मिर्ची लग सकती है. मोदी और पुतिन ने राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके द्विपक्षीय निपटान प्रणाली के विकास पर रहमति जताई है, जिसका मतलब है कि भारत और रूस के बीच कच्चे तेल से लेकर अन्य खरीद-फरोख्त का भुगतान संभावित रूप से भारतीय रुपये में होगा. वहीं रूस इसके बदले में उन भारतीय रुपये का उपयोग भारत से आयात के भुगतान के लिए कर सकता है. इसी तरह से रूसी करेंसी रूबल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय मुद्राओं के साथ व्यापार को बढ़ावा देने ने अमेरिकी डॉलर का झटका लगेगा.
अमेरिकी डॉलर को मात देने की तैयारी
पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिकी डॉलर के दबदबे को कम करने के लिए व्यापार के लिए दोनों देशों की मुद्राओं के इस्तेमाल पर सहमति दिखाई. इस डील के पीछे रूस की मंशा है कि वो पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को मात दे सके. वहीं अमेरिकी डॉलर के दबदबे को कम किया जा सके. वहीं जानकारों की माने तो रूस चाहता है कि अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए भारत रुपये के साथ-साथ चीनी करेंसी युआन में बी ज्यादा से ज्यादा व्यापार करे. जहां चीन की ओर रूस का झुकाव दिखा तो वहीं भारत का दो टूक जवाब रहा कि वो चीनी मुद्रा में कोई भी पेमेंट नहीं करेगा. भारत ने चीनी करेंसी के बजाए रूस के सामने यूएई की करेंसी में पेमेंट का विकल्प दिया है. दोनों देशों के बीच वर्तमान में इस करेंसी से कारोबार हो भी रहा है, जिसे आने वाले दिनों में और बढ़ाए जाने पर सहमति बन सकती है.
भारत और रूस के बीच और कौन-कौन सी डील
दोनों देशों ने व्यापार में राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके व्यापार निपटान करने के अलावा व्यापार को सुगम बनाने के लिए नए मार्गों के जरिए माल परिवहन करने, कृषि उत्पादों, खाद्य , उर्वरक कारोबार में बढ़ोतरी, परमाणु ऊर्जा में सहयोग की बढ़ोतरी, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बातचीत को मजबूत करने, डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेश, उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसे नए मार्गों से कारोबार में बढ़ोतरी, संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा और दवाओं की आपूर्ति में सहयोग समेत कई अहम डील हुई. दोनों देशों ने परिवहन इंजीनियरिंग, वाहन उत्पादन और जहाज निर्माण जैसे सेक्टर को मजबूती देने पर सहमति जताई
क्यों परेशान है अमेरिका
भारत-रूस के बीच व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का टारगेट सेट किया है. वर्तमान में दोनों देशों के बीच 65 अरब डॉलर का व्यापार होता है. भारत और रूस के बीच रुपये-रूबल में व्यापार हो रहा है, लेकिन अब इस बास्केट को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. हालांकि रूस भारतीय रुपयों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में नहीं कर पा रहा,लेकिन अब वो उन रूपयों को भारत के साथ व्यापार और भारत में निवेश में इस्तेमाल कर सकेगा. कुल मिलाकर भारत और रूस के बीच संबंधों को लेकर जो गति आगे बढ़ रही है, उसने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को असहज कर दिया है.