कंबलों की धुलाई को लेकर जारी विवाद के बीच रेलवे का बड़ा फैसला, अब मशीन से होगी ट्रेनों में मिलने वाले बेडरोल की सफाई; देखें Video
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कंबलों की धुलाई को लेकर जारी विवाद के बीच रेलवे का बड़ा फैसला, अब मशीन से होगी ट्रेनों में मिलने वाले बेडरोल की सफाई; देखें Video

Indian Railway Laundries: पिछले कुछ दिनों से ट्रेनों में मिलने वाले बेडरोल को लेकर विवाद हो रहा है. जिसके बाद रेलवे ने एसी क्लास में पैसेंजर को स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले बेडरोल मुहैया करने के लिए अत्याधुनिक लॉन्ड्री तकनीक लागू की है.

 

कंबलों की धुलाई को लेकर जारी विवाद के बीच रेलवे का बड़ा फैसला, अब मशीन से होगी ट्रेनों में मिलने वाले बेडरोल की सफाई; देखें Video

Indian Railway: ट्रेनों में मिलने वाले बेडरोल-कंबलों की धुलाई को लेकर जारी विवाद के बीच रेलवे ने हाइजीन को लेकर बड़ा फैसला किया है. रेलवे ने वातानुकूलित (एसी) क्लास में पैसेंजर को स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले बेडरोल मुहैया करने के लिए अत्याधुनिक लॉन्ड्री तकनीक लागू की है. रेलवे की इस पहल से ट्रेन यात्रा के दौरान हाइजीन को मेंटेन रखने में मदद मिलेगी.

दरअसल, पिछले कुछ दिनों से ट्रेनों में मिलने वाले बेड रोल को लेकर विवाद हो रहा है. रेल मंत्री अश्विणी वैष्णव ने कांग्रेस सांसद द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए संसद में कहा था कि ट्रेनों में मिलने वाले कंबलों की धुलाई एक महीने में कम से कम एक बार होती है.

जिसके बाद लोगों ने हाइजीन को लेकर सवाल उठाया. भारी फजीहत के बाद रेलवे ने सफाई में कहा कि कि ट्रेनों में मिलने वाली चादरें और तकिये के कवर रोजाना धोए जाते हैं. वहीं, कंबल की सफाई साल 2016 से ही महीने में दो बार की जाती है.

रेलवे की अत्याधुनिक लॉन्ड्री तकनीक

रेलवे की इस अत्याधुनिक लॉन्ड्री तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि लिनेन को प्रत्येक उपयोग के बाद अच्छी तरह से धोया जाए, जबकि कंबलों को महीने में कम से कम एक बार जरूरी हो तो एक से अधिक बार साफ किया जाता है. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया है कि यात्रियों की सुविधा के लिए बेडरोल किट में एक अतिरिक्त बेडशीट दी जाती है. 

कैसे काम करती है यह लॉन्ड्री?

यह लॉन्ड्री लेटेस्ट और एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस है और लिनेन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए ब्रांडेड केमिकलों और बेहतरीन मशीनों का उपयोग करती है. सफाई मानकों को सफेदी मीटर द्वारा मापा जाता है. इस पूरी प्रक्रिया पर नजर बनाए रखने और शिकायतों का समाधान करने के लिए जोनल और डिविजनल स्तरों पर डेडिकेटेड 'वॉर रूम' भी है.

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