तेजी से डिजिटल (Digital) होती जिंदगी ने एक ओर हर काम को आसान और बेहतर बनाया है तो दूसरी ओर नई चुनौतियां भी खड़ी हुई हैं.
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नई दिल्ली: तेजी से डिजिटल (Digital) होती जिंदगी ने एक ओर हर काम को आसान और बेहतर बनाया है तो दूसरी ओर नई चुनौतियां भी खड़ी हुई हैं. 2019 में फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन (FBI) की इंटरनेट क्राइम कम्पलेंट सेंटर (IC3) की रिपोर्ट के मुताबिक 20 देशों की लिस्ट में भारत साइबर क्राइम (Cyber Crime) के मामले में तीसरे नंबर पर है. साइबर सिक्योरिटी के बढ़ते खतरों के बावजूद देश में साइबर इंश्योरेंस अब भी आम लोगों की पहुंच से काफी दूर है.
यही वजह है कि स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस और स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के बाद अब बीमा रेगुलेटर IRDAI ने साइबर इंश्योरेंस की स्टैंडर्ड पॉलिसी (Standard Cyber Insurance Policy) लाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. इसके लिए IRDAI ने एक पैनल बनाया है जो बेसिक स्टैंडर्ड प्रोडक्ट की संभावनाएं तलाशेगा, जो लोगों को साइबर खतरों से बचाने के लिए इंश्योरेंस कवर मुहैया करा सके.
अभी जनरल लायबिलिटी पॉलिसी साइबर खतरों को कवर नहीं करती है, जबकि मौजूदा साइबर इंश्योरेंस पॉलिसीज क्लाइंट के हिसाब से तैयार की जाती हैं, जिसकी पहुंच आम लोगों तक बड़े पैमाने पर नहीं है. IRDAI का कहना है कि 'इसीलिए एक स्टैंडर्ड प्रोडक्ट की जरूरत महसूस हुई जिससे आम लोगों और संस्थानों को साइबर खतरों से बचाया जा सके'
IRDAI की ओर से गठित पैनल में कुल 9 लोग होंगे, इस पैनल की अध्यक्षता लायबिलिटी इंश्योरेंस के सलाहकार पी उमेश करेंगे. उनसे कहा गया है कि वो साइबर सिक्योरिटी को लेकर सभी वैधानिक प्रावधानों का अध्ययन करें. इसमें सभी तरह के कानूनी पहलुओं पर भी विचार करें. ये टीम मौजूदा और पिछली साइबर सिक्योरिटी घटनाओं का निरीक्षण करेगी और संभावित इंश्योरेंस कवर की रणनीति को तैयार करेगी.
देश में डिजिटल लेन-देन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की दखल में तेजी से इजाफा हुआ है. जिससे वित्तीय और निजी जानकारियों के लीक होने का खतरा भी बढ़ा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की रिपोर्ट के मुताबिक अगले 5 सालों में देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन प्रति दिन 15 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा, जो अभी 5 ट्रिलियन रुपये है.
मौजूदा वक्त में रोजाना 1 करोड़ लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन करते हैं, जिसकी वैल्यू 5 लाख करोड़ रुपये होती है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में साइबर क्राइम की वजह से भारत को 1.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
पिछले वित्त वर्ष में नॉन-लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (Non-Insurance Policy) में 1.89 लाख करोड़ रुपये का प्रीमियम आया था, जिसमें साइबर इंश्योरेंस (Cyber Insurance) का हिस्सा सिर्फ 200 करोड़ रुपये के करीब था. दरअसल, भारत में अब भी लोगों को साइबर क्राइम बड़ा खतरा नहीं महसूस होता. जबकि साइबर फ्रॉड या डिजिटल रिस्क की वजह से लोगों की प्रतिष्ठा और पैसा दोनों ही दांव पर लग सकते हैं.
IRDAI का मानना है कि कोरोना महामारी के दौरान साइबर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. हाई प्रोफाइल डाटा चोरी के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है. IRDAI के मुताबिक साइबर सिक्योरिटी सभी सेक्टर्स के लिए इस वक्त सबसे जरूरी है. वर्किंग ग्रुप से अपनी रिपोर्ट 2 महीने के अंदर देने के लिए कहा गया है.
दरअसल, अभी जो भी साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी बनाई जाती है वो क्लाइंट के हिसाब से कस्टमाइज्ड होती है, यानी क्लाइंट अपनी जरूरत के हिसाब से पॉलिसी को गढ़ता है. जिससे इसकी पहुंच बहुत सीमित हो जाती है. मौजूदा वक्त में लोगों के लिए साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी की शर्तें समझना भी आसान नहीं हैं. इसलिए स्टैंडर्ड पॉलिसी बनाई जाएगी जिसकी शर्तें काफी आसान होंगी और सभी बीमा कंपनियों के लिए एक ही होंगी. यानी आप पॉलिसी किसी भी बीमा कंपनी से खरीदें शर्तों से लेकर बेनेफिट सबकुछ एकसमान होंगे.
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