सरकार ने प्रवासी भारतीयों (एनआरआई), भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) और भारतीय मूल के लोगों (पीआईओ) के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में आज ढील देने का फैसला किया। इसका मकसद देश में पूंजी प्रवाह बढ़ाना है। इसके तहत एनआरआई, ओसीआई और पीआईओ के निवेश को अब घरेलू निवेश माना जाएगा और इस पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा लागू नहीं होगी।
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नई दिल्ली : सरकार ने प्रवासी भारतीयों (एनआरआई), भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) और भारतीय मूल के लोगों (पीआईओ) के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में आज ढील देने का फैसला किया। इसका मकसद देश में पूंजी प्रवाह बढ़ाना है। इसके तहत एनआरआई, ओसीआई और पीआईओ के निवेश को अब घरेलू निवेश माना जाएगा और इस पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा लागू नहीं होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने इन संशोधनों को मंजूरी दी। इनमें एनआरआई की परिभाषा में बदलाव भी शामिल है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एनआरआई द्वारा फेमा नियमनों की अनुसूची चार के तहत किए गए निवेश को अब निवासियों द्वारा किए जाने वाले निवेश की तरह घरेलू निवेश माना जाएगा।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया, ‘मंत्रिमंडल ने एनआरआई, पीआईओ (भारतीय मूल के लोग) और ओसीआई के निवेश मामले में एफडीआई नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी। इससे अर्थव्यवस्था और शिक्षा में निवेश के मामले में पीआईओ और ओसीआई वर्ग के निवेशकों को एनआरआई के समान माना जाएगा।’ उसने कहा, ‘ओसीआई, एनआरआई और पीआईओ के लिये एफडीआई में संशोधन से विदेशी मुद्रा प्रेषण और निवेश में तेजी आएगी।’
इससे पहले सरकार ने रक्षा, बीमा, रीयल एस्टेट, रेलवे व चिकित्सा उपकरण जैसे क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा बढ़ाई है। अपनी विदेश यात्राओं के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासी भारतीयों से देश में निवेश करने का आह्वान किया है। प्रवासी भारतीय भी यह मांग करते रहे हैं कि देश में उनके निवेश को घरेलू निवेश माना जाए।